बारिश हुए एक महीने से अधिक समय हो गया है। ऐसे में लहसुन का तना (डंडी) गिरनी शुरू हो गया है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले में इस बार चार हजार हेक्टेयर भूमि पर 60 हजार मीट्रिक टन लहसुन का उगाने का लक्ष्य रखा गया है। किसानों ने कृषि विभाग के अलावा अपने स्तर पर भी अन्य स्थानों से लहसुन का बीज खरीदकर लगाया है। जिले के गिरिपार क्षेत्र नौहराधार, हरिपुरधार, संगड़ाह, राजगढ़ के अलावा सैनधार, धारटीधार व पच्छाद विस क्षेत्र में लहसुन की फसल का उत्पादन बड़े स्तर पर होता है। बारिश न होने के कारण अब तक 60 फीसदी के करीब लहसुन की फसल प्रभावित हो चुकी है। किसान बलिंद्र सिंह ने बताया कि उसने 100 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बीज खरीदा था। मार्च और अप्रैल माह में व्यापक बारिश न होने से फसल खराब होने की कगार पर है। इसके अलावा श्रवण सिंह, विनय, कमल, राजीव आदि ने बताया कि सूखे से उनकी लहसुन की फसल भी काफी प्रभावित हुई है। सरकार लहसुन उत्पादकों को दे मुआवजा कृषि विभाग जिला सिरमौर के उपनिदेशक डॉ. राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि जिले में 25 से 50 फीसदी तक लहसुन की फसल सूखे से प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि जो क्षेत्र सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर हैं, वहां अधिक नुकसान हुआ है। उन्होंने सलाह दी कि किसानों की अपनी फसलों का बीमा करवाना चाहिए, ताकि ऐसी स्थिति में उन्हें मुआवजा मिल सके।
जिला सिरमौर किसान सभा के उपाध्यक्ष सतपाल मान ने कहा कि सूखे के चलते किसानों की 55 से 60 फीसदी फसल बर्बाद हो गई है। उन्होंने मांग की कि अन्य फसलों की तर्ज पर लहसुन के लिए भी सरकार समर्थन मूल्य निर्धारित करे। साथ ही किसानों को मुआवजा प्रदान करे।