सीएम के जनता दरबार से भी नही मिला न्याय, दर दर भटक रहा किसान*—अवधेश कुमार दुबे

मुख्यमंत्री के जनता दरबार से ऊपर अपने को मानता है असोथर का थानेदार*

 

*योगी सरकार में न्याय के लिए एक गरीब किसान डेढ़ वर्ष से दर दर भटक रहा है मगर उसे न्याय की जगह सिर्फ इस चौखट से उस चौखट दौड़ाया जा रहा है। लचर ब्यवस्था की खामी देखिए थानाध्यक्ष, सीओ, एडिशनल एसपी, एसपी, डीएम फिर मुख्यमंत्री का जनता दरबार ऐसी कोई चौखट नही बची जहां किसान न गया हो मगर उसे न्याय के स्थान पर डेढ़ वर्ष से सिर्फ भटकाया जा रहा है जबकि मामला बड़ा स्पष्ट सा है कि किसान को कुछ धोखाधड़ी करने वाले लोगो ने फंसाया और उसी के गांव की एक जमीन बैनामा करा दी। जिस ब्यक्ति ने जमीन बैनामा की वह पूर्व में ही अपनी जमीन बेच चुका है मतलब किसान को दोबारा उसी जमीन का बैनामा कर दिया गया। अब स्पष्ट धोखाधड़ी के इस खेल में सम्मिलित लोगो के खिलाफ वह एफआईआर कराना चाहता है तो पुलिस एफआईआर लिखने के लिए उसकी जमीन की कीमत का अंदाजा बताकर उससे लाभ की उम्मीद रखती है। डेढ़ वर्ष से किसान इसी आस में भटक रहा है कि शायद कोई उसकी गुहार सुन ले।*
*बता दें कि असोथर थाना क्षेत्र के नरायनपुर मजरे टीकर गांव का रहने वाला संतोष एक किसान है। उसने पाई पाई इकट्ठा करके गांव के ही निवासी जसवंत सिंह पुत्र स्व. शम्भूदयाल की एक बीघा जमीन जुलाई 2020 में खरीदी फिर उसे दाखिल खारिज करा लिया। जब जमीन पर कब्जा लेने गया तो उसे ज्ञात हुआ कि यह जमीन उससे पूर्व माया सिंह पत्नी राजीव सिंह निवासी चक कोर्रा सादात थाना थरियांव को बेची जा चुकी है। मतलब जसवंत ने अपने हिस्से की जमीन में से दो बीघा पहले ही माया सिंह को बेच दी थी। उसके पास सिर्फ तीन चार विस्वा जमीन शेष थी मगर उसने एक बीघा जमीन का पुनः बैनामा संतोष के नाम कर दिया। किसान संतोष के साथ हुई इस धोखाधड़ी में जसवंत के साथ दो अन्य ज्ञानेंद्र व वीरू भी शामिल थे जिन्होंने गवाह व ब्रोकर के रूप में भूमिका निभाई थी। लाखो रुपये देकर किसान ने बैनामा कराया फिर भी उसे जमीन के स्थान पर भटकना पड़ रहा है। जमीन तो उसे मिली नही, मिली तो सिर्फ धोखाधड़ी और सिस्टम के प्रति अविश्वास। ऐसे स्पष्ट धोखाधड़ी के मामले में किसान डेढ़ वर्ष से धोखाधड़ी की एफआईआर के लिए अधिकारियों की चौखट के चक्कर काट रहा है। गजब तो यह है कि मुख्यमंत्री दरबार मे पेश होने के बावजूद आज तक उसे न्याय नहीं मिला। प्रत्येक बड़ी चौखट से कागज उसी असोथर थाने पहुंचता है। जहां सिस्टम और पुलिस ब्यवस्था पर कालिख पोतने का काम वहां का थानाध्यक्ष लगातार कर रहा है। और प्रत्येक प्रार्थना पत्र का फर्जी निस्तारण कर देता है जिसमे यह दर्शाया जाता है कि इसमें पुलिस कार्रवाई की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती। यह न्यायालय जाकर अपने प्रकरण का हल करवाएं।*⭐अवधेश कुमार दुबे तहसील संवाददाता न्यूज़ वाणी

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