अलग-अलग जगहों पर संयुक्त जांच टीम ने 171 ओवरलोड बालू भरे ट्रक किए गए सीज, पोकलैंण्ड नदियों मे कर रहीं गुलजारज़

न्यूज़ वाणी

अलग-अलग जगहों पर संयुक्त जांच टीम ने 171 ओवरलोड बालू भरे ट्रक किए गए सीज, पोकलैंण्ड नदियों मे कर रहीं गुलजारज़

 ब्यूरो मुन्ना बक्श

बाँदा। उत्तरप्रदेश के बाँदा में पिछले अक्टूबर माह से मौरम खदानों में रौनक गुलजार है। यह खदानें अक्सर अवैध खनन का मुद्दा बनती रही है। गाहे बगाहे फौरी कार्यवाही से जनता में प्रशासन का संदेश जाता रहा कि बाँदा में अवैध खनन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इससे इतर ज़मीन में शायद ही कोई खदान बांकी हो जो प्रतिबंधित हैवी पोकलैंड मशीनों को नदी में उतारने का काम न करती हो। यह ऐसी गलतफहमी है जो प्रशासन द्वारा खबर करने वालों को दिल खुश करने के लिए घर कराई जाती है। अलबत्ता बाँदा तो अवैध खनन का गर्भगृह है यहां की केन नदी का लाल सोना खदानों से निकलने के बाद पूरी व्यवस्था को मालदार करता है। सिस्टम साधने के बाद जो बचत होती है वह ओवरलोडिंग से पूरी की जाती है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार को इस ओवरलोडिंग से राजस्व की क्षति होती है तो वहीं सड़कों की बर्बादी आम बात है। बतलाते चले कि बाँदा में करीब 20 से ऊपर मौरम खदानें चल रही है। क्षेत्रीय शिकायत पर डीएम बाँदा के नेतृत्व में गठित टास्क फोर्स ने बीते शनिवार की रात्रि से कार्यवाही शुरू की जो रविवार को भी जारी रही है। इस टीम में एडीएम वित्त व राजस्व,एसडीएम पैलानी सुरभि शर्मा,सीओ सदर आनंद कुमार पांडेय,खनिज अधिकारी सौरभ गुप्ता, तहसीलदार पैलानी व पुलिस बल शामिल रहा है। बाँदा में यह मौरम खदान आगामी 30 जून से बन्द हो जाएंगी। मई और जून में खदानों से जितना बालू निकालने की जद्दोजहद होती है वह अन्य महींनो में कमतर होती है। डीएम जहां राजस्व की भरपाई करने को टीम से छापेमारी करवाते है वहीं खदानों में पिछले दो साल से मौरम डंप की होड़ मची रहती है। बतलाते चले कि बालू का यह डंप दो साल पहले जून माह से शुरू होता था और जुलाई के बारिश माह से सितंबर तक चलता था। यह खदानों के लिए बाधित अवधि कहलाती है। इधर दो साल से सरकार की नई सुविधा अनुसार मार्च से डंप शुरू हो जाता है।
जबकि खदानों के चलते रहने पर डंप का कोई औचित्य नहीं बनता है यह बारिश के लिए किया जाता है। ताकि निर्माण कार्य संचालित होते रहे।

यहां की गई कार्यवाही –

रविवार को संयुक्त टीम ने जो कार्यवाही की है उसमें जसपुरा व पैलानी क्षेत्र में चलने वाली मौरम खदानों की संख्या ज्यादा रही है लेकिन यह कार्यवाही लगभग सभी थानों की जद में चलने वाली खदानों के ओवरलोडिंग खेल पर होना बताया जा रहा है। कुल 171 ओवरलोड ट्रक सीज किये गए है। इसमें शनिवार की रात को टीम ने कार्यवाही की शुरुआत की थी। वहीं रविवार को प्रशासन द्वारा की गई संयुक्त कार्यवाही में टीम ने 171 ट्रक ओवरलोड में सीज किये है। अंदरखाने की खबर मुताबिक मटौंध क्षेत्र में 59 वाहन, पैलानी में 86 वाहन, जसपुरा में 8 वाहन, कमासिन में 9 वाहन, चिल्ला में 2 वाहन, बिसण्डा में 4 वाहन, बबेरू में 2 वाहन अंतर्रा में 1 वाहन इस प्रकार कुल जनपद में 171 वाहन (गिट्टी / बालू) अवैध परिवहन और ओवर लोडिंग के तहत पकडे गये जिसमें करीब *15000000.00 रुपया (रू.एक करोड़ पचास लाख मात्र)* खनिज परिवहन वाणिज्य से राजस्व प्राप्त होने की सम्भावना है। उक्त कार्यवाही से जनपद के पट्टा धारकों, खदान संचालकों में हडकम्प मच गया है। बाँदा में सभी पट्टा धारकों को सचेत किया है कि उक्त अभियान लगातार जारी रहेगा। खदान संचालक यदि अवैध परिवहन ओवर लोडिंग करते पाये जाते है तो उस वाहन के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए सम्बन्धित पट्टा धारक के विरूद्ध भी विधिसंगत कार्यवाही की जायेगी।
*ओवरलोड पर कार्यवाही के बावजूद खदानों में पोकलैंड आबाद*

