‘ओमिक्रॉन संक्रमण’ बच्चों में जानलेवा हो सकता है, सामने आई यह डराने वाली जानकारी, बरतें सावधानी

भारत में भी हालात बिगड़ते हुए नजर आ रहे हैं। दुनियाभर में पिछले कुछ दिनों में बढ़े कोरोना संक्रमण के मामले काफी डराने वाले हैं।  दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित नौ राज्यों में कोरोना के दैनिक मामलों में तेजी से उछाल देखने को मिल रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ज्यादार लोगों में ओमिक्रॉन के BA.2 वैरिएंट (स्टील्थ)  का संक्रमण देखा जा रहा है, हालांकि चिंताजनक बात यह है कि इस बार बच्चों में भी संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा है। चूंकि देश में अभी बच्चों के वैक्सीनेशन की रफ्तार काफी धीमी है जिसके कारण उनमें संक्रमण की स्थिति में गंभीर लक्षण होने का खतरा बना हुआ है। फिलहाल ज्यादातर बच्चों में हल्के लक्षण ही रिपोर्ट किए जा रहे हैं जो आसानी से ठीक भी हो जा रहे हैं।
इस बीच बच्चों में संक्रमण के जोखिम को लेकर शोध कर रही टीम ने डराने वाली जानकारी दी है। अमेरिका स्थित कोलोराडो और नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस शोध में पाया गया है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमण की स्थिति कुछ बच्चों के लिए जानलेवा तक हो सकती है। अध्ययन में पता चलता है कि यह वायरस ऊपरी वायुमार्ग में तेजी से संक्रमण को फैला रहा है जिससे गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का जोखिम बढ़ सकता है। आइए इस शोध के बारे में आगे विस्तार से जानते हैं। में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि ओमिक्रॉन वैरिएंट कुछ बच्चों के ऊपरी वायुमार्ग को गंभीर क्षति पहुंचा रहा है, जिसके कारण कार्डियक अरेस्ट जैसी जानलेवा समस्याओं का जोखिम काफी बढ़ जाता है। छोटे बच्चों में इसका खतरा अधिक पाया गया है। चूंकि छोटे बच्चों का वायुमार्ग छोटा और नाजुक होता है, जो इनमें गंभीर संक्रमण और जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकता है। माता-पिता को इस बारे में विशेष अलर्ट रहने की सलाह दी जाती है

इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट (B.1.1.529) के कारण अस्पताल में भर्ती 18,849 बच्चों की स्थिति का अध्ययन किया। कई स्तर पर किए गए परीक्षण के परिणामों से पता चला कि ओमिक्रॉन वैरिएंट, बच्चों के ऊपरी वायुमार्ग में संक्रमण की वृद्धि का कारण बन रहा है।शोध के परिणाम बताते हैं कि अमेरिका में हर पांच में एक कोरोना संक्रमित बच्चे में ऊपरी वायुमार्ग के गंभीर संक्रमण का खतरा देखने को मिल रहा है, जिसके कारण संक्रमित बच्चों में गंभीर बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है।
शोध में शामिल 18,849 बच्चों में से 384 में ऊपरी वायुमार्ग में गंभीर संक्रमण का मामला देखने को मिला। शोधकर्ताओं का कहना है कि गंभीर संक्रमण की स्थिति में बच्चों को वेंटिलेटर पर रखने, वैसोप्रेसर्स, या एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन की भी आवश्यकता हो सकती है। इतना ही नहीं अगर संक्रमण बढ़ता है और समय पर इसपर ध्यान नहीं दिया जाता है तो यह मौत का भी कारण बन सकता है। 384 में से 81 बच्चों में ऐसी गंभीर समस्याएं देखी गई हैं।
अध्ययन के बारे में कोलोराडो स्कूल ऑफ मेडिसिन में बाल रोग विभाग के प्रोफेसर ब्लाके मार्टिन बताते हैं, बच्चों के ऊपरी वायुमार्ग में इस संक्रमण के कारण रुकावट की समस्या का खतरा बढ़ जाता है, जो गंभीर स्थितियों में हृदय गति रुकने का भी जोखिम बढ़ा सकती है। ऐसे बच्चों को आमतौर पर आईसीयू में रखने की आवश्यकता हो रही है, कुछ स्थितियों में बच्चे इलाज के प्रति अच्छा रिस्पांस नहीं दे पा रहे हैं, क्योंकि वयस्कों की तुलना में उनके वायुमार्ग नाजुक होते हैं।
अध्ययन के निष्कर्ष में शोधकर्ता बताते हैं कि वैसे तो बच्चों में संक्रमण के गंभीर मामले बहुत अधिक रिपोर्ट नहीं किए जा रहे हैं, हालांकि इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है कि यह वैरिएंट कम आयु, विशेषकर नवजातों के लिए भी समस्या का कारण बन सकता है। सामान्यतौर पर ओमिक्रॉन और इसके सब-वैरिएंट्स को हल्के लक्षण वाला माना जाता रहा है, हालांकि बच्चों में इसके संक्रमण की स्थिति में लक्षणों के गंभीर होने की आशंका को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

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