यूक्रेन पर रूस के हमले का आज तीसरा दिन,राजधानी कीव समेत यूक्रेन के सभी अहम शहरों में हुए धमाके

यूक्रेन पर रूस के हमले का आज तीसरा दिन है। शनिवार को राजधानी कीव समेत यूक्रेन के सभी अहम शहरों में धमाके हुए हैं। रूसी सैनिक राजधानी कीव में दाखिल हो गए हैं और यूक्रेनी सैनिकों से उनकी आमने-सामने की लड़ाई शुरू हो चुकी है। इस बीच यूक्रेन ने 300 रूसी पैराट्रूपर्स से भरे दो प्लेन मार गिराने का दावा किया है। रूसी सैनिकों ने कीव के एयरपोर्ट पर कब्जा कर लिया है।

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया गया। इस प्रस्ताव के पक्ष में 11 और विपक्ष में 1 वोट पड़ा। भारत, चीन और UAE ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। हालांकि, रूस ने वीटो पावर का इस्तेमाल कर इस निंदा प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि रूस का यूक्रेन पर कब्जे का कोई इरादा नहीं है। अगर यूक्रेन की सेना हथियार डालती है तो मॉस्को बातचीत के लिए तैयार है।

यूक्रेन ने दावा किया कि उसने रूसी विमान को मार गिराया है। इस विमान में 150 रूसी पैराटूपर्स सवार थे। कितने मारे गए और कितने बचे.. यह जानकारी नहीं दी।

यूक्रेन के प्रेसिडेंट जेलेंस्की ने कहा कि आज रात राजधानी कीव पर रूसी सैनिकों का हमला होगा। उन्होंने नागरिकों से जंग में कूदने की अपील की है।
यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों को बिना अधिकारियों के साथ बातचीत किए बॉर्डर के इलाकों में जाने से मना किया है।

अमेरिका ने यूक्रेन जाने वाले नागरिकों के लिए लेवल-4 की वॉर्निंग ट्रैवल एडवाइजरी जारी की, इसमें नागरिकों को संवेदनशील जगहों पर न जाने की चेतावनी दी गई है।

ब्रिटेन ने पुतिन और उनके विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की सभी संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया। कनाडा और यूरोपियन यूनियन ने रूस को स्विफ्ट पेमेंट सिस्टम से बाहर करने की बात कही।

इंटरनेशनल न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक, अगर पश्चिमी देशों के साथ युद्ध शुरू होता तो पुतिन परमाणु हथियार का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
फ्रांस ने यूक्रेन को 300 मिलियन यूरो की सहायता और मिलिट्री इक्विपमेंट भेजने की पेशकश की। EU में पुतिन की यूरोप में मौजूद सभी सम्पत्ति जब्त करने पर सहमति बन गई है।
भारत ने रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर वोट नहीं किया, जानिए 3 वजहें

1. संयुक्त राष्ट्र में भारत के रिप्रेजेंटेटिव टीएस तिरुमूर्ति ने कहा- इस बात का अफसोस है कि डिप्लोमैसी का रास्ता छोड़ दिया गया है, हमें उस पर लौटना होगा। इन सभी वजहों से भारत ने इस प्रस्ताव पर परहेज करने का विकल्प चुना है।

2. तिरुमूर्ति बोले- सभी सदस्य देशों को कंस्ट्रक्टिव तरीके से आगे बढ़ने के लिए यूएन के सिद्धांतों का सम्मान करना जरूरी है। आपसी मतभेदों और विवादों को निपटाने के लिए डायलॉग ही एकमात्र तरीका है, हालांकि इस समय यह मुश्किल लग सकता है।

3. भारत ने कहा कि यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत ज्यादा परेशान हैं। हिंसा और दुश्मनी को जल्द खत्म करने की सभी कोशिशें की जाएं। इंसानी जान की कीमत पर कोई भी हल नहीं निकाला जा सकता है।

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