हर अहम एसेट गांधी परिवार के नाम पर क्यों: जयपुर लिटरेचर फेस्ट में बोले ऋषि कपूर
जयपुर. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) के दूसरे दिन बॉलीवुड एक्टर ऋषि कपूर ने गांधी परिवार पर फिर निशाना साधा। ऋषि ने कहा, “ये कोई जरूरी नहीं कि देश का हर इम्पोर्टेंट एसेट एक ही फैमिली के नाम पर हो। देश में और भी ऐसे लोग हैं जिनका कंट्रीब्यूशन है। संविधान में बदलाव करके किसी पॉलिटीशियन के नाम पर खास एसेट का नाम रखना बैन कर देना चाहिए।’ फेस्टिवल में गुलजार ने सियासत पर तंज कसते हुए कहा- उसने कंधे पर गाय का टैटू खुदवाया था, मर जाता दंगों में, टैटू देखकर छोड़ दिया।जानिए और क्या कहा ऋषि कपूर ने…
– ऋषि ने सवाल उठाया, “क्या देश में सारे इम्पोर्टेंट एसेट गांधी परिवार के नाम पर ही होने चाहिए?”
– “स्कूल, कॉलेज, अस्पताल सब एक ही परिवार के नाम पर क्यों? अकेले दिल्ली में 64 एसेट्स हैं जो उनके नाम पर हैं।”
– “स्कूल, कॉलेज, अस्पताल सब एक ही परिवार के नाम पर क्यों? अकेले दिल्ली में 64 एसेट्स हैं जो उनके नाम पर हैं।”
इनके नाम पर एसेट क्यों नहीं?
– ऋषि ने सवाल उठाया, “देश में दूसरे भी तो लोग हैं। जेआरडी टाटा हैं, लता मंगेशकर हैं। इनका भी कंट्रीब्यूशन है।”
– “इन्होंने भी नाम कमाया है। क्या इनके नाम पर एसेट का नाम नहीं होना चाहिए।”
– “संविधान में ही बदलाव कर देना चाहिए। देश में कोई इम्पोर्टेंट एसेट किसी राजनेता के नाम पर न हो।”
– ऋषि ने सवाल उठाया, “देश में दूसरे भी तो लोग हैं। जेआरडी टाटा हैं, लता मंगेशकर हैं। इनका भी कंट्रीब्यूशन है।”
– “इन्होंने भी नाम कमाया है। क्या इनके नाम पर एसेट का नाम नहीं होना चाहिए।”
– “संविधान में ही बदलाव कर देना चाहिए। देश में कोई इम्पोर्टेंट एसेट किसी राजनेता के नाम पर न हो।”
– बता दें कि पिछले साल मई में भी ऋषि कपूर ने ट्वीट करके सवाल उठाया था कि देश में हर इंपोर्टेंट एसेट का नाम नेहरू-गांधी परिवार के नाम पर क्यों है?
मेरे करियर के शुरुआती दौर में मेरे सामने तूफान खड़े थे
– ऋषि ने मंच पर आते ही कहा कि उन्हें हिंदी में संवाद में कोई दिक्कत तो नहीं तो होस्ट ने कहा वो भी हिंदी जानती हैं तो पांडाल से आवाज आई कि हिंदी में ही बोलो।
– हालांकि ऋषि ने सेशन में हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं का इस्तेमाल किया।
– उन्होंने कहा, ”मेरे कॅरियर के शुरुआती दौर में मेरे सामने तूफान खड़े थे। अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, विनोद खन्ना।”
– उन्होंने कहा, ”मेरे कॅरियर के शुरुआती दौर में मेरे सामने तूफान खड़े थे। अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, विनोद खन्ना।”
– ”मैं ये कहना चाहता हूं कि मुझे ये किताब लिखनी जरूरी थी जिसके जरिए मैं खुल कर आपसे बात कर सकता हूं। मैनें इस किताब में अपने बारे में बहुत खुलासा किया है।”
जब ऋषि के दादा की आंखों में आए आंसू
– ”मैं अपना एक किस्सा सुनाता हूं। मेरा नाम जोकर के लिए नेशनल अवार्ड मिला था।”
– ”उस वक्त दादा जी थे, पिता जी थे। मैं ये पुरस्कार लेकर घर गया। पिता जी ने कहा कि ये पुरस्कार दादा जी के पास लेकर जाओ।”
– ”’मैं उनके पास गया और पुरस्कार दिखाया। दादा ने अवॉर्ड को सिर से लगाया और चूमे तो उनकी आंखों से आंसू टपक पड़े।”
– ”’मैं उनके पास गया और पुरस्कार दिखाया। दादा ने अवॉर्ड को सिर से लगाया और चूमे तो उनकी आंखों से आंसू टपक पड़े।”
– ”मैं घबरा गया कि मुझसे कोई गलती हो गई क्या जो वे रोने लगे। तब उन्होंने कहा कि राज ने आज मेरा कर्ज उतार दिया तुझपर। उस वक्त पिता जी भी इमोशनल हो गए थे।”
अपनी कमजोरियों और गलतियों को लिखा है
– ”’मैंने अपनी कमजोरियों और गलतियों को लिखा है। मैंने सब बताया है जो गलत काम किया है। ऐसा बहुत कम लोग करते हैं। अक्सर लोग अपनी तारीफ ही किताब में लिखते हैं।
