चाइनीज मांझे से पतंग उड़ाना जुर्म है, लेकिन क्या आपको पता है कि पतंग उड़ाने के लिए भी लाइसेंस लेना जरूरी है। इतना ही नहीं लापरवाही से पतंग उड़ाने पर भी आपको 2 साल की सजा हो सकती है और 10 लाख रुपए का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि कानून में पतंग को एयरक्राफ्ट यानी विमान माना गया है। इंडियन एयरक्राफ्ट एक्ट 1934 के अनुसार पतंग को एयरक्राफ्ट की श्रेणी में शामिल किया है। यदि लापरवाही से पतंग उड़ाई जाए और इससे किसी को नुकसान होता है तो एक्ट की धारा 11 के तहत पतंग उड़ाने वाले को दो साल की सजा हो सकती है या 10 लाख रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है। जानकारों का कहना है कि यह कानून अंग्रेजों ने पतंग व गुब्बारों के माध्यम से क्रांतिकारियों के बीच एक-दूसरे को संदेश भेजने की प्रक्रिया बंद करने के लिए बनाया था जो अब बेकार हाे चुका है। इसके बावजूद इसे रद्द नहीं किया जा रहा।
था पहले 6 महीने की सजा और 1 हजार रुपए जुर्माना
वरिष्ठ अधिवक्ता एके जैन का कहना है कि यह नियम पूरे देश में लागू है। एक्ट की शुरुआत में लापरवाही से पतंग उड़ाने पर छह माह की सजा और एक हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान था। 2008 में इसमें संशोधन कर दो साल की सजा या 10 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया। हालांकि कानून के जानकारों का कहना है कि एक्ट में आज तक किसी को भी सजा नहीं हुई।
विमान की कैटगिरी में गुब्बारा भी
एयरक्राफ्ट एक्ट 1934 के अंतर्गत धारा 2 (1) में उल्लेख है कि वायुयान का मतलब ऐसी कोई मशीन से है जो वातावरण से वायु की प्रतिक्रिया द्वारा ऊंचाई प्राप्त कर सकती है। इसके अंतर्गत बैलून, चाहे स्थिर हो या अस्थिर वायु-पोत, पतंग, ग्लाइडर और उडड्यन मशीनें आती हैं। यह कानून पूरे देश में और सभी व्यक्तियों पर एक समान लागू है।
कुछ समय पहले देश की 5 यूनिवर्सिटी और कॉलेज के 224 स्टूडेंट्स ने एनजीओ सेंटर फॉर सिविल सोसायटी के सहयोग से एविएशन मिनिस्टर अशोक गजपति राजू और डीजीसीए को पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने मांग की कि या तो गणतंत्र दिवस पर उन्हें पतंग और गुब्बारे उड़ाने की इजाजत दी जाए या फिर इस कानून को रद्द कर दिया जाए। उनका तर्क था कि इस कानून की आड़ में किसी भी पतंग उड़ाने वाले को पुलिस जब चाहे, जेल भेज सकती है।