दिल्ली में डॉक्टरों की हड़ताल अब मरीजों के लिए आफत बन चुकी है। मरीजों को न ओपीडी में इलाज मिल रहा है और न ही इमरजेंसी में कोई देखभाल करने वाला है। दरअसल नीट पीजी काउंसलिंग को जल्द से जल्द कराने के लिए बीते सप्ताह शुक्रवार से रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं। सरकार और डॉक्टरों के बीच मरीज फंस गए हैं। न जांच हो रही हैं, ना ही इलाज मिल रहा है। उत्तर प्रदेश के विभांशु को रक्त कैंसर है। उनके शरीर में हर सप्ताह प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं जिसके लिए उन्हें अतिरिक्त प्लेटलेट्स की आवश्यकता पड़ती है।
बृहस्पतिवार को अपने गांव से दिल्ली पहुंचे 18 वर्षीय मरीज के भाई अभिषेक ने बताया कि वे दो दिन तक अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे लेकिन कहीं उन्हें इलाज नहीं मिला। न किसी अस्पताल में प्लेटलेट्स इत्यादि चढ़ाई गई। आखिर में दिल्ली एम्स की इमरजेंसी में करीब चार घंटे इंतजार के बाद जब नंबर आया तो पता चला कि मरीज की हालत ही गंभीर हो चुकी है। आनन फानन यहां डॉक्टरों ने मरीज की जान तो बचा ली लेकिन अब डॉक्टर उनसे कहीं और ले जाने के लिए कह रहे हैं।
मरीजों का कहना है कि न ओपीडी और न ही इमरजेंसी में डॉक्टर मिल रहे हैं। एम्स, सफदरजंग अस्पताल में कुछ डॉक्टर हैं लेकिन वह सिर्फ कुछ घंटे ही इलाज करते हैं और उसके बाद घर जाने की सलाह दे रहे हैं।
दरअसल डॉक्टरों का यह विरोध पिछले कई दिनों से इसलिए चल रहा है क्योंकि इस साल नीट पीजी काउंसलिंग में देरी हुई है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट से सुनवाई की अगली तारीख छह जनवरी की मिली है। अब डॉक्टरों का कहना है कि सरकार को यह सुनवाई जल्द से जल्द कराने की अपील करनी चाहिए।
वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इस मामले में अपील की जा चुकी है। कई बार प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से बातचीत भी हुई है लेकिन कानूनी प्रक्रिया का एक दायरा है जिसका पालन सभी को करना है। बहरहाल सरकार और डॉक्टरों के बीच मरीजों की स्थिति काफी गंभीर हो रही है। अस्पतालों में जांच से लेकर इलाज तक के लिए मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
दिल्ली एम्स को छोड़ बाकी सभी बड़े अस्पतालों में हड़ताल का असर देखने को मिल रहा है। सफदरजंग अस्पताल, लोकनायक, दंत चिकित्सालय, जीबी पंत, जीटीबी, इहबास इत्यादि बड़े अस्पतालों के डॉक्टर इनदिनों हड़ताल पर चल रहे हैं।
पूर्वी दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में हड़ताल का असर है। यहां ओपीडी में वरिष्ठ डॉक्टर ड्यूटी दे रहे हैं लेकिन मरीजों को काफी इंतजार के बाद भी इलाज नहीं मिल पा रहा है। लक्ष्मी नगर निवासी सत्येंद्र कुमार बताते हैं कि वे किडनी डायलिसिस पर हैं। तीन दिन से रोजाना जीटीबी अस्पताल जा रहे हैं लेकिन हर शाम वापस लौटना पड़ रहा है।
इसी तरह जीटीबी के पास दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में कीमो का इंतजार कर रहे विक्रम कुमार का कहना है कि उनके पिता 65 वर्षीय महेश की कीमो चल रही है। दो बार कीमो हो चुकी है लेकिन तीसरी के लिए उन्हें पांच दिन से इंतजार है।