*खागा/फतेहपुर*ऐसा ही एक मामला ज्ञान के दाता गुरु और शिष्य के बीच ज्ञानेन्द्र बाल विद्या मन्दिर विद्यालय सुजरही का है।जहां कोविड-19 जैसी महामारी में सरकार के आदेश पर संपूर्ण लॉकडाउन में बीते डेढ़ वर्ष से अभिभावक अपने बच्चों की पेंन, पेन्सिल, ड्रेस के लिए त्राहि-त्राहि कर रहे हैं।सरकार द्वारा आदेश जारी होते ही हाल ही में महीनों नहीं बीतेकी विद्यालय प्रबंधक व प्रधानाचार्य मिलकर *अपनी कमाऊ नींति से बीते वर्ष की शिक्षा शुल्क उगाहने का दबाव बनाने में लगे हुए हैं*ड्रेस कॉपी किताब के कमीशन खोरी की दुकानों का तो कोई ध्यान ही नहीं देता।चाहे शिक्षा विभाग उच्च अधिकारी हो या कर्मचारी सबसे बड़ी बात यह सामने आ रही है।मानक विहीन विद्यालयों को मानता भी मिल जाती है केवल कागज के नक्शे पर_____🤫
अफसोस तो इस बात का है
*जहां पर 8 और 10 के पढ़ने वाले बच्चे ही महज 15 साल की उम्र के लडके, लडकिया हाई स्कूल व इंटर मीडिएट के बच्चों को पढाते हैं*
जबकि मान्यता सिर्फ जूनियर तक की ही प्राप्त बताई जा रही है खागा तहसील क्षेत्र में ऐसे ही मानक विहीन दर्जनों विद्यालय शिक्षा के नाम पर कमाई कर रहे हैं जबकि 10×10के कमरे मे 30 से 40 बच्चे बैठा कर पढ़ाया जा रहा है सरकार के आदेशानुसार 2 गज की दूरी है बहुत जरूरी विद्यालय प्रबंधक इनकी धज्जियां उड़ा रहा है /आखिर इन पर लगाम कब लगेगी क्या आला अधिकारी इन काले कारनामों से अनभिज्ञ हैं या फिर इसका कोई बड़ा राज है/
जहां अभिभावकों के सिर में एक और संकट की घड़ी मॅडरा रही है तीसरी लहर अपनी तेजी से असर दिखा रही हैतो क्या सरकार के-जी,से कक्षा 5 तक के बच्चों की शिक्षा सुचारू रूप से चला पाएगीइधर विद्यालय प्रबंध तंत्र विद्यालयों से जमकर वसूली में लगे हुए हैं।या भ्रष्टाचारी कमाऊ शिक्षा विभाग इन विद्यालयों को इसी प्रकार से लूटने देगा और अभिभावकों को लुटने देगा
*बिना मान्यता प्राप्त विद्यालय —-*’
बिना मानक के बने कमरे ——–
*बिना बिना डिग्री के अध्यापक ——–*
,*दे रहे हैं बच्चों को शिक्षा___
आखिर सरकार इन पर क्या एक्शन लेती है य फिर गुलाबी चॉकलेट के चलते ठंडे बस्ते में डाल इनकी तरफ ध्यान ही नहीं देती है।