ऑनलाइन गेम खेलने से रोकने पर कर रहे बच्चे माता-पिता से ही मारपीट, 23 बच्चे पोर्न ग्रुप से जुड़े मिले,बदल रहे है हार्मोन्स तक

कोरोनाकाल में ऑनलाइन क्लासेज के लिए तीन से चार घंटे मोबाइल पर बीताने वाले नाबालिग अब मनोरोग के शिकार हो रहे हैं। सबसे डरावनी बात यह है कि ऑनलाइन क्लासेज के साथ ही ऑनलाइन गेम की लत से बच्चे हिंसक हो रहे हैं मोबाइल देखने से मना करने या छीनने पर अपने माता-पिता से ही मारपीट पर ऊतारू हो रहे हैं। काउंसलिंग में यह सामने आया है कि कई बच्चों का मोबाइल स्क्रीन टाइम 8 से 10 घंटे तक हो चुका है इस दौरान वे इंटरनेट पर कौन सा गेम खेल रहे हैं और क्या सर्च कर रहे हैं, इसकी जानकारी परिजनों को नहीं होती है।

है सभी बच्चों की उम्र 12 से 16 साल के बीच

जेएलएन अस्पताल के मनाेराेग विभाग में अब ऐसे बच्चे आ रहे हैं जाे मोबाइल पर गेम खेलने से मना करने पर परिजनाें के साथ मारपीट व हिंसक गतिविधियां करने पर उतारू हाे गए हैं। इन बच्चाें के माेबाइल जांचने पर सामने आया है कि कई बच्चाें ने पाेर्न वीडियो तक अपलोड कर रखे हैं। इनके माेबाइल में सेक्स चैटिंग ग्रुप तक हैं। इनमें 23 बच्चे जुड़े मिले हैं।

मनाेराेग विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र कुमार जैन ने जब काउंसलिंग की ताे पता चला कि ये बच्चे पूरी तरह से माेबाइल एडिट हाे चुके हैं। एक तरह से माेबाइल इनके लिए नशा है। सभी बच्चों की उम्र 12 से 16 साल के बीच है। हर दिन 5 से 7 नाबालिगों की काउंसलिंग की जा रही है। मंगलवार को ही 10 नाबालिग को लेकर उनके माता-पिता मनोरोग यूनिट पहुंचे थे। इनमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं।

मोबाइल की लत से चिढ़चिढ़ा होना, याददाश्त कमजाेर हाेना, भूख नहीं लगना, दिनभर अलग कमरे में रहना, दूसराें से बात करते समय स्वभाव बदल जाना, नींद नहीं आना, परिजनाें के बीच बैठे रहने या टीवी चलने के बावजूद माेबाइल पर खेलते रहना, पढ़ाई में मन नहीं लगना, रात में तीन से चार बजे तक माेबाइल पर लगे रहने जैसी खतरनाक लक्षण और आदतें सामने आई हैं।

शरीर में कमजोरी, कम उम्र में ही मासिक धर्म की शुरुआत

जेएलएन अस्पताल के मनोरोग विभाग में काउंसलिंग में कई लड़के-लड़कियाें ने बताया कि उन्हें सेक्स की आदत हाे गई है। वे टायलेट में कई अनैतिक गतिविधियां करते हैं, इसमें लड़कियाें की संख्या काफी अधिक है। नाबालिगों ने बताया कि वे पाेर्न साइट देखने के एडिक्ट हैं। वे ऑनलाइन क्लासेज के दौरान ही इंटरनेट पर कई अश्लील साइटें देखने लगे। कई पोर्न ग्रुप में वे अश्लील जोक, फोटो या वीडियों शेयर करते हैं। इसी कारण इनके शरीर में जहां कमजाेरी आ गई है, वहीं समय से पहले लड़कियाें में मासिक धर्म भी शुरू हो चुका है।

कई छात्र डिप्रेशन के शिकार मिले
विभागाध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि कुछ समय पहले डाॅ. केके शर्मा व उनकी टीम ने शहर के 70 प्रतिशत काेचिंग सेंटर का सर्वे किया ताे खुलासा हुआ कि आधे से अधिक बच्चे माेबाइल एडिट हाेने के साथ ही डिप्रेशन के शिकार हाे गए हैं। कई बच्चाें में इसके लक्षण पहले ही नजर आ गए थे।
रखें बच्चों पर नजर
^प्रतिदिन आठ से दस बच्चे माेबाइल एडिट के सामने आ रहे हैं। अभिभावकाें काे चाहिए कि वे आनलाइन पढ़ाई कर रहे बच्चाें पर नजर रखने के साथ ही एक से डेढ़ घंटे से ज्यादा मोबाइल इस्तेमाल नहीं करने दें। यदि बच्चाें में सिर दर्द, चिढ़चिढ़ापन की लगातार शिकायत है ताे तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं।

हार्मोन्स में दिखने लगा असर
काउंसलिंग में पता चला कि लड़के व लड़कियाें दाेनाें के हार्मोन्स में अंतर आने लगा है। बायाेलाॅजिकल क्लाॅक के तहत रात दस बजे हार्माेन एक्टिव हाेते हैं कि शरीर काे अब साेना है। यही हार्मोन्स सुबह छह बजे उठा देते हैं। पहले के लाेगाें में यही बात थी कि वह स्वस्थ रहते थे, लेकिन अब माेबाइल के कारण हार्मोन्स में अंतर आ गया है। नींद पूरी नहीं हाेने के कारण सुबह समय पर उठा नहीं जाता। दिनभर थकान की स्थिति रहती है। कई बच्चाें की गर्दन में झुकाव अा गया है।

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