राजस्थान के नागौर में श्रम विभाग से जारी होने वाले मजदूरों के कार्ड बनाने के कार्य में भारी गडबड़ी सामने आई है। श्रम विभाग ने एक महिला का उसकी मृत्यु के 7 महीने बाद श्रमिक कार्ड जारी कर दिया। जबकि नियम अनुसार कार्ड तभी बनता है जब कार्ड बनवाने वाला मौके पर उपस्थित हो। इसके बावजूद विभाग ने मिलीभगत करते हुए बगैर निरीक्षण एवं सत्यापन किए मरी हुई महिला का कार्ड जारी कर लाभ पहुंचाने का कार्य किया है।
सूत्रों के अनुसार श्रम विभाग ने जिस मरी हुई महिला सोहनी का कार्ड जारी किया है वह रियां बड़ी के बेड़ास खुर्द गांव की रहने वाली है। उक्त महिला की मौत 14 मार्च 2021 को हुई थी, जबकि इस सोहनी का श्रम विभाग में पंजीयन 18 अक्टूबर 2021 को हुआ था। ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि जब महिला की मौत हो गई थी तो विभाग ने उसका श्रमिक कार्ड किस आधार पर जारी किया था।
आई कार्ड पर लिखे हुए नंबरों से हकीकत सामने
इस पूरे मामले की पड़ताल के लिए श्रम कार्ड पर लिखे हुए नंबर पर जब फोन किया तो मृतका की पाेती ने फोन उठाया। उससे जब सोहनी के बारे में पूछताछ की गई तो वह कोई जवाब नहीं दे पाई। उसने बताया कि सोहनी अब इस दुनिया में नहीं है। उनकी मार्च माह में ही मौत हो गई है। उन्होंने बताया कि सोहनी की बीमारी की वजह से मौत हुई है। इसके अलाव उनको किसी कार्ड की जानकारी नहीं थी। ठीक इसी तरह की जानकारी मृत्यु प्रमाण पत्र में भी अंकित है।
कार्ड में महिला का नाम सोहनी लिखा हुआ है, जिसके पति का नाम रामलाल है। इसके अलावा कार्ड में आधार संख्या, जन्म तिथि एवं पंजीयन दिनांक का उल्लेख किया गया है। इकसे अलावा अन्य जानकारियां अंकित की हुई है। श्रम विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार किसी से छिपा हुआ नहीं है।
श्रम कार्ड जारी करने के नाम पर इस विभाग की ओर से कई बार गड़बड़ियां के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा अर्द्धरात्रि में पंजीयन जारी करने के मामले भी सामने आए हैं। इसके चलते एक निरीक्षक को एपीओ भी किया जा चुका है। इतना ही नहीं इस विभाग में दलालों का भी बोलबाला है।