हजरत अली के अनमोल वचन इंसान के जीवन में पैदा करते निखार – शहादत पर गम के माहौल में मनाई जाती रमजान की 19 व 21 तारीख
फतेहपुर। रमजान माह जिसमें हर इंसान यही कोशिश करता है कि पापों से बचें और साल भर में यदि कोई बुरी आदत पड़ गई है तो उस बुराई को दूर करें और नेकियां करें लेकिन इसी महीने की 19 को मुसलमानों के खलीफा हजरत अली अ0स0 को अब्दुर्रहमान पुत्र मुलजिम नाम के व्यक्ति ने उन पर तलवार से हमला उस समय किया, जब वह नमाज में सजदे की हालत में थे। इसी को लेकर हजरत अली के चाहने वाले 19 से 21 रमजान तक शोकाकुल माहौल में हजरत अली की याद मनाते है।
हजरत अबू तालिब के पुत्र हजरत अली का जन्म 17 मार्च सन 600 (13 रजब 24 हिजरी पूर्व) मुसलमानों के तीर्थ स्थल काबा के अंदर हुआ था। वे मोहम्मद साहब के चचा जात भाई और दामाद थे। आपकी पत्नी बीबी फातिमा तथा पुत्र इमाम हसन, हुसैन, हजरत अब्बास सहित पुत्रियां थीं। मुसलमानों के खलीफा के रूप में शासन करने वाले हजरत अली को पहला मुस्लिम वैज्ञानिक भी माना जाता है। उक्त जानकारी देते हुए अधिवक्ता सैय्यद जेड़ नकवी ने बताया कि जिन्होंने वैज्ञानिक जानकारियों को बहुत ही रोचक ढंग से आम आदमी तक पहुंचाया है। आपने अपनी खिलाफत के दौरान अद्वितीय जनतांत्रिक सरकार की स्थापना की थी। उनके शासन का आधार न्याय था। समाज में असत्य पर आधारित या किसी अनुचित कार्य को वे कभी भी सहन नहीं करते थे। उनके दौर में जनता की भूमिका ही मुख्य होती थी। वे कभी भी धनवानों और शक्तिशालियों पर जनहित को प्राथमिकता नहीं देते थे। आपके अनमोल वचन इंसानों के जीवन में निखार पैदा कर सकते है। आपने कहा कि इच्छाओं की अधिकता जिसके कारण व्यक्ति परलोक को भूल जाता है तथा इन्द्रियों का अनुसरण जो व्यक्ति को वास्तविकता से दूर कर देता है से मैं बहुत डरता हूँ। आप बड़े वीर, योद्धा, ईमानदार, साहसी एवं बलिदानी महापुरुष थे। आपने खैबर, खंदक, सिफ्फीन आदि जंगे लड़ीं और विजयश्री हासिल की। मरहब नामक व्यक्ति जो यहूदी सेना का प्रमुख था जिसकी शक्ति और वीरता किसी को भी कंपा देती थी। हजरत अली ने उसे खैबर की जंग में मार गिराया और दो बराबर के टुकड़ों में विभाजित कर दिया। खैबर के किले का दरवाजा जिसे 20 लोग मिल कर खोलते व बंद करते थे, उसे उखाड़ कर फेंक दिया। ऐसी अनेकों मिसालें हजरत अली के ईमान, यकीन, निष्ठा, आत्मा साहस, बलिदान एवं वीरता का जीता जागता उदाहरण है। आप अपनी आत्मा से ज्यादा मोहम्मद साहब की आत्मा को प्यार करते थे तथा अपने जीवन को मोहम्मद साहब पर बलिदान करने का निर्णय लेने के बाद दुश्मनों से घिरे मोहम्मद साहब को रात के अंधेरे में मक्के से कूच करवा कर उनके बिस्तर पर चैन की नींद सो जाना हजरत अली के बलिदान का उदाहरण है। आपके निर्णय, ईमानदारी, गरीबों से मोहब्बत आदि अच्छाइयों को देखते हुए लोग आपके दुश्मन हो गए और 19 रमजान को सुबह की नमाज के वक्त जब वह रोजे की हालत मे मस्जिदे कूफा में सजदे की हालत में थे, अब्दुर्रहमान नामक व्यक्ति ने आपके सर पर जहर से बुझी तलवार से वार कर दिया। जिसके चलते आप गंभीर रूप से घायल हो गए। तीसरे दिन 21 रमजान को आपकी शहादत हो गई। आपको ईराक के नजफ अशरफ में दफन किया गया। इसी को लेकर 19 से 21 रमजान हजरत अली की याद गम के माहौल मे मनाई जाती है।