राजस्थान / मैं जिगोलो यानी मेल सेक्स वर्कर हूं। अगर आपने ‘बीए पास’ फिल्म देखी है तो शायद आप मेरा दर्द महसूस कर सकेंगे। मैं भी मजबूरन जिस्मफरोशी की अंधेरी गलियों का हिस्सा बन गया। जब-जब निकलना चाहा तो फिसल कर फिर वहीं पहुंच गया। सच पूछें तो मेल सेक्स वर्कर्स की दुनिया फीमेल सेक्स वर्कर की दुनिया से अलग है। लोग फीमेल सेक्स वर्कर के साथ होने वाले अन्याय के बारे में बात करते हैं, लेकिन कभी सोचा है कि मेल सेक्स वर्कर के साथ तो मर्द भी बलात्कार करते हैं और औरतें भी। हम तो बोल भी नहीं सकते हैं। कौन यकीन करेगा हमारी बातों पर…
मेरा नाम अवधेश शर्मा है और मैं राजस्थान के एक मिडिल क्लास परिवार से हूं। चार भाई बहन में सबसे छोटा हूं इसलिए अपनी बात मनवा लेता था। मुझे सनी देओल बहुत पसंद थे। दिमाग में यही था कि मुंबई जाकर सनी देओल बनना है। ग्रेजुएशन करने के बाद एक दोस्त के भरोसे मुंबई आ गया। उससे दस साल से दोस्ती थी। रात का वक्त था। मैं बांद्रा स्टेशन पर उतरा और उसके घर मलाड जाने के लिए ऑटो लिया। घर पहुंचने पर उसने मेरी अच्छी खातिरदारी की। उसके बाद पूछने लगा कि भाई ठिकाना कहां रहेगा? यह सुनकर मेरे होश उड़ गए।
मैंने उससे कहा कि यार मैं तो तुम्हारे ही भरोसे आया हूं। इस पर उसने कहा कि नहीं, यह मुंबई है मेरी जान, यहां कोई किसी को नहीं रखता है। रात हो चुकी थी, मुंबई मेरे लिए नया था। पूरी रात मैंने उसके घर के सामने एक पार्क में बैठकर बिताई।
अगली सुबह एक लड़के ने मुझसे पूछा कि यहां ऐसे सामान लेकर क्यों बैठे हो? मैंने उसे पूरी कहानी सुनाई। वह कहने लगा कि तुम मेरे साथ कुछ दिन रह सकते हो, लेकिन पैसे देने होंगे। मेरे पास कोई रास्ता नहीं था सो मैं उसके घर चला गया।
कुछ दिन भटकने के बाद मुझे ‘माता की चौकी’ टीवी सीरियल में काम मिला। उसमें मेरा काम मुंह पर मुखौटा लगाकर खड़े रहने का था। घरवालों का दबाव बढ़ रहा था कि तुम तो टीवी पर आ ही नहीं रहे हो। मैंने सोचा कि मैं यह सब करने के लिए तो मुंबई नहीं आया था।
मैं उस घर की खिड़की से अक्सर एक लड़के को देखा करता था। वह कार में बैठता और सुरखी-पाउडर लगाकर सजने-संवरने लगता। एक दिन वह सुबह मुझे दूध की दुकान पर मिल गया। मैंने उससे हाय-हैलो किया। धीरे-धीरे मेरी उससे बात होने लगी। मैंने उससे हर शाम सजने-संवरने का राज पूछा तो उसने बताया कि वह पार्टी में जाता है। उसने उस शाम मुझे भी पार्टी में जाने का न्योता दिया। मैं उसके साथ पार्टी में चलने को राजी हो गया।
वहां जाकर मैंने देखा कि वो दुनिया हम लोगों की दुनिया से अलग थी। वहां लड़के-लड़कियां, ट्रांसजेंडर, गे, लेस्बियन सब थे। मुझे उस अजीबो गरीब माहौल में घुटन सी हुई। जिसके साथ मैं पार्टी में गया था, उसने मुझसे कहा कि एंजॉय करो। सच पूछो तो मुझे वहां बहुत डर लग रहा था। आधी रात के बाद हम दोनों घर आ रहे थे। मैंने उससे कहा कि मुझे काम दिलवा दो। उसने कहा कि देखो तुम पार्टी में डरे, सहमे, सिकुड़े से बैठे रहे। ऐसे काम नहीं मिलता है। जहां तुम मेरे साथ गए थे वो काम पाने की पहली सीढ़ी है यहां।
