यह भी चर्चा उड़ी कि उनके बेटे आदित्य यादव भी भाजपा का दामन थामेंगे। सूत्रों के मुताबिक, इन चर्चाओं के बावजूद सपा शिवपाल को रोकने के मूड में नहीं है। तकनीकी रूप से वह जसवंत नगर से सपा के विधायक हैं, लेकिन चुनाव से पहले प्रसपा और सपा के बीच गठबंधन हुआ था, विलय नहीं।
सपा के कुछ नेताओं का मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले शिवपाल के सपा के साथ आने से पहले पार्टी को कोई खास फायदा नहीं हुआ। भविष्य में भी इस लिहाज से उनसे बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती।
उल्टे उनकी मौजूदगी से नुकसान होने की ज्यादा आशंका है। इसलिए सपा न तो उन्हें भाजपा में जाने से रोकेगी और न ही चले गए तो इस पर कोई कड़ी प्रतिक्रिया देगी। विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा विष्ट के भी भाजपा में जाने पर सपा नेतृत्व ने बड़ी ही सधी प्रतिक्रिया दी थी।
प्रसपा की राज्य कमेटी और प्रकोष्ठ भंग
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) की राज्य कमेटी और अन्य प्रकोष्ठ कीसभी कार्यकारिणी शुक्रवार को भंग कर दी गईं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आदित्य यादव ने यह निर्णय लिया और कहा कि जल्द आगे की रणनीति तय की जाएगी। प्रसपा के इस कदम के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
प्रसपा संस्थापक शिवपाल सिंह यादव भले ही सपा से विधायक चुने गएहैं पर पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से उनकी दूरी व नाराजगी साफ नजर आ रही है। चाहे सपा की बैठकों में शिवपाल की अनुपस्थिति हो या दिल्ली में मुलायम सिंह से उनकी मुलाकात, सभी पर तमाम सवाल खड़े हुए।
पिछले कुछ दिनों से शिवपाल की भाजपा से नजदीकियां भी साफ नजर आ रही हैं। ऐसे में प्रसपा ने पूरी कार्यकारिणी भंग कर सियासी हवा को तेज कर दिया है। सवाल उठा है कि क्या कार्यकारिणी का दोबारा गठन हो पाएगा या फिर पूरी तरह से भाजपा के साथ हो लिया जाएगा। हालांकि पार्टी की राष्ट्रीय कमेटी को अभी भंग नहीं किया गया है।