ईंट-पत्थरों पर सो रहे स्टूडेंट्स, बोले- यूक्रेन में मिसाइल अटैक से बिल्डिंग्स जल रहीं, बाजार-होटल सबकुछ बंद, हमारा खाना खत्म हो रहा
यूक्रेन के बॉर्डर एरिया में फंसा हुआ हूं। गुरुवार सुबह 5 बजे धमाकों से नींद खुली। देखा तो चारों ओर आग और धुआं था। मैं और दूसरे स्टूडेंट बचने के लिए यहां-वहां भागे। 24 घंटे अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन में छिपे रहे। कुछ खाने को नहीं मिला तो मुश्किल से हॉस्टल पहुंचे। हर आधे घंटे में धमाके की आवाज सुनाई दे रही है। बिल्डिंग के नीचे भी छिपने के लिए बंकर बनाए गए हैं।
छतरपुर के हेमंत श्रीवास के साथ यूक्रेन में फंसे इंडियन स्टूडेंट्स जान बचाने के लिए यहां-वहां छिप रहे हैं। बंकर में ईंट-पत्थरों पर सोना पड़ रहा है। बालगढ़ की शिवानी प्रजापति भी यूक्रेन से MBBS कर रही हैं। दूसरे स्टूडेंट्स की तरह वह भी जल्द देश लौटना चाहती हैं। विधायक गायत्री राजे पवार ने शिवानी से VIDEO कॉल पर बात की। शिवानी ने बताया कि अभी हम सब हॉस्टल में हैं, लेकिन हालात बहुत खराब हैं।
यूक्रेन के खार्किव शहर से MBBS कर रही अंजलि वेणीपुरी ने बताया- यहां हालत ठीक नहीं हैं। लगातार ब्लास्ट हो रहे हैं। लोग डरे हुए हैं। मैं और मेरे 9 फ्रेंड मेट्रो स्टेशन बंकर में आकर छिपे हुए हैं। इंडिया के और भी लोग हैं। मेरा फ्लैट बंकर से 1 किलोमीटर दूर है। खाना खाने ही फ्रेंड्स के साथ फ्लैट तक पैदल जाते हैं। हमारा खाना भी खत्म हो रहा है। अंजलि हरदा की रहने वाली हैं। उनकी फैमिली अभी बुरहानपुर में रह रही है।
वॉर होने से पहले इमरजेंसी इंटिमेशन दी जाने लगी थी
यूक्रेन-रूस में जंग छिड़ने से पहले देवास के रजत गलोदिया भारत लौट आए। रजत MBBS करने के लिए सितंबर में यूक्रेन गए थे। यूक्रेन जब जंग के मुहाने पर था, तभी परिवारवालों ने उन्हें लौट आने को कहा। रजत ने बताया कि उन्हें घर आने में 4 दिन लगे। रजत ने बताया कि अचानक वहां पर इमरजेंसी इंटिमेशन दिए जाने लगे थे। इमरजेंसी या कोई वॉर होने की स्थिति में बिल्डिंग और घरों के नीचे बने बंकर्स में सेफ रहने की हिदायत दी जा रही थी। लगातार इंडियन एम्बेसी से हम स्टूडेंट्स संपर्क बनाए हुए थे। वह तो लौट आए, लेकिन उनके कई फ्रेंड्स अब भी फंसे हुए हैं।
बाजार, होटल सब कुछ बंद
भिंड के ऋषिकेश नरवरिया यूक्रेन के जकारपटि्टया के ओब्लास्ट में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया- यूनिवर्सिटी ने हॉस्टल खाली करा दिया है। हम सभी 40 स्टूडेंट्स को शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर जंगल के एक हॉस्टल में ठहराया गया है। बाजार, होटल सब कुछ बंद है। ATM पर भीड़ लगी हुई है। हम जहां ठहरे हुए हैं, वहां से 200 किलोमीटर दूर रूस ने हमला किया है। आसमान में लड़ाकू विमान उड़ रहे हैं और नीचे मिलिट्री व्हीकल्स दौड़ रही हैं। यूनिवर्सिटी ने हमें हंगरी बॉर्डर तक पहुंचाने की बात कही है, लेकिन वो 400 डॉलर मांग रहे हैं। मेरे पास 200 डॉलर ही हैं। यही हालात दूसरे स्टूडेंट्स की भी है। हम 40 स्टूडेंट्स में झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार से भी हैं। यूक्रेन में रहना खतरे से खाली नहीं है।
ग्वालियर के प्रतीक चौधरी यूक्रेन के टर्नापिल मेडिकल यूनिवर्सिटी से MBBS कर रहे हैं। उनके पिता कोमल चौधरी ने बताया- जिस जगह बेटा ठहरा है, वहां से 5 से 10 किलोमीटर के एरिया में धमाके हो रहे हैं। मिसाइलें गिर रही हैं। बेटा जो VIDEO वहां से भेज रहा है, वो वहां के डरावने मंजर बताने के लिए काफी हैं। सड़के सूनी हैं। बिल्डिंगों से आग की लपटें और धुआं निकल रहा है।