कश्मीरियों के विस्थापन को समझने के लिए फिल्म देखना जरूरी – द कश्मीर फाइल्स को लेकर युवाओं ने दी अपनी प्रतिक्रिया

फतेहपुर। रातों रात पलायन करने वाले कश्मीरी पंडितों की त्रासदी को दर्शाती फिल्म द कश्मीर फाइल्स युवाओं को जड़ों से जोड़ने का काम कर रही है। फिल्म देखने वालों का उत्साह दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। कई लोग तो फिल्म को एक दस्तावेज की तरह ले रहे है। कई युवा स्वयं तो फिल्म देख ही रहे हैं अपने दूसरे साथियों को भी फिल्म दिखाकर बताना चाहते हैं कि कश्मीरी पंडित खुशी से घर छोड़ कर नहीं निकले थे बल्कि हालात इतने खराब थे कि वहां रहना उनके लिए संभव नहीं रहा था। फिल्म के बारे में युवाओं ने अपनी राय भी व्यक्त की। जलाला गांव के आलोक गौड़ ने कहा कि सोशल मीडिया में कई वायरल वीडियो में देखो ये फिल्म भारत की युवा पीढ़ी के जागरण का केंद्र बन गई है। यह फिल्म समाज को जागृत करने का काम कर रही है। हिंदुओ को देश की असली समस्या से रूबरू कराकर उसके समाधान के प्रति फिल्म प्रेरित करती है। नसेनिया गांव के शिव प्रकाश शुक्ल ने कहा कि कश्मीरियों की हकीकत से रूबरू कराती इस फिल्म को देखने को अपने कई मित्रों, साथियों को पैसे भेजे और प्रेरित करता हूं कि वह यह फिल्म जरूर देखें। फिल्म को अधिक लोग देखें ताकि उन्हें हकीकत का पता चल सकें। अमौली कस्बे के प्रकाशवीर आर्य ने कहा कि हिंदुओ पर हुए अत्याचार को बेहतरीन निर्देशन के साथ फिल्म के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। प्रत्येक भारतवासी को फिल्म जरूर देखनी चाहिए ये फिल्म नहीं कश्मीर का भूतकाल है जो हमे भविष्य की चुनौतियों से निपटने को प्रेरित करता है। मौहार गांव के कुलदीप चौहान ने कहा कि फिल्म ने उन लोगो के मुंह बंद कर दिए हैं जो कश्मीरी पंडितो के विस्थापन को लेकर उल्टी सीधी बाते करते थे। फिल्म से कश्मीर की हकीकत सामने आई। कलाकारों ने अपनी भूमिका से न्याय किया है। कश्मीर के विस्थापन को समझना है तो फिल्म जरूर देखे।

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