दक्षिण कोरिया सरकार की ओर से कहा गया है कि कि कुत्ते का मांस खाने को गैरकानूनी घोषित करने पर विचार करने के लिए वह कार्य बल का गठन करेगा। कुत्ते के मांस पर बैन लगाने की बात ऐसे वक्त पर कही जा रही है जब दक्षिण कोरिया में पशु अधिकार और खाने के लिए कुत्तों को मारने की विवादास्पद प्रथा पर बहस चल रही है। कुछ वक्त पहले ही दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने करीब दो महीने पहले देश में कुत्ते का मांस खाने की सदियों पुराने खाने-पीने की इस आदत को बदलने पर विचार करने की पेशकश की थी।
.दरअसल दक्षिण कोरिया में कुत्ते का मांस बेचने वाले रेस्तरां बंद होने की कगार पर हैं क्योंकि युवा वर्ग कुत्ते का मांस खाना कुछ खास पसंद नहीं कर रहा है और पालतू जानवर का चलन भी बढ़ रहा है। इसके बावजूद हाल में हुए सर्वेक्षण में ऐसा सामने आया है कि भले ही लोग कुत्ते का मांस न खाते हों लेकिन ज्यादा से ज्यादा लोग इस पर प्रतिबंध लगाने के विरूद्ध हैं। कृषि मंत्रालय सहित सरकार के सात विभागों द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि उन्होंने अधिकारियों नागरिक/असैन्य विशेषज्ञों और संबंधित संगठनों से जुड़े लोगों का एक समूह गठित करने का फैसला लिया है जो कुत्ते के मांस पर प्रतिबंध लगाने की संभावनाओं पर अपना विचार/सिफारिश दे सके। बयान में कहा गया है कि प्रशासन कुत्तों के फार्म, रेस्तरां और अन्य जगहों से भी सूचनाएं एकत्र करेगा और इस संबंध में जनता के विचार जानेगा।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण कोरिया के गोरियो और जोसियन राजवंश के वक्त कुत्ते का मांस का सेवन किया जाता था। उस वक्त कुत्ते का मांस सूअर और गोमांस के मुकाबले बहुत ही आसानी से मिल जाता था। बाद से कुत्ते के मांस को मर्दानगी और समाज के ताकतवर हिस्से से जोड़ा गया। उस वक्त कहा जाता था कि जो लोग कुत्ते के मांस का सेवन करते हैं उनकी ताकत में इजाफा होता है।
दक्षिण कोरिया की ओर से पहला प्रयास होगा लेकिन सरकार का कहना है कि इस पूरी कवायद का मतलब यह नहीं है कि कुत्ते का मांस खाने पर प्रतिबंध लगाया ही जाएगा। हालांकि सरकार के इस ढुलमुल रवैये के चलते उसे कुत्ते पालने वाले लोगों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं दोनों ही की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
कुत्ता पालने वाले किसानों के संघ के महासचिव जो यांगबांग के अनुसार दक्षिण कोरिया में प्रति वर्ष खाने के मकसद से करीब 10 से 15 लाख कुत्तों को मार दिया जाता है।10-20 साल पहले इनकी संख्या कई लाख होती थी। देश में इस समय हजारों किसान प्रति वर्ष मांस प्राप्त करने के लिए 10 से 20 लाख कुत्तों का प्रजनन करवाते हैं।