कुछ दिन बाद उसने मुझे एक आदमी के पास भेजा। मैं उसके घर गया। वो घर में अकेला था। काम की बात होने के बाद उसने मेरे कंधे पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। मुझे बैड टच की फीलिंग आने लगी। शायद उसने खाने की किसी चीज में मुझे हल्का नशे जैसा कुछ दे दिया था। मुझे पता तो था कि मेरे साथ क्या हो रहा है, लेकिन मैं उसे रोक नहीं पा रहा था। विरोध करने पर उसने मुझसे कहा कि अरे यार शरीर ही तो है, घिस थोड़े जाओगे।
फिर उसने मेरे साथ वो सब किया जिसे बलात्कार कहते हैं, लेकिन मैं तो मर्द हूं न, कहां जाता, किससे अपनी आपबीती कहता। उस दिन घर आने के बाद चार दिन तक बंद कमरे में रोता रहा। आत्मग्लानी से भर गया कि यह मैंने क्या कर डाला, मेरे साथ क्या हो गया। रोने-धोने के बाद मुझे कुछ लोगों की बातें घंटियों की तरह कानों में गूंजने लगीं कि ऐसा करना ही पड़ता है, यही काम मिलने की पहली सीढ़ी है।
वैसे भी काम न होने की वजह से मेरे भूखों मरने की नौबत आ गई थी। घर वापस जाना भी संभव नहीं था। एक दिन उसी आदमी का फोन आया कि मैं उसके घर आ जाऊं। मुझे अब काम चाहिए था सो उसके घर चला गया। इस दफा हमारे बीच जो भी हुआ वो सहमती से हुआ। उस दिन मैंने वो सब होने के बाद उससे कुछ कॉन्टैक्ट मांगे। उसने मुझे एक और आदमी का नंबर दिया। मैं उस नए आदमी को फोन लगाकर उसके पास गया। वहां जाकर पता लगा कि उसे मेरे बारे में पहले से पता था। वह कहने लगा कि सुना है तुम काफी अच्छा काम करते हो। चाय पानी करने के बाद उसने मुझे बेडरूम में चलने का इशारा किया।
वहां पहले से एक और लड़का मौजूद था। उसने मुझे ग्रुप सेक्स के लिए कहा, मैंने मना कर दिया। मेरे लिए तीन मर्दों के बीच ग्रुप सेक्स करना संभव नहीं था। खैर वो लड़का उस आदमी के इशारे पर वहां से चला गया। फिर उस आदमी और मेरे बीच संबंध बने। उस आदमी को मैं इस काम के लिए बहुत पसंद था। वह कहता था कि तुम चौबीस घंटे यहीं रहो और मेरे साथ यह सब करते रहो। मुझे लगता था कि यह कैसे बीमार दिमाग के लोग हैं, जैसा मेरा शरीर है वैसा ही इनका भी है, हम दोनों की शरीर में सारे अंग एक जैसे हैं, तो इन्हें मेरे साथ कैसा मजा आता होगा।
खैर मुझे काम मिलने से मतलब था। मैं उस आदमी के बुलावे पर बहुत दफा उसके घर गया। हमारे बीच सहमति से संबंध बनते रहे। मैं इन लोगों की पार्टियों में भी जाने लगा। फिर मुझे पता लगा कि इन लोगों के वॉट्सऐप ग्रुप बने हैं। जब भी कोई नया लड़का आता है तो यह लोग उसे नए शिकार के तौर पर लेते हैं। सब लोग उससे संबंध बनाते हैं। उसके बाद कहीं कोई आदमी काम दे देता तो ठीक नहीं तो इस काम को करने के बाद खर्चा पानी मिल जाता था।
एक पार्टी में मुझे एक लड़की मिली। धीरे-धीरे मुझे उससे दोस्ती भी हो गई। मैंने उसे अपना दर्द बताया कि मैं यह सब करके थक चुका हूं। उसने मुझे समझाया कि मैं जिस आदमी के पास जाता हूं उसके इंडस्ट्री में बहुत अच्छे लिंक हैं, अब इतना हो चुका है तो कम से कम उससे कुछ अच्छे लिंक निकलवा लो। हालांकि, मैं इस सब से निकलना चाहता था। जहां जाता वहां लगता कि हर कोई इसके ही लिए तैयार बैठा है।
