बाँदा प्रशासन बना रहा लोगों का फर्जी एससी कोटे से जातिप्रमाण- जिसका दुरुपयोग कर महिला मुकदमा लिखाने में माहिर साथ दे रहा बांदा प्रशासन

न्यूज़ वाणी

बाँदा प्रशासन बना रहा लोगों का फर्जी एससी कोटे से जातिप्रमाण- जिसका दुरुपयोग कर महिला मुकदमा लिखाने में माहिर साथ दे रहा बांदा प्रशासन

 ब्यूरो मुन्ना बक्श

बाँदा। पीड़ित पत्रकार ने लगाई जिलाधिकारी कमिश्नर से न्याय की गुहार लगाते हुए कहा कि
प्रशासन की लापरवाही कहे अथवा मनमानी कि एक ओबीसी जालसाज परिवार के पिता पुत्री सहित तीन लोगों का फर्जी एससी कोटे से प्रमाणपत्र
जारी किया है। जिसका लाभ उठाकर तीनों सरकारी नौकरी बांदा जिले में कर रहे। वैसे इनका मूल निवास गांव निवाड़ी कला थाना बकेवर भरथना तहसील इटावा जिला का है वहीं जालसाज परिवार इटावा से आकर बांदा में फर्जी एससी कोटे पर नौकरी करने वाला परिवार उपरोक्त से कड़ेरे जाति का जो पिछड़ी जाति में आता है। इनकी जालसाजी नौकरी तक सीमित नहीं ये फर्जी जातिप्रमाणपत्र का सहारा लेकर निर्दोष लोगों पर महिला व अनुसूचित जाति का लाभ उठाते हुए दिनांक 04/072021 को रामकिशोर नाम के व्यक्ति पर फर्जी कई धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराई थी। जिसकी विवेचना सीओ सिटी बांदा के द्वारा जालसाज परिवार के तहसील से कराई गई थी। जिसमें जालसाज परिवार के जाति का खुलासा पिछड़ी जाति का हुआ। व रामकिशोर उपाध्याय के ऊपर लिखाए गए मुकदमे में एससी/एसटी एक्ट अपराध नहीं पाया गया। अन्य धाराओं पंजीकृत अभियोग कोर्ट में विचाराधीन हैं। वही मुकदमे के आरोपी ने लिखित प्रार्थनापत्र साक्ष्य सहित आठ महीने पहले बांदा बीएसए रामपाल सिंह को दिया था लेकिन बांदा बीएसए ने तहसीलदार से जांचकर जालसाज परिवार उचित कार्यवाही करने का आश्वासन देते आ रहे हैं। आठ महीने में जांच न होने के कारण रामकिशोर उपाध्याय ने ये बात मिडिया समक्ष प्रस्तुत किया इस सम्बंध जब दूर भाष के जरिए बांदा बीएसए से बात की गई तो उन्होंने रिपोर्ट न आने का हवाला देते हुए बताया की नीलम सिंह का मानदेय रोक दिया है।जैसे ही रिपोर्ट आती कार्यवाही करूंगा।वही इसी संबंध में जब बांदा तहसीलदार से बात की गई तो उन्होंने उस समय ऑनलाइन नही होता था का हवाला देकर अपने पास कोई साक्ष्य न होने की बात बताई, लेकिन जब बीएसए के प्रार्थनापत्र के जवाब के बारे में बात की गई तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए लेटर न मिलने की बताई। वही जब तहसीदर व बीएसए की कॉल रिकार्डिंग होने की बात बताई गई तो उन्होंने चुनाव से पहले कोई पत्र आने का हवाला दिया। लेकिन चुनाव के टाइम आया था गायब हो गया है फिर से रिमाइंडर भेजवाने की बात कही।वही दुबारा बीएसए से बात हुई तो उन्होंने रिमाइंडर भेजने की बात कही है
इससे ये अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है कि बीएसए व तहसीदार की मिलीभगत से जालसाज परिवार के हौंसले बुलंद है कि एक तहसीलदार लेबल का अधिकारी लेटर खो गया व रिमाइंडर भेजने की बात करता है अब देखना ये है कि डीएम की कार्यवाही क्या होगी इस पर ये तो जांच का विषय है । देखना यह होगा कि निष्पक्ष जांच होती या जांच की होगी रस्म अदायगी

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