तीर्थंकर बालक का जन्म होते ही झूम उठी अयोध्या नगरी* *व्यूरो संजीव शर्मा*

 

न्यूज वाणी इटावा। रामलीला मैदान अयोध्या नगरी बनकर तैयार, 70 साधूओं का होगा महासंगम में अयोध्या नगरी में तीर्थकर बालक का जन्म होते ही पूरी अयोध्या नगरी खुशी से झूम उठी, चारो और बधाइयां और नृत्य के साथ जमकर एक दूसरे को बधाईयां दी। पूरे नगर में इन्द्रों ने रत्नों की वर्षो की वहीं हाथी घोड़ो पर बैठकर अन्य राज्यों के इन्द्र भी अयोध्या नगरी पहुंचे। यह पूरा दृश्य रामलीला रोड स्थित हिन्दू हॉस्टल में चल रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव में दर्शाया गया।
पंचकल्याणक महोत्सव पंडाल में प्रातः 6.30 बजे जिनाभिषेक, नित्यार्चना प्रारम्भ हुई। गणाचार्य विराग सागर जी महाराज एवं आचार्य प्रमुख सागर जी महाराज अपने संघ सहित पंचकल्याण के मंच पर विराजमान हुए। जिनका पाद प्रछालन सुबोध प्रकाश जैन, विशाल जैन परिवार द्वारा किया गया। मेडिटेशन मुनि श्री विहसंत सागर जी महाराज की देखरेख में माता मरू देवी रचना जैन द्वारा तीर्थंकर बालक को जन्म दिया। जन्म की खुशियां बाहर आते ही पूरी अयोध्या नगरी में बधाइयां गूंज उठी। चारो और तीर्थंकर बालक के जन्म होने की खुशियां मनायी गयी कुबेर इन्द्र अनूप जैन,सविता जैन परिवार द्वारा रत्नों की वर्षा की गयी तो सौधर्म इन्द्र तरूण जैन अपने अन्य इन्द्रों सानत कुमार इन्द्र नरेश जैन, ईशान इन्द्र विशाल जैन, माहेन्द्र इन्द्र टिंकू जैन, ब्रहम इन्द्र सुशील जैन, ब्रइमोत्तर इन्द्र रवीन्द्र जैन, लांतव इन्द्र राहुल जैन, कापिष्ठ इन्द्र अनूप जैन, शुक्र इन्द्र महेन्द्र जैन हाथी और रथों पर सवार होकर अयोध्या नगरी में प्रवेश किया। तीर्थकर बालक को ऐरावत हाथी पर बैठाकर पाण्डुक वन की ओर प्रस्थान किया। सायं 7 बजे धर्मचन्द्र जैन, राहुल जैन परिवार को महाआरती का सौभाग्य प्राप्त हुआ। पूर्व सांसद रघुराज सिंह शाक्य ने महोत्सव पंडाल पहुंचकर आरती रात्रि 8 बजे से तीर्थंकर बालक को पालना झुलाया गया, बाल क्रीड़ा का मनोहारी दृश्य का मंचन मंच कलाकार उमेश जैन द्वारा किया गया। महिला एवं बालिका मंडल बरहीपुरा द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।तीर्थंकर बालक का हुआ 1008 कलशों से अभिषइटावा। तीर्थंकर बालक का जन्म होते ही सौधर्म इन्द्र सहित अन्य इन्द्रों द्वारा पाण्डुक शिला पर तीर्थंकर बालक का 1008 कलशों से अभिषेक हुआ। जिसके बाद अयोध्या नगरी की जनता (श्रद्धालुओ) द्वारा बारी-बारी से स्वर्ण कलशों से तीर्थंकर बालक का अभिषेक किया गया। हर्ष उल्लास के साथ एक दूसरे को बधाईयां दी गयी।

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