निपानिया के 3 साल के अयांश नारायण के पेरेंट्स ने उसकी आंखें डोनेट की हैं। बैंक एम्प्लॉई पति-पत्नी का मानना है कि भले अयांश उनके बीच नहीं है लेकिन उसकी आंखें किसी और की दुनिया को रोशन करेंगी। दुनिया देखेंगी। इसी से तसल्ली मिल जाएगी। अयांश के अलावा 15 साल की लड़की और एक बुजुर्ग की भी आंखें उनके पेरेंट्स ने डोनेट की हैं।
अयांश नारायण को बचपन से ही हार्ट की बीमारी थी। बेंगलुरु में दो सर्जरी हो चुकी थी। दो दिन से उसे सर्दी-जुकाम भी था। शनिवार को उसे सांस लेने में परेशानी होने लगी तो परिजन बॉम्बे हॉस्पिटल ले गए। यहां कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। पिता विभाकर नारायण व मां रश्मि दोनों बैंक में जॉब करते हैं। अयांश परिवार का इकलौता बेटा था। उसकी मौत के बाद मां रश्मि ने धैर्य रखा और बच्चे की आंखें डोनेट करने की मंशा जताई। मुस्कान ग्रुप के सेवादार जितेंद्र बागानी व संदीपन आर्य से संपर्क किया। बॉम्बे हॉस्पिटल के डॉ. अमित जोशी व एमके इंटरनेशनल आई बैंक के गोपाल सिरोके ने समन्वय किया और आंखें डोनेट की प्रक्रिया पूरी कराई।
जीवनदीप कॉलोनी निवासी अवधि जैन (15) की शुक्रवार को ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई। पिता राकेश जैन किराना व्यापारी हैं। पिता, चाचा संदीप जैन व परिवार की सहमति से उसकी आंखें डोनेट करने पर सहमति बनी। जैन ने भी मुस्कान ग्रुप से संपर्क किया।
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