गांजे के धुएं में उड़ गया भांग का व्यापार*–अवधेश कुमार दुबे
सरकारी भांग के ठेकों में खुलेआम बिक रहा गांजा*
*✍️फतेहपुर वैसे तो शराब व भांग नशे की प्रजाति में उत्तम श्रेणी के नशे माने जाते हैं और सरकारी राजस्व प्राप्ति में भी इनकी अहम भूमिका होती है परंतु गांजा भी नशेड़ीओं में कम लोकप्रिय नहीं होता जिसके चलते भांग की मांग कम पड़ जाती है जिसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जनपद में भांग बिक्री का *वार्षिक लक्ष्य 9300 किलोग्राम था परंतु लगभग 8 माह बीत जाने के बावजूद अभी तक मात्र 1966 किलोग्राम भांग* ही खपत हो सकी है जो कि सीधे विभागीय शिथिलता को दर्शाता है।शहर के हर चिन्हित भांग के ठेकों में खुलेआम गांजा बेचा जा रहा है जिसके बाबत जब आबकारी अधिकारी महोदय को अवगत कराते हुए बात की गई तो उन्होंने साफ तौर से अपना पल्ला झड़ते हुए पत्रकारों को ही इसका दोषी ठहरा दिया। उनका कहना की पत्रकार गांजा बिकवा रहे हैं का अर्थ है कि उन्हें भली-भांति यह ज्ञात है कि भांग की दुकानों से अवैध रूप से गांजा बेचा जा रहा है और वह कुछ कर पाने में असमर्थ हैं जो कि एक अहम जिम्मेदार अधिकारी के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है साथ ही ऐसे गैर जिम्मेदाराना बयान से उनकी कर्तव्य हीनता भी परिलक्षित होती है क्योंकि एक पत्रकार समाज एवं सरकार के बीच की कड़ी होता है जो अपनी लेखनी के माध्यम से समय-समय पर दोनों को आगाह करता है और उसके लिए ऐसे अशोभनीय वचन सर्वथा अनुचित हैं।*
न्यूज वाणी खागा से तहसील संवाददाता अवधेश कुमार दुबे