दुर्गावती (कैमूर) जिला के स्थानीय थाना क्षेत्र के दहियाव गांव में विगत 5 वर्षों से ग्रामीण महिलाओ के द्वारा हिन्दुओ का महान त्यौहार छठ की पूजा नहीं हो पा रही है। बताते चलें की गांव के पूरब तरफ त्रिकोण शीतला मंदिर के स्थान पर एक त्रिकोण पोखरा का निर्माण कराया गया था। जो पोखरा आज अतिक्रमण के चपेट में है। कुछ वर्ष पहले पूर्व मुखिया के द्वारा सुंदरीकरण के नाम पोखरे को सही रूपरेखा में लाने का प्रयास किया गया लेकिन बीच में पैसे की निकासी कर ली गई और पोखरे का सही काम नहीं हो पाया ।प्रशासन के हस्तक्षेप से पोखरे का पैसा तो जमा करा लिया गया वही अपनी बदहाली पर पोखरे को छोड़ देना प्रशासन उचित समझा। पोखरे का पश्चिमी तट टूट जाने से ग्रामीणों के नाली से पानी निकलने वाले पोखरी के पानी का संपर्क हो गया है जिसे गंदा पानी पोखरे में पूरी तरह से भर गया है । तथा दोनों का मिलान हो गया गंदे नालों के पानी का निकास कुछ ग्रामीण किसानों के द्वारा पूर्ण तरह से पाट कर बाधित कर दिया गया जिससे आज जलजमाव की स्थिति बनी हुई है। ग्रामीण देश के सबसे व्यस्ततम रोड नेशनल हाईवे 2 से 2 किलोमीटर दूर जाकर दुर्गावती नदी में छठ करने को विवश हैं। कभी-कभी तो छठ के दौरान कई घटनाएं हो चुकी है। ग्रामीणों कहना है की पोखरे का तत्काल सफाई और पोखरी का जल निकासी हो जाए तो ग्रामीणों के द्वारा आसानी से छठ किया जा सकता है। साथ ही टूटे हुए किनारे को थोड़ी मिट्टी डालकर भर दिया जाए तो अभी भी ग्रामीण छठ कर सकते हैं। भविष्य में पोखरी का सौंदर्य जिय करण कराकर पोखरे को अस्तित्व में लाया जा सकता है।