न्यूज़ वाणी इटावा – सैफई उ0प्र0 आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई के पैथोलॉजी एवं ब्लड बैंक विभाग तथा राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको)े के सहयोग से वर्ल्ड एड्स डे पर मेगा स्वैछिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 (डा0) रमाकान्त यादव ने किया। इस अवसर पर संकायाध्यक्ष डा0 आलोक कुमार, संकायाध्यक्ष छात्र कल्याण प्रकोष्ठ डा0 आलोक दीक्षित, संयोजक कोविड एवं नॉन कोविड अस्पताल डा0 एसपी सिंह, विभागाध्यक्ष पैथोलॉजी एवं ब्लड बैंक डा0 पिंकी पाण्डेय, चिकित्सा अधीक्षक डा0 आदेश कुमार, डा0 आई के शर्मा, कुलसचिव सुरेश चन्द्र शर्मा, ब्लड बैंक प्रभारी डा0 रूपक अग्रवाल, इंचार्ज ब्लड बैंक डा0 श्वेता चौधरी, फैकेल्टी पैथोलॉजी डा0 संजीव कुमार सिंह, डा0 संजय कुमार कन्नौजिया आदि उपस्थित रहे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 डा0 रमाकान्त ने स्वैच्छिक रक्तदान करने वालों को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया। इस दौरान 56 रक्तदाताओं ने स्वैच्छिक रक्तदाता किया तथा 84 ने स्वैच्छिक रक्तदान हेतु रजिस्ट्रेशन कराया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 (डा0) रमाकान्त यादव ने कहा कि वर्ल्ड एड्स डे मनाने का उद्देश्य एचआईवी संक्रमण के प्रति जागरूक करना है। इसके अलावा आज के दिन मेगा स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन कर विश्वविद्यालय स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देना चाहता है ताकि रक्त की कमी से किसी की मृत्यु न हो। उन्होंने कहा कि रक्तदान के माध्यम से आप किसी की जिन्दगी बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में तकनीकी विकास के कारण एक व्यक्ति के दिये गये रक्त से दो-तीन मरीजों का जीवन बचाया जा सकता है।
चिकित्सा अधीक्षक डा0 आदेश कुमार ने कहा कि आज रक्तदान की भ्रान्तियों से जनसामान्य को जागरूक करने की आवश्यकता है। प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति का यह सामाजिक दायित्व है कि खुद रक्तदान करने के साथ अपने परिवार के सदस्यो, मित्रों एवं अन्य लोगों को भी स्वैच्छिक रक्तदान के लिए प्रेरित करे।
ब्लड बैंक प्रभारी डा0 रूपक अग्रवाल ने एचआईवी एड्स पर बोलते हुए कहा कि एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसमें इंसान की संक्रमण से लड़ने की शरीर की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। हालांकि इतने सालों बाद भी अबतक एड्स का कोई प्रभावी इलाज नहीं है। उन्होंने बताया कि विश्व एड्स दिवस 2021 की थीम ‘असमानताओं को समाप्त करना और एड्स का खतमा है।‘