स्कूली बसों की देख-रेख के नियमों में लापरवाही के चलते गाजियाबाद के मोदीनगर में कक्षा चार के दस वर्षीय छात्र अनुराग भारद्वाज की अकाल मौत हो गई। इकलौते चिराग के खोने से परिवार गम में है। स्कूल मालिक, प्रधानाचार्य और बस चालक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है। मगर, इस हादसे ने एक बार फिर स्कूली वाहनों की व्यवस्था पर सवाल उठाए है। बागपत जिले में भी स्कूली वाहनों के नियमों का उल्लंघन ही उल्लंघन देखने को मिला। अधिकांश स्कूली बसों के पास परमिट नहीं है। जिनके पास परमिट है, उनमें अधिकतर की फिटनेस नहीं कराई जाती है। बसों में कैमरे नहीं है तो फर्स्ट एड बॉक्स भी नहीं है। परिजन भी डग्गामार वाहनों में बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं।
परमिट के बिना भी चल रहे, स्कूल में 470 बस व अन्य वाहन
बागपत जिले में करीब 60 स्कूल है, जिनमें 470 बस और अन्य वाहन चल रहे हैं। मगर, अधिकांश बस और वाहन बिना परमिट के चल रहे हैं। इनमें किसी का निजी परमिट है तो किसी ने कामर्शियल इस्तेमाल के लिए परमिट लिया हुआ है। स्कूल के लिए अलग से परमिट दिया जाता है, जिसके लिए सभी जरूरी नियमों को पूरा करना होता है। मगर, जिले में दौड़ रहे अधिकांश स्कूली वाहनों में ऐसा नहीं किया गया है।
वाहनों में बच्चों की जान जोखिम में डाल रहे डग्गामार
कई स्कूलों ने अपनी बसें चलाने की जगह बाहरी लोगों को ठेका दिया हुआ है। इन ठेकेदारों ने डग्गामार वाहनों को स्कूलों में लगाया हुआ है। इनमें टाटा मैजिक, जीप आदि शामिल है। किसी ने बस लगाई हुई है, जिनमें नियमों का पालन नहीं किया गया है। शीशे के साथ पाइप व जाली तक नहीं लगी हुई है, जिससे बच्चा बाहर सिर नहीं निकाल सके। कई अन्य सुरक्षा उपकरण भी नहीं लगाए गए है, जिससे बच्चों की जान का जोखिम रहता है।
परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में 66 बसों के खिलाफ कार्रवाई हुई। इनमें 52 का चालान हुआ और 14 को सीज किया गया। इनमें किसी की फिटनेस नहीं थी तो किसी का बीमा खत्म हो चुका था। इनके अलावा भी नियमों का पालन नहीं करने के कारण कार्रवाई की गई। इनसे सात लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया।
इन बातों का भी रखे ध्यान अभिभावक
– बस खड़ी होने पर ही बच्चों को चढ़ाएं।
– चालक के बारे में पूरी जानकारी रखे और उसका चरित्र प्रमाण पत्र भी देखें।
– बस में एक हेल्पर है या नहीं।
– बच्चों के आने और जाने के समय पर ध्यान रखें।
– बस के अंदर बच्चों को बैठने के लिए जगह मिल रही हैं या नहीं।