चार राज्यों की कार में चल रही थी यूनिवर्सिटीज, 4 साल में कमाए करोड़ों रुपए 

 

राजस्थान में  एक ऐसा मामला सामने आया है  जहाँ कार में यूनिवर्सिटी चलाते पकड़े गए युवकों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। युवक राजस्थान के साथ ही एमपी, यूपी, बिहार की यूनिवर्सिटीज की फर्जी डिग्रियां बांटते थे। युवकों के पास मिली डायरियों में करोड़ों रुपए का हिसाब मिला है। उन्होंने अब तक कितनी फर्जी डिग्रियां बांटी, पुलिस इसका आकलन कर रही है।

पुलिस ने बताया कि सबसे अधिक मुहर, डिग्री, आंसर शीट, नामांकन फॉर्म ओपीजेएस यूनिवर्सिटी चूरू के मिले हैं। आरोपियों के पास मध्यप्रदेश की श्रीकृष्णा यूनिवर्सिटी छतरपुर, सरदार पटेल यूनिवर्सिटी बालाघाट, बिहार की भूपेंद्र नारायण मंडल यूनिवर्सिटी, यूपी की मैनपुरी रोड जेएस यूनिवर्सिटी और राजस्थान की सनराइज यूनिवर्सिटी अलवर के भी दस्तावेज मिले हैं। युवक 4 साल से फर्जी डिग्रियां बांट रहे थे।

4 साल के हिसाब की जांच
एनईबी थाना पुलिस के प्रभारी सुरेश कुमार ने बताया कि युवकों को रिमांड पर लिया है। एक-एक दस्तावेज की जांच होगी। जल्द पूरा चिट्ठा खुलकर सामने आएगा। पुलिस ने शनिवार को सुधीर कुमार यादव निवासी शाहजहांपुर, सुजीत कुमार निवासी पूर्णिया, सचिन कुमार निवासी कृष्णा कॉलोनी बिहार को गिरफ्तार किया है।

अब अलवर की यूनिवर्सिटी  नए हाथों में
अलवर की सनराइज यूनिवर्सिटी के दस्तावेज युवकों के पास मिले हैं, वह पिछले 3 महीने से नए हाथों में है। यूनिवर्सिटी के चेयरमैन एडवोकेट सुभाष यादव ने कहा कि हमारे यहां फर्जीवाड़े का सवाल नहीं है। हम खुद बराबर जांच कराते हैं। हम खुद जांच कर रहे हैं कि युवकों के पास पुराने दस्तावेज मिले हैं या नए। फिर भी पुलिस को पुराने रिकॉर्ड के आधार पर कोई जानकारी मिलती है तो हम पूरा सहयोग करेंगे। किसी अन्य यूनिवर्सिटी की आड़ में यहां आए हैं तो उसकी जांच होनी चाहिए।

जुडे़ हैं देश की कई यूनिवर्सिटी से तार
युवकों से बरामद कार में एडमिशन फॉर्म से लेकर एग्जाम की आंसर शीट, डिग्री, डिप्लोमा सहित अधिकारियों की मुहर मिली है। डायरियों में पैसे लेकर डिग्री बांटने का हिसाब मिला है। युवकों ने कहा कि उनका अलवर सहित प्रदेश व देश की कई प्राइवेट यूनिवर्सिटी में टाइअप है। वे हाथों हाथ डिग्री व डिप्लोमा देने के बाद संबंधित यूनिवर्सिटी में कागजों की पूर्ति करते हैं, ताकि रिकॉर्ड अपडेट हो सके।

रुपए लेते ही आंसर शीट भर देते थे
युवकों ने बताया कि वे BSC, BBA, BCOM, PGDCA, MCA, DED, पॉलिटेक्निक व लाइब्रेरियन सहित अनेक तरह की डिग्री व डिप्लोमा देते हैं। पैसे लेने के तुरंत बाद वहीं पर आंसर शीट भरा लेते हैं, फिर रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी में जमा करा देते हैं। ताकि कभी कोई रिकॉर्ड मिलान हो जाए तो फर्जी नहीं लगे।

यह है पूरा  मामला
अलवर एनईबी पुलिस ने शनिवार को बिहार के तीन युवकों को कार में यूनिवर्सिटी चलाते हुए पकड़ा था। पुलिस ने कार से विभिन्न यूनिवर्सिटी की 439 आंसर शीट, 850 खाली आंसर शीट, 93 भरे हुए माइग्रेशन प्रमाण- पत्र, 41 कॉलेज प्रमाण- पत्र, टीसी व 91 मार्कशीट, 26 प्रोविजनल सर्टिफिकेट, 4 खाली प्रोविजनल सर्टिफिकेट, 118 खाली माइग्रेशन प्रमाण- पत्र, 37 खाली एप्लिकेशन फॉर्म, 18 ओपीजेएस यूनिवर्सिटी चूरू के लेटर हेड, 3 खाली एफिडेविड, 5 खाली नोड्यूज सर्टिफिकेट, 5 नोड्यूज प्रमाण- पत्र भरे हुए, 22 फीस रसीद, 10 एटीएम, 7 क्रेडिट कार्ड, 1 लैपटॉप, एक टेबलेट, हिसाब की चार डायरियां, 4 मुहर बरामद की थी। युवक पैसे देते ही हाथों हाथ BSC, BBA, BCOM, PGDCA, MCA, DED, पॉलिटेक्निक व लाइब्रेरियन सहित अनेक तरह की डिग्री व डिप्लोमा देते थे।

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