देहरादून/नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत शनिवार शाम को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. शपथ-ग्रहण समारोह परेड ग्राउंड में अपराह्न् तीन बजे होने वाला है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हो सकते हैं. रावत राज्य के नौवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. पार्टी सूत्रों के अनुसार, रावत के साथ छह अन्य मंत्रियों के भी शपथ लेने की संभावना है. मोदी से जुड़े रहे रावत उत्तराखंड में भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार के दौरान कृषि मंत्री थे.
दोईवाला से निर्वाचित रावत ने कांग्रेस प्रत्याशी हीरा सिंह बिष्ट को 24,000 वोटों से मात दी थी. वह आरएसएस में प्रचारक के रूप में भी जाने जाते हैं. इस साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को मात देते हुए 70 में से 57 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था. रावत राज्य में भाजपा के पांचवें मुख्यमंत्री हैं. पार्टी ने उत्तराखंड में अपनी पहली सरकार साल 2000 में बनाई थी, जब उत्तर प्रदेश से अलग होकर यह राज्य बना था. नित्यानंद स्वामी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने थे. त्रिवेंद्र सिंह रावत को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का करीबी माना जाता है. 2014 के लोकसभा के दौरान रावत ने शाह के साथ काम किया था. मंत्री के रूप में उन्हें कई वर्षों का अनुभव है. उनका नाम बीजेपी नेता प्रकाश पंत ने प्रस्तावित किया था. सतपाल महाराज ने भी उनके नाम पर हामी भरी थी. हालांकि ये दोनों नेता भी सीएम पद की रेस में थे. रावत प्रदेश के नौवें मुख्यमंत्री होंगे.
मीडिया को संबोधित करते हुए कल केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा था, “त्रिवेंद्र सिंह रावत को विधायक दल का नेता चुना गया है. उनके नाम पर सर्वसम्मत से सहमति बनी है.” बीजेपी ने उत्तराखंड में 70 में से 57 सीटें जीते हैं. रावत ठाकुर समुदाय से आते हैं और बीजेपी के राज्य के पांचवें मुख्यमंत्री होंगे. बीजेपी ने 2000 में राज्य का गठन होने के बाद पहली बार सरकार बनाई थी.
हालांकि, रावत के सामने मुसीबतें भी कम नहीं हैं. सबसे पहले चुनौती मंत्रीमंडल चुनने की है. मंत्री बनने वालों में यशपाल आर्य, सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, हरबंश कपूर, मदन कौशिक, मुन्ना सिंह चौहान, कुंवर प्रणव सिंह चैपिंयन, सुबोध उनियाल और रेखा आर्य का नाम चर्चा में है. 70 सदस्यीय विधानसभा में मुख्यमंत्री समेत केवल 12 मंत्री बन सकते हैं. चूंकि बीजेपी से ही कई दावेदार हैं और कांग्रेस से बीजेपी में आए नेता भी मंत्री बनने के लिए जोर लगा रहे हैं. ऐसे में रावत के सामने पहली चुनौती इसमें सामंजस्य बिठाने की होगी.