एमपी के इंदौर के अरिहंत हॉस्पिटल में 9 अगस्त को जाँच के दौरान 3 साल के कबीर की मौत हो गई। मासूम कबीर ने 29 जुलाई को खेल-खेल में चुंबक निगल लिया था। चुंबक उसके गले में फंस गया। डॉक्टरों ने कबीर के परिवार को भरोसा दिया चुंबक निकालकर उसे ठीक कर देंगे। डॉक्टरों ने एंडोस्कोपी से चुंबक तो निकाल दी लेकिन कबीर की मौत हो गई। सिलीकॉन सिटी में रहने वाले सुनील तिवारी और नीतू का इकलौता चिराग बुझ गया। पूरा परिवार फफक कर रो पड़ा। सुनील का एक भाई है। उनकी दो बेटियां हैं। परिवार में बेटा कबीर ही था।
प्राइवेट जॉब करने वाले सुनील और नीतू के यहां कबीर का जन्म 8 साल की मन्नतों के बाद हुआ था। उसने खेल-खेल में चुंबक निगल लिया तो सभी का आह निकल गई। उसे अस्पताल ले गए। डॉक्टरों ने एंडोस्कोपी के लिए 9 अगस्त का दिन चुना। सुनील और नीतू सोमवार सुबह कबीर को हॉस्पिटल ले आए। मां-बाप डरे हुए थे लेकिन कबीर मुस्कुरा रहा था। वह ऑपरेशन थिएटर में भी मुस्कराते हुए गया। एंडोस्कोपी के बाद उसे होश नहीं आया। डॉक्टरों ने कहा था कबीर को आधे घंटे में होश आ जाएगा। एक-दो दिन में उसकी छुट्टी कर देंगे।
करीब को आधा घंटे बाद भी होश नहीं आया। नीतू ने ये बात नर्स को बताई। इस पर उन्होंने कहा कि 3-4 घंटे में होश आ जाएगा लेकिन आधे घंटे बाद ही कबीर का शरीर ठंडा पड़ गया। नीतू ने स्टाफ से कहा डॉक्टरों को जल्दी बुलाओ, लेकिन 15 मिनट तक कोई नहीं आया। नीतू रो-रोकर बेटे को बचाने की गुहार लगाती रही। स्टाफ ने बताया कि डॉक्टर्स अभी ऊपर की यूनिट में हैं। इस पर नीतू के सब्र का बांध टूट गया। आधे घंटे बाद एनेस्थेटिक डॉ. सोनल निवस्कर पहुंचीं। वे भरोसा दिलाती रहीं कबीर को होश आ जाएगा। फिर करीब पौन घंटे बाद करीब एक बजे डॉ. मयंक जैन व अन्य डॉक्टर्स ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया।
इकलौता कबीर परिवार में सभी का चहेता था। सुनील के खानदान में 8 साल बाद बेटा हुआ था। इसके चलते सभी उसे दुलार करते थे। रिश्तेदार एंडोस्कोपी के पहले से फोन लगाकर उसकी कुशलक्षेम पूछते रहे लेकिन जब दोपहर में पता चला कि उसकी मौत हो गई तो रो पड़े। उनका गुस्सा फूट पड़ा। अस्पताल में हंगामे के दौरान पुलिस ने स्थिति संभाली।
चंदन नगर टीआई योगेश सिंह तोमर ने बताया परिवार के आरोपों के चलते बच्चे का सोमवार को डॉक्टरों की स्पेशल पैनल द्वारा पोस्टमॉर्टम किया जाएगा। इसके बाद पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। मामले में संबंधित डॉक्टरों के बयान भी लिए जाएंगे। इसके बाद ही पुलिस नतीजे पर पहुंचेगी।