मूर्ति गढ़ने का हुनर ही बना मौत की वजह, मूर्तिकार की 55 की उम्र तक है मौत निश्चित, 3 साल में तोड़ा 25 ने दम ,जानिए क्या है वजह 

 

भोपाल  के अशोकनगर में जो मूर्तिकार छेनी-हथौड़े से सपाट और बेडौल पत्थरों पर बारीक नक्काशी कर भगवान की मूर्ति गढ़ रहे हैं, उनका ये हुनर ही समय से पहले उनकी जान ले रहा है। ये हालात एक-दो लोगों के नहीं बल्कि पीढ़ियों से काम कर रहे लोगों के हैं जो मूर्ति बनाने का काम करते हुए 50 से 55 साल के बीच सांस और फेफड़ों की बीमारी के कारण मर जाते हैं।

इसके पीछे एक मात्र कारण पत्थरों को तराशते समय उनसे उड़ने वाली धूल है जो सांस के साथ अंदर चली जाती है। हम बात कर रहे हैं अशोकनगर के कदवाया गांव की माता मंदिर स्थित बस्ती के मूर्तिकारों की। न सिर्फ मूर्तिकार बल्कि उनके परिवार के सदस्य भी इससे तकलीफ में हैं। इस गांव की आबादी 6500 है और 40 से 50 परिवार पत्थरों से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं। मूर्ति और पत्थरों की नक्काशी करने वाले हर घर में तकरीबन 5 सदस्य है।

40 से 45 की उम्र में हुई  एक ही परिवार के 5 लाेगाें की माैत

14 साल से मूर्ति बना रहे पवन ओझा (28) का कहना है कि उसके परिवार में 5 लोगों की मौत यही काम करते हुए हो चुकी है। जिनकी उम्र 40- 45 के बीच थी। उसके पिता को भी सांस और फेफड़ों की समस्या है। महेश कुशवाह 35 साल से ये काम कर रहे हैं वे बताते हैं कि शरीर पूरा कमजोर हो जाता है।

हमें पता है. जिंदगी ज्यादा नहीं, लेकिन हम करें भी तो क्या?

2003 से मूर्ति बनाने वाले श्याम कुशवाह बताते हैं हमें पता है ये काम करते-करते बीमार होंगे। मौत जल्दी हो जाएगी लेकिन और कोई साधन नहीं है। मूर्तिकार कपिल का कहना है हमारे लिए कोई योजना नहीं है। न लोन मिलता है। ये काम 25 साल तक ही कोई कर पायेगा। इसके बाद फेफड़ों में दिक्कत होने लगती है।

इलाज के सहारे. अशोकनगर ईसागढ़ में कई लोगों का  चल रहा उपचार

यह विसंगति है कि पत्थर को भगवान बना देने वाले कलाकार इस काम की वजह से असमय मौत का शिकार हो रहे हैं। 3 साल में कदवाया में 25 लोग जान गंवा चुके हैं। इन सभी की उम्र 50 से कम थी। हर घर में अब भी फेफड़ों के मरीज है। इनका इलाज अशोकनगर सहित ईसागढ़ में चल रहा है।

सिलिकायुक्त धूल में लगातार सांस लेने से फेफड़ों में होने वाली बीमारी को सिलिकोसिस कहा जाता है। कांच उद्योग पत्थर खदान, निर्माण क्षेत्र, मूर्तिकला आिद से जुड़े लोग इसके शिकार होते हैं। इसमें फेफड़े खराब हो जाते हैं।

मास्क लगाना ही प्रोटेक्शन है

खदानों में जो लोग काम करते हैं, उनको ये लक्षण ज्यादा मिलते हैं। इस बीमारी को सिलिकोसिस कहते हैं। ऐसे में मास्क लगाना ही प्रोटेक्शन है अगर ये लगाते हैं तो 90% तक इन्हें फायदा मिलेगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.