मैंने मन मारकर एक दिन उस आदमी को फोन किया कि आज मैं घर आना चाहता हूं। उसकी तो बांछें खिल गईं। मैं उसके पास गया वो तो जैसे तैयार ही बैठा था। उसके बाद मैंने उससे साफ-साफ दो टूक शब्दों में बात कर कहा कि अब मुझे हर हाल में काम चाहिए। आप जो कहोगे मैं करूंगा, जहां बुलाओगे आ जाऊंगा। उस आदमी के साउथ की इंडस्ट्री में अच्छे लिंक थे। उसने मेरी इस बात के बदले मुझे एक ऐसे आदमी से संबंध बनाने के लिए भेजा जिसे न्यूड देखकर मैं डर गया।
उसे शीमेल कहते हैं। शीमेल यानी ऊपर से औरत और नीचे से मर्द का शरीर। मैंने अभी तक शीमेल के बारे में सुना था, लेकिन देखा पहली दफा था। उस आदमी ने मुझे कई आदमियों के पास संबंध बनाने के लिए भेजा और मैं भी आंखे बंद करके इस दलदल में बना रहा।
आखिरकार उसे शायद मुझ पर तरस आया। उसने मुझसे पूछा कि साउथ में काम करोगे, मैंने हां कर दी। मुझे लगा कि अच्छा है कि मैं इस दलदल से निकल जाऊं। मैं साउथ चला गया। वहां एक ड्रेस डिजाइनर मेरा माप ले रहा था। माप लेते हुए उसने मेरे कान में धीरे से बोला- सुना है आपकी हर जगह परफॉर्मेंस बढ़िया रहती है। यह सुनकर मैं भौच्चका रह गया। मुझे लगा कि कुंए में ही भांग मिली हुई है। यह ड्रेस डिजाइनर लाइन प्रोडयूसर भी था। उसने मुझे एक एड्रेस दिया और रात में वहां आने के लिए बुलाया। मैं वहां गया और उसके साथ भी मेरे संबंध बने।
मैं अब थक गया था। मुझे लगा कि जहां जिससे भी काम मांगने जाओ तो हर कोई इस काम के लिए पहले बोलता है। मैं सोचने लगा कि आखिर ऐसे मुझे काम मिलेगा कैसे? इस काम को मैं खुशी से नहीं करता था। मर्दों से संबंध बनाते वक्त मुझे अंदर से बहुत घिन और तकलीफ होती थी। मैंने महसूस किया कि जबरदस्ती इतना ज्यादा सेक्स करने का असर मेरी शक्ल पर दिखाई देने लगा है। मैं थक जाता था, टूट जाता था, हाथ जोड़ता था कि बस अब और नहीं, लेकिन कोई रहम नहीं करता था।
साउथ की उस फिल्म के सेट पर एक बुजुर्ग आदमी भी था। एक दिन उसने मुझे अपने घर बुलाया। उसने मुझसे कहा कि यहां बहुत सारे तुम्हारे जैसे लड़के आते हैं। उन्होंने मुझे खाना खिलाया और कहने लगे कि चले जाओ यहां से। हो सके तो इन लोगों की दुनिया से दूर चले जाओ। उनकी बातें सुनकर मैं छोटे बच्चे की तरह फफक-फफक कर रोने लगा। उनसे कहा कि मेरा यह सब करने को मन नहीं करता, लेकिन कोई रास्ता नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कितने दिन काम नहीं मिलेगा, महीना, दो महीना, छह महीना लेकिन तुम इन लोगों की दुनिया से निकल जाओ। फोन नंबर बदल लो। मैं साउथ से फिर से मुंबई वापस आ गया।
