ज्ञापन में मांग की है कित्रिपुरा में राज्य प्रायोजित मुस्लिम विरोधी हिंसा को उजागर करने वाले वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर गैर कानूनी तरीके से यूएपीए के तहत लगाए गए फ़र्ज़ी मुकदमों को हटाने के संदर्भ में।*
जैसा कि आपके संज्ञान में होगा कि पिछले दिनों ही त्रिपुरा में मुस्लिम समाज की इबादतगाहों और संपत्तियों पर आरएसएस, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों ने हमले किये। जिसमें दर्जनों मस्जिदों, मजारों और दुकानों को क्षति पहुंची। इन हमलों को राज्य की बिप्लव कुमार देब सरकार का पूरा संरक्षण प्राप्त था। इसीलिए दोषियों के खिलाफ़ कोई कार्यवाई नहीं की गयी। वहीं अब इन आतंकी घटनाओं को देश के सामने अपनी जाँच के ज़रिये लाने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्राकरों पर भी राज्य सरकार ने यूएपीए के तहत फ़र्ज़ी मुकदमे दर्ज कर दिये हैं। जो सच्चाई को दबाने का आपराधिक कृत्य है।अतः आपसे निवेदन है कि अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी का निर्वहन करते हुए त्रिपुरा सरकार को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी, अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव, अधिवक्ता अंसार इंदौरी, नागरिक अधिकार संगठन पीयूसीएल के अधिवक्ता मुकेश, पत्रकार श्याम मीरा सिंह पर लगाए गए यूएपीए के फ़र्ज़ी मुकदमों को तत्काल वापस लेने का निर्देश दें।ज्ञापन देने में पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश दीक्षित, अल्तमश हुसैन, वहीद अहमद,इबाद सिद्दीकी, अशोक वीर चौहान, रामहित निषाद,बी लाल, शोएब रिज़वी, इरफान खान, केपी। सेन,अल्लाह रखु, शबे खान,मुन्नू खान,नाथूराम सेन,अशोक वर्धन, सलमान, रईस, रशीद,सुखदेव गांधी, छेदीलाल,वसीक, इत्यादि कांग्रेस ज़न मौजूद रहे।