– एक किस्सा सुनाता हूं, ” श्री 420 में बारिश में मुझे अपने भाई बहनों के साथ एक छोटा सा शॉट देना था। इसमें पानी में चलना था।”
– ”मैं आंखों में पानी जाने पर रोने लगता था। उस वक्त मैं दो साल का था। नरगिस जी को आइडिया आया और उन्होंने एक चॉकलेट दिखाया।”
– ”बस उसी वक्त से ही रिश्वत लेनी शुरु कर दी थी।”
– ऋषि ने बताया, ”शशि कपूर जी किस्सा सुनाते थे कि ये बहुत बदमाश थे। अक्सर बदमाशी करते और मार खाते थे।”
– ”मार खाने के बाद बाद जब मैं रोता तो खुद को आइने में देखता था।”
– ”मैं आंखों में पानी जाने पर रोने लगता था। उस वक्त मैं दो साल का था। नरगिस जी को आइडिया आया और उन्होंने एक चॉकलेट दिखाया।”
– ”बस उसी वक्त से ही रिश्वत लेनी शुरु कर दी थी।”
– ऋषि ने बताया, ”शशि कपूर जी किस्सा सुनाते थे कि ये बहुत बदमाश थे। अक्सर बदमाशी करते और मार खाते थे।”
– ”मार खाने के बाद बाद जब मैं रोता तो खुद को आइने में देखता था।”
जब पत्नी नीतू ने कहा तुम बदमाशियां नहीं छोड़ोगे
– कार्यक्रम के दौरान मंच पर जब इनकी पत्नी नीतू कपूर आईं तो ऋषि ने माइक पर शोर कर उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की । इसपर नीतू ने कहा कि तुम अब भी बदमाशियां नहीं छोड़ोगे।
– ऋषि ने कहा, ”अपने 25 साल के कॅरियर में मैं तो केवल जर्सी पहनकर स्विट्जरलैंड में फिल्मों में हिरोइन के साथ गाने गए। एक्टिंग तो अब कर रहा हूं।”
– ”मुझे मालिक का शुक्रगुजार होना चाहिए कि मैं उस दौर में हूं जिस दौर में मेरा बेटा भी काम कर रहा है।”
– ”पहले जो 25 साल था वो सब आपको बेवकूफ बनाना था।”
– कार्यक्रम के दौरान मंच पर जब इनकी पत्नी नीतू कपूर आईं तो ऋषि ने माइक पर शोर कर उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की । इसपर नीतू ने कहा कि तुम अब भी बदमाशियां नहीं छोड़ोगे।
– ऋषि ने कहा, ”अपने 25 साल के कॅरियर में मैं तो केवल जर्सी पहनकर स्विट्जरलैंड में फिल्मों में हिरोइन के साथ गाने गए। एक्टिंग तो अब कर रहा हूं।”
– ”मुझे मालिक का शुक्रगुजार होना चाहिए कि मैं उस दौर में हूं जिस दौर में मेरा बेटा भी काम कर रहा है।”
– ”पहले जो 25 साल था वो सब आपको बेवकूफ बनाना था।”
15 फिल्में साथ कीं तो प्यार तो होना ही था
– ऋषि ने कहा, ”मैं और नीतू ने दोनों ने करीब 15 फिल्में की। दोनों डबल शिफ्ट करते थे। तो प्यार तो होना ही था।”
– ”हमारे बीच ये तय हुआ कि घर में एक ऐसा होगा जो होम मेकर होगा।”
– ”होम मेकर नीतू बन गई। मेरी जर्नी बहुत अच्छी रही है। नीतू बहुत अच्छी बीवी और बच्चों को एक अच्छी मां मिली है।”
– ”हमारे बीच ये तय हुआ कि घर में एक ऐसा होगा जो होम मेकर होगा।”
– ”होम मेकर नीतू बन गई। मेरी जर्नी बहुत अच्छी रही है। नीतू बहुत अच्छी बीवी और बच्चों को एक अच्छी मां मिली है।”
गुलजार का भी सियासत पर तंज
– JLF में गीतकार गुलजार के साथ मंच पर आईएफएस रहे पवन वर्मा मौजूद थे। बता दें कि पवन गुलजार की कविताओं को अंग्रेजी में ट्रांसलेट कर रहे हैं।
– JLF में गीतकार गुलजार के साथ मंच पर आईएफएस रहे पवन वर्मा मौजूद थे। बता दें कि पवन गुलजार की कविताओं को अंग्रेजी में ट्रांसलेट कर रहे हैं।
– गुलजार एक कविता पढ़ते, पवन अगली सुनाने को कह देते। पूरे सेशन में यही सिलसिला चलता रहा।
– इस बीच पवन ने गुलजार से दंगे वाली कविता सुनाने की गुजारिश की।
– गुलजार ने दो लाइनें पढ़ीं जो कुछ यूं थीं-
– इस बीच पवन ने गुलजार से दंगे वाली कविता सुनाने की गुजारिश की।
– गुलजार ने दो लाइनें पढ़ीं जो कुछ यूं थीं-
उसने जानें क्यों अपने कंधों पर नीलगाय का एक टैटू बनवाया था।
मर जाता कल दंगों में, अच्छे लोग थे, गाय देखकर छोड़ दिया।
मर जाता कल दंगों में, अच्छे लोग थे, गाय देखकर छोड़ दिया।