जानिए इस बार कितनी गंभीरता की आशंका, चौथी लहर को लेकर महामारी विज्ञानी का बड़ा दावा

 देश में पिछले कुछ हफ्तों से जिस रफ्तार से कोरोना संक्रमण के मामलों में उछाल देखी जा रही है, उसके कारण चौथी लहर की आशंका बढ़ गई है। दुनिया के कई देशों से सामने आ रहे आंकड़े भी इसी तरफ इशारा करते हैं। चीन में जिस तरह से विशेष सख्ती के बाद भी संक्रमण के मामलों में भारी वृद्धि देखी जा रही है, वह भारत के लिए भी अलार्मिंग है। चीन में जीरो कोविड टॉलरेंस नीति के बाद दैनिक मामलों में तेजी से बढ़ोतरी रिकॉर्ड हो रही है, जिसके चलते कई हिस्सों में सख्त लॉकडाउन लगाया गया है। लाखों की संख्या में लोगों की मास टेस्टिंग की जा रही है ताकि प्रसार को नियंत्रित किया जा सके। ब्रिटेन में भी ऐसे ही हालात बिगड़ने की खबरें हैं। इन देशों से सबक लेते हुए भारत में भी कई राज्यों में मास्क लगाने को लेकर नियमों को दोबारा से सख्त कर दिया गया है।पिछले कुछ हफ्तों से देश में संक्रमण के रोजाना के आंकड़ों में लगातार उछाल देखा जा रहा है। गुरुवार को देश में कोरोना के 3377 नए मामले दर्ज किए गए जबकि 60 लोगों की संक्रमण से मृत्यु हुई। बुधवार की तुलना में यह आंकड़ा अधिक है। रोजाना बढ़ते कोरोना के केस ने चौथी लहर की आशंकाओं को बढ़ा दिया है।स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर लोगों में ओमिक्रॉन BA.1 और BA.2 संक्रमण के मामले देखे जा रहे हैं। ओमिक्रॉन BA.2 की संक्रामकता दर अधिक है, जिससे लोगों को विशेष बचाव करते रहने की आवश्यकता है। आइए जानते हैं कि संभावित चौथी लहर को लेकर विशेषज्ञों की क्या सोच है, क्या यह गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है?मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिस तरह से देश में एक बार फिर से संक्रमण के मामलों में तेजी आई है, साथ ही ओमिक्रॉन की संक्रामकता दर को देखते हुए चौथी लहर की आशंका जरूर है, हालांकि इस बारे में विशेषज्ञ फिलहाल कुछ स्पष्ट स्थिति में नहीं हैं। क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) वेल्लोर के भूतपूर्व प्रोफेसर और प्रख्यात वायरोलॉजिस्ट डॉ टी जैकब जॉन कहते हैं, फिलहाल देश में कोविड-19 की चौथी लहर की आशंका बेहद कम मान कर चली जा रही है, पर इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है। कुछ राज्यों में संक्रमण के मामले तेजी से रिपोर्ट किए जा रहे हैं, जोकि चिंता बढ़ाने वाले हैं।  डॉ जैकब जॉन कहते हैं, आंकड़े बताते हैं कि मार्च और अप्रैल में संक्रमण की दर स्थिर बनी हुई है। दिल्ली और हरियाणा में पिछले दो से तीन सप्ताह में जरूर वृद्धि हुई है। दिल्ली में प्रति पांच लाख की आबादी पर  एक हजार मामले दर्ज किए जा रहे हैं। देश में कोरोना के एंडेमिक स्टेज की उम्मीद की जा रही है, इसमें फिलहाल संख्या में निरंतर गिरावट हो यह जरूरी नहीं है। नए कोरोना वैरिएंट्स अगर अधिक प्रभावी होते हैं तो चौथी लहर आ सकती है, हालांकि इसकी आशंका फिलहाल बहुत कम है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट में देश में चौथी लहर की गंभीरता के बारे में डॉ जैकब जॉन कहते हैं, अगर चौथी लहर आती भी है तो इसके बहुत गंभीर होने की आशंका नहीं है। डॉ जैकब कहते हैं, अगर चौथी लहर आती है तो यह मेरे लिए बहुत आश्चर्य की बात होगी। यह गंभीर तो नहीं ही होनी चाहिए। देश में ज्यादातर लोगों का टीकाकरण हो चुका है ऐसे में  लहर के दुष्प्रभावों की आशंका कम है। हमें अधिक बचाव के लिए बूस्टर शॉट के बारे में भी विचार करना चाहिए।

एंटीबॉडीज लोगों में कम हो गई हैं 
वहीं से बातचीत में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के  शोधकर्ता प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे (साइटोजेनेटिक्स लैब, जूलॉजी विभाग) कहते हैं, देश में जिस तरह से कोरोना की रफ्तार है, ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आने वाले दिनों में हमें एक और लहर का सामना करना पड़ सकता है। ज्यादातर वैक्सीनेटेड लोगों में निर्मित एंटीबॉडीज का स्तर पहले से काफी कम हो गया है। 30 फीसदी लोगों में तो एंटीबॉडीज का स्तर लगभग खत्म हो चुका है, जो उनमें संक्रमण का जोखिम बढ़ा सकती है।चौथी लहर की गंभीरता को लेकर प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे कहते हैं, यह लहर बहुत परेशानियों वाली नहीं होनी चाहिए। तीसरी लहर की तुलना में चौथी लहर कम गंभीर होने के साथ जल्दी शुरू होकर जल्द ही खत्म हो जाएगी। इस बार ज्यादा लोगों के संक्रमित होने की आशंका भी कम है। ऐसी भी उम्मीद की जा रही है कि चौथी लहर देश के अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग समय में आ सकती है। फिलहाल इन आशंकाओं से बचाव के लिए कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर और वैक्सीनेशन ही हमारी मदद कर सकती है। हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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