बाँदा की 20 से अधिक मौरम खदानों में आगामी दो माह बालू निकासी के लिए कत्ल की रात जैसे होते है। 6 माह से 5 साल के लिए मिली यह खदान एक सीजन में नदी तट पर मिले मौरम पट्टे की आंत तक बाहर निकाल लेते है। अर्थात अवैध खनन की ग़दर में हैवी मशीन से तालाब जैसे गड्ढे किये जाते है जबकि नियमसँगत 3 मीटर की गहराई तक खनन कर सकते है। यह नजारा देखना हो तो इस वक्त बन्द पड़ी पैलानी क्षेत्र की 100/3 खदान में देख सकतें है। यहां वीरानी के बीच नदी की दुर्दिनता देखकर दुःख होता है। ग्राम अमलोर के खण्ड 8 में इस वक्त अवैध खनन की चांदी है। कारण यह है कि जो किसान खदान चलने के वक्त विरोध कर रहे थे या जो नदी से लगे अपने खेतों से बालू निकासी की शिकायत करते फिरते थे आज खदान संचालक से सिस्टम बैठने पर खेती की निजी भूमि से अवैध खनन करा रहे है। अब सबकुछ जायज है। खदान के सीमांकन में बालू नहीं बची है। वहीं खंड 7 अब सिमटने की तरफ है। ग्राम गगौली व रेहुटा में अवैध खनन व ओवरलोडिंग की शिकायत ज्यादा आ रही थी जिसके चलते यह कार्यवाही की गई है। सदर सीट की खदान भवानीपुरवा में हैवी मशीनों से अवैध खनन पत्रकारों की बदौलत होता है। यथा दूसरी खदानों में जैसे किया जाता है। समाचार पत्रों में बड़ा विज्ञापन या मासिक व्यवस्था यह सिस्टम है। ग्राम मरौली दो साल से बालू निकासी में अवैध खनन के वायरल बुखार की तरह आबाद रहा लेकिन कार्यवाही उतनी की गई जो संदेश वाहक बने पर्यावरण संरक्षक कदापि नहीं। हर जनपद का अपना फलसफा है क्या बाँदा और क्या चित्रकूट। राष्ट्रवादी हो जाइए तब तो सब माफी है। यदि नहीं भी हो सकें तो मौजूदा व्यवस्था में आइये और चलाइये बस कलमकार, स्थानीय सरकार अर्थात ब्यूरोक्रेसी को साध लीजिये किसी भी खदान में कार्यवाही की खबर तक नहीं आएगी।
समाज की नदी किनारे भूमि में जो बालू बची है उसमें से भी खदान के सूत्रधार मुताबिक 300 ट्रक बालू उठ चुकी है। किसानों व क्षेत्र के लोगों को जब जानकारी हुई तो अब उन्हें साधने की जुगत लग रही है। मिली जानकारी मुताबिक खदान संचालक नियम कानून को धता बतलाकर ग्राम समाज से बालू निकासी की फिराक में है। पोकलैंड तैयार है बस सिस्टम फिट होने की देर है। यही कुछ खपटिहा खदान 100/1 वाले कर रहे है। सवाल यह कि जांच टीम ने खदानों में जाकर औचक निरीक्षण क्यों नहीं किया ? जब प्रशासन ज़िला अस्पताल और दूसरे विभाग देख सकता है तो मौरम खदानों पर कार्यवाही शिकायत या आंदोलन में ही क्यों होती है ? ज़िला प्रभारी मंत्री दो दिन रहे अन्य विभागों के साथ कभी कोई मौरम खंड में भी चला जाता तो बोध होता कि वास्तव में पर्यटन,संस्कृति और नदी की विरासत को बचाने की कवायद हो रही है।

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