न्यूज़ वाणी इटावा- सैफई उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई, के आर्थोपेडिक विभाग एवं सैफई आर्थोपेडिक क्लब के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय के ट्रामा सेन्टर के लेक्चर हाॅल में कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करते हुए बोन एण्ड जाॅइट दिवस मनाया गया। मुख्य कार्यक्रमों में इस बार की थीम सेव सेल्फ-सेव वन पर व्याख्यान तथा विशेषज्ञों द्वारा बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग प्रमुख रही। मुख्य कार्यक्रमों का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 (डा0) रमाकान्त यादव ने द्वीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर संकायाध्यक्ष डा0 आलोक कुमार, संयोजक कोविड एवं नान-कोविड अस्पताल डा0 एसपी सिंह, सैफई आर्थोपेडिक क्लब के अध्यक्ष डा0 डीके दूबे, उपाध्यक्ष डा0 आरएस यादव, सेक्रेटरी डा0 सुनील कुमार, विभाागाध्यक्ष आर्थोपेडिक विभाग डा0 एसपीएस गिल, चिकित्सा अधीक्षक डा0 आदेश कुमार, कुलसचिव सुरेश चन्द्र शर्मा, फैकेल्टी मेम्बर, चिकित्सा अधिकारी, मेडिकल एवं पैरामेडिकल स्टूडेन्ट्स आदि ने भाग लिया। मुख्य प्रशिक्षण में विशेषज्ञों द्वारा दुर्घटना के बचाव के साथ घायलों को आन स्पाॅट बचाने के बारे में ट्रेनिंग दी गयी।इस अवसर पर बोलते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 (डा0) रमाकान्त यादव ने कहा कि रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट में भारत की स्थिति चिंताजनक है। देश में हर साल औसतन 4 लाख 49 हजार एक्सीडेंट होते हैं, जिनमें 1 लाख 51 हजार लोगों की मृत्यु हो जाती है। इसमें भी 18 से 45 वर्ष की आयु के मृतकों का प्रतिशत 65 है, जो गंभीर है। उन्होंने कहा कि किसी भी एक्सीडेंट के शुरू के 60 मिनट स्वर्णिम घंटे होते है। यदि इस दौरान सही मदद मिल जाये तो मरीज के बचने के अवसर बढ़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि बोन एण्ड जाॅइट दिवस का उद्देश्य तभी सफल है जब लोग यह समझेंगे कि स्वास्थ्य के लिए अपनी हड्डियों तथा जाॅइट को ठीक रखना कितना जरूरी है। इसके लिए सही भोजन तथा व्यायाम भी बेहद जरूरी है।सैफई आर्थोपेडिक क्लब के अध्यक्ष डा0 डीके दूबे एवं उपाध्यक्ष डा0 आरएस यादव ने बताया कि इस बार इण्डियन आर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वारा बोन एवं जाॅइट दिवस की थीम सेव सेल्फ-सेव वन अर्थात आदमी को स्वयं को बचाने और साथ ही दूसरों को बचाने के लिए सक्षम बनाना निश्चित किया गया है। इसके अलावा एसोसिएशन का उद्देश्य बोन एंड जाॅइंट वीक के दौरान ज्यादे से ज्यादे हेल्थ एवं फ्रंटलाइन वर्कर्स को बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग देना है। इसके साथ ही ट्रेनिंग का उद्देश्य एक्सीडेंट से बचाव हेतु जागरूक करना भी है। सैफई आर्थोपेडिक क्लब के सेक्रेटरी एवं आर्थोपेडिक विभाग के प्रोफेसर डा0 सुनील कुमार ने बताया कि प्रतिवर्ष पूरे विश्व में हेड इंजरी से 6.0 मिलियन लोग प्रभावित होते हैं। रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट अचानक होने वाली दुर्घटना है। यदि समय से मदद मिल जाये तो मरीज के बचने के आसार बढ़ जाते है। इसमें मदद देने वाला कोई ओर नहीं बल्कि एक आम आदमी, सड़क चलते राहगीर, परिजन, पुलिस के सिपाही कोई भी हो सकता है। बस इन सभी को क्रमशः बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग देना आवश्यक है। जिससे ज्यादे से ज्यादे लोगों की जान बचायी जा सके।