मुंबई आने के बाद एक प्रोडक्शन हाउस से दूसरे प्रोडक्शन हाउस काम के लिए धक्के खाता रहा। पैसे की तंगी थी। कभी लगता कि इनमें से किसी को फोन करूं। नंबर डायल करते करते रुक जाता था कि नहीं अब इस दलदल में नहीं जाना है। एक दिन एक प्रोडक्शन हाउस के बाहर मुझे वो आदमी मिल गया जिसने मुझे साउथ भेजा था। मुझे देखकर कहने लगा कि अरे तू कहां है, मैंने उससे कहा कि मेरी दादी की मौत हो गई थी सो दिल्ली गया हुआ था। उसने मुझसे मिलने के लिए कहा।
अब पैसे की तंगी गले तक आ गई। दिमाग फटने लगा कि क्या करूं। इन लोगों के ग्रुप की एक औरत का मसाज पार्लर था। मैंने उस औरत को फोन लगा कर उससे नौकरी मांगी। उसने मुझसे कहा कि मुझे रजिस्ट्रेशन के 2500 रुपए जमा करवाने होंगे और 15 दिन की मसाज की ट्रेनिंग लेनी होगी। उसने मुझे बताया कि क्लाइंट के आने पर बाहर लाइन में आकर खड़े हो जाना, जो तुम्हें चुनेगी तुम उसके साथ केबिन में चले जाना।
पहले चार-पांच दिन वहां रईस औरतें आईं, लेकिन किसी ने भी मसाज करने के लिए मुझे नहीं चुना, बल्कि दूसरे लड़कों को चुना। मुझे यहां भी निराशा होने लगी। तब उस औरत ने मुझे कहा कि जल्दी न करो, कोई न कोई आएगी। करीब एक हफ्ते के बाद एक औरत ने मसाज के लिए मुझे चुना।
38 से 40 साल के बीच उसकी उम्र होगी। मैं उसके साथ अंदर केबिन में चला गया। मसाज करते-करते वह स्मूच करने लगी। मैं इस पोजिशन में किसी औरत के साथ पहली दफा था। सच पूछो तो मुझे भी अच्छा लग रहा था। हम दोनों घंटो एक दूसरे को चूमते रहे। उसने मुझे घर आने के लिए कहा। मेरा उसके घर जाने का 10,000 रुपए तय हुआ। अगले दिन मैं उसके घर गया। वह औरत अमीर थी। उसका पति विदेश में रहता था। उसके आलीशान घर में उसके अलावा उसका एक महंगा कुत्ता था।
महिला जालीदार नाइटी पहनी हुई थी। मैं बहुत एक्साइटेड था। उसने मुझसे खाने के लिए पूछा। मैंने पिज्जा मंगवाया। खाने के बाद उसके साथ पूरी रात उसके बेडरूम में रहा। हमारे बीच पहली दफा संबंध बने। एक दफा संबंध बनाने के बाद वो मुझे अपनी कार में रात में मरीन ड्राइव और सीलिंक घुमाने ले गई। इतनी रात में मरीन ड्राइव और सीलिंक मैंने पहली दफा उसके ही साथ देखा था। मैं एकदम जंगली की तरह बिहेव कर रहा था। रात की चकाचौंध देखकर पागल हुआ जा रहा था।
उसने रास्ते में मुझे अपनी कहानी सुनाई। उसने बताया कि उसका पति भारत बहुत कम आता है। उसे शक है कि उसने वहां दूसरी शादी कर ली है, लेकिन वह उसके लिए पैसे कोई कमी नहीं छोड़ता है। उस औरत के पास इतना पैसा था कि मैं बयां नहीं कर सकता। वह मुझे यह सब बताते हुए लगातार रो रही थी। खैर हम घर पहुंचे। उसने अपने लिए एक पैग बनाया और हमने फिर से एक दूसरे के साथ बेडरूम में अच्छा वक्त बिताया। सुबह उसने जाते हुए मुझे खुश होकर 10,000 की बजाय 15000 रुपए दिए।
मेरे और उस औरत के बीच सात महीने तक यह सिलसिला चलता रहा। मैं उसके पास जाता, हम अच्छा वक्त बिताते और वो मुझे पैसे देती। एक दिन उसने अपने घर में एक पार्टी रखी। मुझे भी बुलाया। मैं उसके घर गया वहां करीब 40 साल से लेकर अधेड़ उम्र तक की कई औरतें थीं। एक तरह से यह अमीर औरतों की किट्टी पार्टी टाइप थी। उस महफिल में मैं कुछ असहज महसूस कर रहा था। पार्टी के बाद उस औरत ने मुझे अपने घर रुकने के लिए कहा, लेकिन मैंने मना कर दिया। जाते हुए उसने मुझसे इतना कहा कि इन औरतों में से कोई पसंद आए तो बताना।
