लोक आस्था का महापर्व छठ पर्व पर सुनीं ना अरजिया हमार, ए छठी मइया…, कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए… आदि छठ मइया के गीत गाते हुए सिर पर टोकरी लिए, नंगे पांव गाजे-बाजे के साथ बुधवार शाम को श्रद्धालु घाट पर पहुंचे। इसी क्रम में प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के पीआरओ पंकज गुप्ता अपने पितृ गांव कुशीनगर जनपद के जटहाँ गांव स्थित छठ घाट पर सर पर टोकरी लिए नंगे पांव परिजन व श्रद्धालुओ के साथ जटहाँ घाट पर पहुंचे।इस दौरान श्री पंकज गुप्ता ने कहा कि छठ पर मान्यता है कि छठी मैय्या के पूजन से संतान सुख तथा संतान को दीर्ध आयु और स्वास्थ्य मिलता है। हालांकि छठ पर्व लोक आस्था का पर्व है। प्रारंभ में ये पर्वबिहार,झारखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्वाचंल में मनाया जाता था, लेकिन आज ये देश के कोने-कोने में मनाया जाने लगा है। छठ पर्व का उल्लेख रामायण, महाभारत और पुराणों में भी मिलता है। भगवान सूर्य की आराधना के छठ पर्व की शुरूआत का श्रेय सूर्य पुत्र कर्ण को दिया जाता है। महाभारत में वर्णन है कि कर्ण रोज जल में आधा डूब कर सूर्य देव को अर्घ्य देता था। तब से ही सूर्य देव को इस प्रकार से अर्घ्य प्रदान करने की परंपरा शुरू हुई है। हालांकि इसके अलावा महाभारत में कुंती और द्रौपदी के भी छठ का व्रत रखने का उल्लेख मिलता है। भगवान सूर्य के प्रताप से ही कुंती को कर्ण जैसा पुत्र प्राप्त हुआ था। द्रोपदी के छठ का व्रत रखने से पांडवों को जुए में हारा हुआ राज पाट वापस मिला था।इसके अतिरिक्त मार्कण्डेय पुराण में छठी मैय्या और छठ पर्व का उल्लेख मिलता है। पुराण के अनुसार छठी मैय्या प्रकृति की अधिष्ठात्री देवी हैं और भगवान सूर्य की बहन हैं। सुहागिन महिलाओं को संतान का सुख और संतान को दीर्ध आयु तथा सौभाग्य प्रदान करती हैं। शिशु जन्म के छठे दिन इन्हीं छठी मैय्या का पूजन होता है। इनके प्रताप से ही संतान सुख और समृद्धि प्राप्त करती हैं।साथ ही उन्होंने बताया कि मोदी व योगी की सरकार भारतीय संस्कृति के मूल तत्व को पोषित करने व भव्यता देने का काम कर रही है। आज योगी सरकार में आध्यात्मिक केंद्रों के पर्यटन, धार्मिक व सांस्कृतिक विकास का काम लगातार चल रहा है।