न जाने आखिर सरकारी नौकरों का अपने वेतन से क्यूँ नहीं भरता पेट*–राजेश यादव

राजस्व विभाग के कानूनगो व लेखपालों का रिश्वतखोरी में आये दिन उजागर होता है मामला*

 

*बीते दिनों भी तहसील- खागा के लेखपाल का ऑडियो वायरल होने पर हुई थी विभागीय कार्यवाही फिर भी सबक नहीं लेते दिखे राजस्वकर्मी*तहसील – खागा में तैनात कानूनगो व लेखपाल पर फिर लगे गंभीर आरोप*

*राजस्व निरीक्षक एवं लेखपाल पर सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण कराए जाने को लेकर शिकायतकर्ता ने कही रिश्वतखोरी की बात*

*फतेहपुर टेकारी के शिकायतकर्ता ने निर्माण कराने के एवज़ में कानूनगो ओम प्रकाश वर्मा द्वारा 5000 रुपये की बात पर 2500 रुपये एडवांस दिए जाने तथा तत्कालीन लेखपाल रहे प्रदीप बाजपेयी पर 17000 रुपये दिए जाने का लगाया आरोप, हांलाकि शिकायतकर्ता ने स्वीकारा की कानूनगो ने काम न होने पर बाद में लौटाया एडवांस का पैसा*

*पूरे प्रकरण में उक्त कानूनगो व लेखपाल ने आरोपों को बताया गलत व निराधार*

*न्याय के लिए दर ब दर भटक रहा पीड़ित, कहा कि अगर न्याय नहीं मिला तो परिवार सहित कर लेगा आत्महत्या*

*समय रहते तहसील/जिला प्रशासन को सक्रिय भूमिका निभाते हुए पीड़ित को देना चाहिए न्याय एवं दोषियों को विभागीय दंड*

*वैसे राजस्वकर्मियों के लेनदेन की नीति से शायद ही कोई बचा हो क्योंकि हर मद के लिए देना होता है रिश्वत*

*चाहे वरासत का मामला हो, दाखिल खारिज़ का या फिर किसी विवाद में राजस्वकर्मियों की रिपोर्ट हर जगह पहले चलता है नोट का खेल*

*इतना ही नहीं आय, जाति व निवास में रिपोर्ट लगाने के नाम पर भी होती है खुली वसूली, यदि नहीं दिया जाता पैसा तो लेटलतीफी से होना पड़ता है दो – चार*

*हाल ही में ग्राम – सुल्तानपुर घोष के एक निवास के आवेदन पर 22 दिन में लगी थी रिपोर्ट वो भी आवेदक द्वारा तहसीलदार – खागा से की गई थी निवेदन व अनुरोध जबकि नियमानुसार 15 दिन में बन जाना चाहिए होता है एवं अधिकतम 20 दिन से ज्यादा का समय नहीं लगना चाहिये पर यहां उड़ते हैं सारे नियमों की धज्जियां*

*कई राजस्व ग्रामों में सरकारी भूमि पर अवैध अतिक्रमण पर कार्यवाही किये जाने के बजाय होता है धन दोहन, ज्यादा दबाव दिए जाने पर कहा जाता है कि 67 (1) की पत्रावली बनाकर तहसीलदार को सौंप दी गयी पर हकीकत में सब होता है लॉलीपॉप, एक ऐसा ही मामला सुल्तानपुर स्थित गणेश शंकर विद्यार्थी बालिका इंटर कॉलेज के सामने की जमीन पर भी बना है मसला*

*नशे के हाल में ड्यूटी पर कार्य करना भी एक लेखपाल को सरेआम देखा जा सकता है जो हर चीज के नाम पर लेता है रिश्वत, हाल ही में दाखिल खारिज़ के नाम पर 4000 रुपये व बीते दिन एक महिला से डरा धमकाकर वसूले थे 5000 रुपये*

*ऐसे मामलों की लंबी फेहरिस्त है जिस पर कोई प्रशानिक अधिकारी नहीं लेता है संज्ञान*

*कहीं ये अंधेरगर्दी व चरम पर बढ़ता भ्रष्टाचार सरकार को न कर दे नुकसान, क्योंकि जो पीड़ित है या रिश्वतखोरी का शिकार है इसी को डालना है वोट*

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