वहां से जाने के बाद मैं अपने काम में बिजी हो गया। उस महिला से मेरी बात नहीं हुई। एक दिन मैंने उसे फोन किया और मिलने के लिए कहा। मैंने उसे बताया कि मुझे उस दिन किट्टी पार्टी में आई फलां औरत से मिलना है। उसने कहा कि ठीक है। तुम जहां कहोगे मैं तुम्हें भेज दूंगी, लेकिन शर्त है कि तुम दुनिया में कहीं रहो, लेकिन जब भी मैं तुम्हें बुलाऊंगी तुम्हें मेरे पास आना होगा। बदले मैं तुम्हें पैसे की कमी नहीं होने दूंगी। मुझे तो पैसे चाहिए थे, मैंने भी वादा किया कि मेरा परफॉर्मेंस हमेशा अच्छा रहेगा। उसने मुझे उस औरत का फोन नंबर दे दिया।
मैंने उस औरत को फोन किया। उसने मुझे एक जगह बुलाया। तय समय के मुताबिक मैं वहां पहुंचा। देखा कि वहां कुल तीन औरतें थीं। वे ग्रुप सेक्स चाहती थीं। तीनों ने जैसा चाहा मेरे शरीर के साथ किया। बस उस रात मेरे प्राण नहीं निकले। एक दफा तो मैंने हाथ जोड़ दिए। मैं थक कर पस्त होकर लेटा रहा, उनका जो मन चाहा वह मेरे शरीर को उधेड़ती रहीं। सुबह होने पर उन्होंने मुझे 25,000 रुपए दिए।
मुझे इस तरह रईस औरतों से जो भी पैसे मिलते मैं उन्हें जमा करता रहा। फिर मैंने अपने जमा किए पैसों से नायगांव में एक कमरे का फ्लैट खरीदा। मैं अपने घर पर भी ठीक-ठाक पैसे भेजता था। अब मुझे कई जगह काम भी मिलने लगा था। अमीर औरतें मेरी क्लाइंट थीं। मुझे एक रात के दस हजार से 25,000 रुपए तक मिल जाते थे। किसी का पति बाहर रहता था, किसी का पति कहीं और सेट था, किसी का पति विदेश में था तो किसी का पति ही नहीं था।
इनमें से कुछ औरतों को सिर्फ सेक्स की दरकार थी, कुछ मेरे साथ क्वालिटी टाइम बिताना चाहती थीं तो कुछ अपनी कहानी बताते-बताते रोने लगती थीं। बेशक समाज की रवायतों के खिलाफ शादीशुदा होते हुए भी यह औरतें मुझसे संबंध बनाती थीं, लेकिन मुझे इनका अकेलापन समझ आता था। जो औरत मेरे साथ एक दफा रह लेती थी, वह मेरे साथ दोबारा रात गुजारने की ख्वाहिश रखती थी।
मेरा जीवन अब ठीक से चलने लगा था। अपने जिस्म के बदले इन औरतों से खूब पैसा बटोरा। मुझे लगने लगा था कि बस बहुत हो गया। मर्दों और रईस औरतें, दोनों ने मेरे शरीर को खूब नोचा। शरीर के बदले मर्दों से मुझे नेटवर्क और काम मिला। औरतों ने मुझ पर पैसे की बारिश की। मैं अब लाइफ सेट करना चाहता था, ठहरना चाहता था। एक्टिंग करते हुए मेरी एक लड़की से नजदीकियां बढ़ीं। मैंने उसे अपने बारे में सब बता दिया। हम दोनों तीन साल से एक साथ रह रहे हैं और अब शादी करने जा रहे हैं।
मर्दों और औरतों ने बराबर मेरा दोहन किया, लेकिन यह सब औरतों के साथ होता है तो उनके अधिकारों और अन्याय को लेकर हायतौबा मच जाती है। हम तो ऐसा होने पर चीख भी नहीं सकते हैं। हमारा दुख इसलिए दुख नहीं है क्योंकि हम मर्द हैं। कोई यह नहीं समझता कि हमारा भी शरीर है, इमोशंस हैं, जज्बात हैं।