डेढ़ करोड़ की जमीन के लिए जौनपुर में दिव्यांग बेटे की जान के दुश्मन बने मां-बाप, घर से भागकर पहुंचा पुलिस के पास

यूपी के जौनपुर का  दीपक जन्म से ही दोनों आंखों से देख नहीं सकता  हैं। इसकी वजह से डेढ़ करोड़ की जमीन के लिए दीपक के सगे मां-बाप उसकी जान के दुश्मन बने हुए हैं। इस बात का खुलासा तब हुआ, जब दीपक अपना दर्द लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे।

 विरासत में लिखी थी बाबा ने जमीन

मिडिया से बातचीत करते हुए दीपक बताते हैं कि मेरे बाबा ने मेरे और 2 भाइयों के नाम अपनी विरासत लिखी थी। मेरे हिस्से में 4 से 5 बीघा जमीन आई थी। यह बात पहले मुझे मालूम नहीं थी। अभी दो तीन महीने पहले मुझे पता चला की फर्जी दस्तावेजों के सहारे मेरे पिता सतीश यादव जमीनें बेच रहे हैं। जब मैंने और पता किया तो पता चला कि मुझे भी विरासत में जमीन मिली है। ऐसे में मैंने जमीनें बेचने का विरोध किया तो घरवाले ही मेरी जान के दुश्मन बन बैठे। मेरे हिस्से में आई जमीनों की कीमत लगभग डेढ़ करोड़ है। चूंकि जमीन का कुछ हिस्सा हाइवे किनारे का है। जिससे उस जमीन का दाम बढ़ गया है। यही वजह है कि उस पर मेरे घरवालों की नजर है। मेरे बाबा की मौत 2014 में हुई है।

दीपक को बचपन से ही घर में अलग रखा गया है

दीपक कहते हैं कि दिव्यांग होने की वजह से मुझे बचपन से ही घर में अलग थलग रखा गया है। बहुत बचपन में ही मेरा जौनपुर बोर्डिंग में एडमिशन करा दिया गया। साल भर तक मैं घर नहीं गया। न ही मुझसे कोई मिलने आया। न ही कोई मुझे फोन करता। मुझे याद है कि लगभग साल भर बाद मकर संक्रांति पड़ी थी। तब सभी बच्चे अपने अपने मां-बाप के साथ घर गए थे लेकिन मुझे लेने कोई नहीं आया था। मेरे पास रूपए भी नहीं थे तो मैं वार्डेन से उधार रूपए लेकर घर गया। लेकिन घर पहुंच कर मुझे दुलारने की जगह डांटा फटकारा गया।

जब घर में कुछ खाने को आता तो मुझे नहीं देते थे

दीपक बताते हैं कि पता नहीं मुझसे मेरा परिवार क्यों नहीं प्यार करता था। जब भी घर में कुछ खाने पीने का सामान आता तो मुझे नहीं दिया जाता था। जबकि दुसरे बच्चों की तरह मैं भी खाना चाहता था। आंखे तो है नहीं लेकिन अहसास तो हो ही जाता था। तकरीबन 12 साल का था मैं तो मेरा भाई मेरे हाथ पर कूद गया। जिससे मेरा हाथ टूट गया लेकिन मेरा इलाज नहीं कराया गया। उसकी वजह से मेरा हाथ इतना कमजोर हो गया कि 5 बार टूट चुका है।

मै मां-बाप के साथ अब नहीं रहता हूं

दीपक कहते हैं मैं जैसे जैसे बड़ा होता गया मुझे अपना अच्छा बुरा समझ आने लगा। चूंकि बाबा ने भी मां-बाप की करतूतों के चलते जायदाद हम भाइयों के नाम की थी लेकिन उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के सहारे मेरे हिस्से की जमीन बेचने लगे। जबकि भाइयों को रूपए पैसे का लालच देकर अपनी तरफ मिला लिया। हालांकि, मेरे भाइयों को भी मुझसे कोई लगाव नहीं है। यही वजह थी कि मैं अपनी चचेरी बहन के यहां रहने लगा। अभी कुछ दिन पहले मैंने पुलिस में मैंने एप्लीकेशन दी थी कि मेरे मां बाप ने मेरे साथ धोखा किया है तो उन्होंने पुलिस को रिश्वत खिला दी। पुलिस वालों ने मेरी बहन के साथ मेरे गलत संबंध बताये। साथ ही मेरी बहन को भी थाने बुलाकर बेइज्जत किया। यही नहीं बिना मेरी मर्जी मेरी कस्टडी मेरे मां बाप को दे दी।

पिता ने बांध कर मारा तो मां ने पांच दिन तक नहीं दिया खाना

दरअसल, एक जमीन जोकि मेरे नाम है पिता सतीश उसे बेचना चाहते हैं लेकिन मैं नहीं बेचना चाहता हूं। इसीलिए मुझे परेशान किया जा रहा है। घर लाने के बाद मेरे पिता ने मुझे जबरन बांध कर पीटा। यही नहीं मां ने मुझे 5 दिन तक खाना नहीं दिया। मैं रोता रहा चिल्लाता रहा लेकिन किसी को मेरे ऊपर तरस नहीं आया। मैंने पुलिस को 112 पर कॉल करना चाहा तो मेरा मोबाइल तोड़ दिया गया। रक्षाबंधन पर मैं बहन से राखी बंधवाने के बहाने घर से किसी तरह भाग आया।

मीडिया से माता-पिता ने नहीं की बातचीत

यही नहीं जब हमने दीपक के मां-बाप से बात करने के लिए उनके मोबाइल नंबर पर कॉल किया तो उन्होंने जैसे ही सुना कि मीडिया से बोल रहे हैं फोन काट दिया। इसके बाद से कई बार फोन मिलाने पर भी उनसे संपर्क नहीं हो सका है।

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