शिक्षा, व्यवस्था हुई अस्त वस्त शिक्षा सिर्फ बन कर रह गया व्यपार( सचिव) भूपेंद्र पाण्डेय पीएसपी ग्रुप
न्यूज़ वाणी
ब्यूरो चीफ- मुन्ना बक्श
शिक्षा, व्यवस्था हुई अस्त वस्त शिक्षा सिर्फ बन कर रह गया व्यपार( सचिव) भूपेंद्र पाण्डेय पीएसपी ग्रुप
शिक्षा व्यवस्था सिर्फ नाम का बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते सरकार की नितिया एवं भष्ट अधिकारी
मध्यप्रदेश / रीवा – आज हर जिले शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई तरह की सवाल उठ रहें आखिर सरकार की बडे़ बडे़ वादे कहाँ गायब हो गए! शिक्षा व्यवस्था आज समाज के लिए कितना जरुरी है लेकिन सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते नजर आ रही है आपको बताते चले शिक्षा व्यवस्था का स्तर इतना नीचे हो गिर चुका है की बच्चें विद्यालय जाना तक पन्सद नहीं करते हैं सरकारी विद्यालय की स्थिति बद से बस्तर हो चुकी है अध्यापक सिर्फ अपनी हाज़िर के लिए उपस्थित दे रहे हैं ना की आने वाले विद्यालय में बच्चों के लिए खुलेआम सरकारी विद्यालय में देश का भविष्य कहलाने वाले बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते नज़र आ रहें भष्ट अधिकारी की मिलीभगत से अध्यापक आपको बतातें चले यह स्थिति रीवा सीधी सिंगरौली सतना के सरकारी विद्यालय की स्थिति है
विद्यालय बन गया व्यपार
शिक्षा व्यवस्था को एक व्यपार बन दिया गया है सरकार की नितिया हुई फेल एवं भष्ट अधिकारी की हो रही जेब गरम आपको बतातें चले आज शिक्षा जो समाज के उतना जरुरी है जितना भोजन अगर इन्सान को भोजन ना मिले तो वह कुछ दिन तक रह सकता है लेकिन अगर शिक्षा ना मिले तो वह अपनी जिंदगी कैसे गुजार सकता आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की सरकार कहती है हमारी शिक्षा व्यवस्था एक नबर पर आ गया है लेकिन हकीकत में आज के समय शिक्षा एक अच्छा व्यपार बन चुका है और भष्ट शिक्षा अधिकारी अपनी अपनी जेब गरम कर रहे हैं शिक्षा अधिकारी बिना जाच की की नये विद्यालय में क्या व्यवस्था है और शिक्षा व्यवस्था में अध्यपाक कहाँ से बिना जाच पडताल किऐ अनुमति प्रदान कर दे रहे हैं और वह शिक्षा की दुकान खोल कर अपने साथ शिक्षा अधिकारी की भी जेब गरम कर रहे हैं और आम जनमानस सिर्फ इसलिए अपने बच्चों का दाखिला करता है की सरकारी विद्यालय में कोई व्यवस्था नहीं है तो प्राइवेट स्कूलों में अच्छी शिक्षा व्यवस्था होगी लेकिन प्राइवेट स्कूलों की स्थिति सिर्फ व्यस्था के नाम फीस और हकीकत में व्यवस्था कुछ नहीं यह तक सही बिना लाइसेंस की चल रहे हैं शिक्षा संस्थान लेकिन शिक्षा अधिकारी अपनी जेब गरम कर रहे हैं और सब मिलकर देश के भविष्य कहलाने वाले बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और आम जनमानस पर बोझ आखिर कब तक