गोरखपुर की 8 जेलों में मां के गुनाहों की सजा काट रहे 55 मासूम, शातिर महिला अपराधियों के बीच गुजर रहा बेगुनाह मासूमों का बचपन

यूपी  के गोरखपुर जोन के जेलों में बिना किसी जुर्म के ही 55 मासूम बच्चे जेल में सजा काट रहे हैं। ये सुनकर थोड़ी हैरानी जरूर होगी लेकिन अपनी मां के गुनाहों की सजा इन 55 मासूमों को भुगतना पड़ रहा है।

जबकि इनमें से अधिकांश मासूमों को यह पता भी नहीं है कि वे कहां पर हैं और क्यों हैं? इतना ही नहीं बल्कि इनमें से कई बच्चों ने तो जेल में ही जन्म लिया है। ऐसे में इन्हें देखकर हर किसी की आंखे भर जाती हैं और उनके मुंह से निकल जाता है कि आखिर इनका क्या जुर्म था जो इन्हें जन्म लेने के बाद ये दिन देखना पड़ रहा है।

सिमट रहा जेल की उंची दीवारों के बीच  बचपन
दरअसल, गोरखपुर जोन में गोरखपुर जेल समेत, देवरिया, महाराजगंज, बस्ती, सिद्धार्थनगर, आजमगढ़, बलिया कारागार आता है। यहां अलग- अलग जुर्म में महिला और पुरूष दोनों बंदी आते हैं। इसमे दहेज समेत कई मामलों में महिलाएं भी बंद हैं। जिनके परिवार में मासूमों की देखभाल करने वाला कोई नहीं होता, उन नौनिहाल को भी मां संग जेल में सजा काटनी पड़ रही है।

जेल प्रशासन के आकड़ों के मुतािबक गोरखपुर में 8, देवरिया में 13, महाराजगंज में 9, बस्ती में 10, सिद्धार्थनगर में 4, आजमगढ़ में 3, बलिया में 3 और मउ में 5 मासूम अपनी मां के साथ जेल में बंद हैं। उंची- उंची जेल की दीवारों के बीच मासूम बच्चों का बचपन उनकी खिल-खिलाहट गुम हो गई है।

8 जेलों में बंद हैं गोरखपुर की 630 महिलाएं
वहीं, गोरखपुर जोन के 8 जेलों में कुल 630 महिला बंदी हैं। इसमे ज्यादातर महिलाएं घर के झगड़े और दहेज और हत्या जैसे संगीन मामले में जेल पहुंची हैं। हालांकि जेल प्रशासन का दावा है कि इन महिलाओं के लिए जेल में खास इंतजाम रहता है। बच्चों की देखभाल और पढ़ाई- लिखाई जेल प्रशासन उठाता है। महिला बंदियों को 6 साल तक के बच्चों के साथ मदर सेल में रखने का प्रावधान है। कई ऐसी महिलाएं भी हैं जिनके 3- 3 बच्चें उनके साथ जेल में सजा काट रहे हैं।

गोरखपुर जेल में हैं 8 मासूम
वहीं, वरिष्ठ जेल अधिक्षक ओपी कटियार का कहना है कि मौजूदा समय में यहां पर 8 बच्चे अपनी मां के साथ रह रहे हैं। इसमे 3 लड़के और 5 लड़कियां शामिल हैं। मां के साथ रहने के साथ ही खेलने और पढ़ने का पूरा इंतजाम किया गया है। जेल में रहते हुए भी यहां का कोई असर उनपर नहीं पड़ने दिया जाता है। लेकिन खेलने की उम्र में इन मासूमों को बचपन महिला अपराधियों के बीच गुजर रहा है।

महिला ने दिया था जेल में ही  बच्चे को जन्म
वहीं, बीते 29 अगस्त को जेल प्रशासन की देख-रेख मे रीना नाम की बंदी ने जेल में ही बेटे को जन्म दिया। जेल में बच्चे के पैदा होने के बाद जेल प्रशासन ने उसका नाम कान्हा रख दिया। बांसगांव के डांड़ी रावत गांव निवासी हरिशंकर यादव की पत्नी रीना यादव को जनवरी महीने में गैंगस्टर एक्ट में गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेजा था। रीना जब जेल आई तब वह गर्भवती थी। जेल प्रशासन को जब इसकी जानकारी हुई तो रीना की जेल में समुचित व्यवस्था की गई थी। फिर उसने जेल में ही बेटे को जन्म दिया।

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