पंजाब हादसे में एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत के 30 घंटे बाद मंगलवार शाम शवों को घर लाया गया। हादसे के शिकार सीकर के डॉक्टर, उनकी पत्नी और बेटे का शव आते ही घर में कोहराम मच गया। डॉक्टर की मां मनोहरी देवी को सुबह नींद की गोली देकर सुलाया गया था। शाम को वह जाग गईं। बेटे-बहू और पोते का शव देखकर दहाड़े मारकर रोने लगीं। सुध-बुध खो बैठी मां को अब भी यकीन नहीं था, कि उसके कलेजे का टुकड़ा अब नहीं रहा। पिता प्रभुदयाल को ऐसा सदमा लगा कि वह खामोश रहे। कभी बेटे के शव के पास तो कभी बहू और पोते के सिर पर हाथ रखकर रोने लग रहे थे। गमगीन माहौल में तीनों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया।
शव देखकर दहाड़े मारकर रोने लगीं
डॉक्टर के घर पर नाते-रिश्तेदार और पड़ोसियों की भीड़ लग गई। शवों को एंबुलेंस से उतारकर घर के आंगन में रखा गया। पिता तो सिर पकड़कर जमीन पर ही बैठ गए। डॉक्टर के दोनों भाइयों ओमप्रकाश और जयप्रकाश ने परिवार को संभाला। मां गहरे सदमे में चुप हो गई। महिलाओं ने पानी पिलाने की कोशिश की, मगर मुंह तक नहीं खोला। आंखों से बस आंसू निकलते रहे। महिलाएं पकड़कर बेटे, बहू और पोते के शव के पास लेकर गईं।
तीनों का मंगलवार शाम को अंतिम संस्कार किया गया। एक साथ उठी अर्थी को दोनों भाइयों और रिश्तेदारों ने कंधा दिया। दोनों भाइयों की पत्नियों ने अपनी सास को संभाला। चचेरे भाई सागर, मामा गिरधारी, भतीजे और अन्य रिश्तेदारों ने रोते-रोते परिवार को संभाला। मृतक डॉक्टर के भतीजे विक्रम ने मुखाग्नि दी।