कंटेनर और ट्रैवलर की भिड़ंत से लगी आग में  माता-पिता के सामने जल गए तीन बच्चे

  गुना के पास कंटेनर और इंदौर से रवाना हुई ट्रैवलर की भिड़ंत में इंदौर के शर्मा परिवार के तीन चिराग एक साथ बुझ गए। हादसा होते ही दो बच्चे ड्राइवर सीट के पास बैठे होने से मौके पर ही दम तोड़ चुके थे वहीं एक जिंदा बचा था लेकिन पैरों से फंस जाने के कारण उसे परिवार वाले निकाल पाते उससे पहले ही गाड़ी ने आग पकड़ ली और वह माता-पिता व परिजन के सामने जिंदा जल गया। जलने से पहले वह सभी को दूर रहने का बोल चीखता रहा बाद में पूरी ट्रैवलर ने आग पकड़ी तो तीनों बच्चों के कंकाल ही मिले। शुक्रवार को तीनों के कंकाल पोटली में इंदौर लाए गए और पंचकुइय्या मुक्तिधाम पर उनका एक साथ अंतिम संस्कार किया गया।

गुरुवार रात द्वारकापुरी में रहने वाले शर्मा परिवार के 20 सदस्य बच्चों सहित गोवर्धन पूजा के लिए मथुरा और राजस्थान दर्शन के लिए निकले थे। तड़के साढ़े तीन से चार बजे के बीच गुना के पास बरखेड़ा खुर्द में इस परिवार की ट्रैवलर गाड़ी बायपास पर खड़े कंटेनर में पीछे से जा घुसी थी।  इसमें ड्राइवर सीट के पास बैठे माधव (20) पिता जगदीश शर्मा, दुर्गा (13) पिता जगदीश शर्मा और रोहित (19) पिता रामकिशन शर्मा की मौत हो गई। हादसे में टक्कर के बाद ट्रैवलर गाड़ी का 6 फीट का अगला हिस्सा क्रैश होकर कंटेनर में जा घुसा था। इसमें माधव और दुर्गा ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था। रोहित ट्रक की ओर ट्रैवलर में फंसा था। लेकिन कोई उसे बचा पाता तब तक ट्रैवलर में ही आग लग गई। गनीमत रही की पीछे का दरवाजा खुल जाने से शर्मा परिवार के 17 सदस्य व छोटे बच्चों को गोद में लिए उनकी मां नीचे उतर गई। तो उनकी जान बच गई।

जब  तक आग बुझी सिर्फ अवशेष ही बचे मिले 
ट्रैवलर के आग पकड़ लेने से तीनों बच्चे अंदर ही आग में झुलस गए। फायर ब्रिगेड पहुंचकर आग बुझाती तब तक तीनों कंकाल में तब्दील हो चुके थे। अपने बच्चों को बचाने के लिए उनके माता-पिता कोशिशें करने लगे। नंगे पैर फूटे कांचों में दौड़कर मां व पिता के पैर घायल हुए लेकिन बच्चों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पर जब पूरी ट्रैवलर आग की चपेट में आई तो पुलिस व राहगीराें ने परिवार को उससे दूर कर दिया। सभी बच्चे माता-पिता के सामने आग की चपेट में जल गए।

 लाए गए पोटलियों में शव
शुक्रवार दोपहर 4 बजे शर्मा परिवार के घायल सदस्य तीनों बच्चों के शव पाेटलियाें में लेकर इंदौर द्वारकापुरी स्थित घर आए तो पूरे गली में मातम का माहौल था। दिन रात बच्चों को गलियों में खेलता- कूदता देखने वाले पोटलियों में उनके शव देख बदहवास हो गए। परिवार ने पंचकुइय्या में अंतिम संस्कार किया। वहीं शनिवार को तीनों का उठावना भी एक साथ हुआ।

  पढ़ाई कर रहे थे बच्चे

संतोष ने बताया माधव पीएससी की तैयारी कर रहा था। परिवार में वह इकलौता लड़का था। अब उसकी बहन बची है। वहीं दुर्गा 7वीं कक्षा की छात्रा थी उसकी दो बहनें और एक भाई है। रोहित 12वीं का छात्र था। उसका एक बड़ा भाई है। दुर्गा और रोहित के पिता प्रायवेट जॉब करते हैं वहीं माधव के पिता पंडित हैं। हादसे ने पूरे परिवार को झकझोर दिया है।

संतोष शर्मा ने बताया कि उन्होंने पहले 17 सीटर ट्रैवलर की थी, लेकिन बाद में परिवार के तीन सदस्य और बढ़े तो उन्होंने दूसरी गाड़ी कर 20 सीटर मंगवा ली। निलेश खत्री गाड़ी लाया तो परिवार के लोगों ने उसे गाड़ी तेज चलाने पर दो बार टोका भी लेकिन वह काफी तेज चला रहा था। कुछ लोगों ने उसके नशे में होने की बात भी पुलिस को कही है। हादसे के बाद निलेश गाड़ी से उतर गया। लेकिन बच्चे दब गए तो तीनों बच्चों के माता-पिता ने उसे वहीं पीटना शुरु कर दिया। इस पर वह भाग निकला।

हादसे के प्रत्यक्षदर्शी संतोष शर्मा ने बताया, हमारी गाड़ी का अगला हिस्सा 6 फीट तक कंटेनर में जा घुसा था। ड्राइवर निलेश खत्री बस से उतर गया था लेकिन उसके पास बैठे तीनों बच्चे अंदर ही दबकर लहूलुहान थे। दुर्गा और माधव तो दम तोड़ चुके थे लेकिन रोहित कंटेनर और ट्रैवलर में दबा था। उसकी मां व पिता गाड़ी में पिछले हिस्से से उसे बचाने घुसे लेकिन सभी ने धुआं उठता देख उन्हें खींच लिया। तभी अचानक गाड़ी ने आग पकड़ ली और वह चीखने लगा काका दूर हट जाओ अब मैं नहीं बचूंगा। मेरे पैर जल गए हैं मैं भी जल रहा हूं। तुम मेरे मम्मी-पापा का ध्यान रखना। इतना बोलते ही आग भभक गई और उसकी चीखें भी रुक गईं। आग बुझने के बाद तीनों के कंकाल ही सीट पर मिले।

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