आने वाले दिनों में आप बिना इंटरनेट कनेक्शन के ही वीडियो, क्रिकेट, फिल्में और अन्य मल्टीमीडिया कंटेंट सीधे अपने मोबाइल पर देख सकेंगे। ऐसा डायरेक्ट-टू-मोबाइल यानी D2M ब्रॉडकास्टिंग टेक्नोलॉजी के जरिए संभव होगा।
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन यानी DoT और देश का पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टर प्रसार भारती इस पर काम कर रहे हैं। DoT ने पिछले साल ही IIT कानपुर के साथ इस टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग के लिए साझेदारी की थी। DoT ने इसके लिए एक कमेटी भी गठित की है।
आखिर क्या है डायरेक्ट-टू-मोबाइल ब्रॉडकास्ट?
डायरेक्ट-टू-मोबाइल ब्रॉडकास्ट यानी D2M का मतलब है वीडियो और अन्य मल्टीमीडिया कंटेंट को सीधे आपके मोबाइल पर ब्रॉडकास्ट या प्रसारित करना।
सीधे शब्दों में कहें तो बिना, इंटरनेट, केबल या DTH के ही आपको मोबाइल फोन में सीधे न्यूज, क्रिकेट आदि के वीडियो प्रसारण की सुविधा मिल जाएगी। साथ ही बिना इंटरनेट सीधे आपके फोन पर फिल्मों से लेकर हॉटस्टार, सोनी लिव, जी फाइव, अमेजन प्राइम और नेटफ्लिक्स जैसे ओवर द टॉप कंटेंट समेत अन्य मल्टीमीडिया कंटेट प्रसारित किए जा सकेंगे।
यह कुछ उसी तरह होगा जैसे लोग अपने फोन पर FM रेडियो सुनते हैं, जिसमें फोन के अंदर मौजूद रिसीवर रेडियो फ्रीक्वेंसी में बदलाव कर देता है। इससे लोग एक ही फोन पर कई FM चैनल सुन सकते हैं। इसी तरह D2M के जरिए मल्टीमीडिया कंटेंट को भी फोन में सीधे ब्रॉडकास्ट किया जा सकेगा। दरअसल, ये टेक्नोलॉजी ब्रॉडबैंड और ब्रॉडकास्ट को मिलाकर बनेगी।
क्या हैं डायरेक्ट-टू-मोबाइल के फायदे
इस टेक्नोलॉजी से बिना इंटरनेट कनेक्शन सीधे मोबाइल फोन पर लाइव न्यूज, स्पोर्ट्स और OTT कंटेंट का प्रसारण किया जा सकेगा। खास बात ये है कि सीधे फोन में प्रसारित होने वाले वीडियो और अन्य मल्टीमीडिया कंटेंट बिना बफरिंग के अच्छी क्वॉलिटी में प्रसारित होंगे, क्योंकि इसमें कोई इंटरनेट डेटा ही नहीं लगेगा।
इस टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि नागरिकों से जुड़ी किसी खास जानकारी को सीधे उनके मोबाइल में प्रसारित किया जा सकेगा, जिससे फेक न्यूज रोकने, इमरजेंसी अलर्ट जारी करने और आपदा प्रबंधन में सहायता करने में मदद मिलेगी।
कंज्यूमर्स को बहुत कम कीमत में मिलेगा
माना जा रहा है कि D2M टेक्नोलॉजी मोबाइल कंज्यूमर्स की दुनिया ही बदल देगी। इससे वे बिना कोई मोबाइल डेटा खर्च किए ही वीडियो ऑन डिमांड यानी VoD या OTT कंटेंट को सीधे अपने मोबाइल पर पा सकेंगे।
सबसे खास बात उन्हें ये सुविधा बेहद कम कीमत में मिलेगी। इससे ग्रामीण इलाकों में मौजूद वे मोबाइल कंज्यूमर्स भी आसानी से वीडियो कंटेंट देख पाएंगे, जिनके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है या सीमित है।
बिजनेस को कैसे होगा फायदा
इसका सबसे बड़ा फायदा टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को हो सकता है। जो D2M टेक्नोलॉजी से वीडियो ट्रैफिक को अपने मोबाइल नेटवर्क से ब्रॉडकास्ट नेटवर्क पर ऑफलोड कर सकते हैं।
इससे उन्हें कीमती मोबाइल स्पेक्ट्रम को बचाने में मदद मिलेगी। इससे मोबाइल स्पेक्ट्रम के उपयोग में सुधार होगा और बैंडविड्थ पर दबाव घटेगा, जिससे कॉल ड्राप को घटाने और डेटा स्पीड को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
सूचना प्रसारण मंत्रालय के सेक्रेटरी अपूर्व चंद्रा का कहना है कि डायरेक्ट-टू-मोबाइल यानी D2M से ब्रॉडकास्टर्स को फायदा होगा क्योंकि उन्हें नए ऑडियंस मिलेंगे। अभी देश में ब्रॉडकास्टिंग के कंज्यूमर्स की संख्या केवल 20-21 करोड़ उन घरों तक ही सीमित है, जिनके पास टेलीविजन हैं।
डायरेक्ट-टू-मोबाइल टेक्नोलॉजी आने से ब्रॉडकास्टर्स के कंज्यूमर्स की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी, जो आने वाले कुछ सालों में 100 करोड़ तक पहुंच सकती हैं, जोकि 2026 तक देश में स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या होगी। चंद्रा का मानना है कि D2M से लोगों की देखने की आदत बदलेगी और देश में न्यूज देखना कई गुना बढ़ जाएगा।
हर मिनट कई लाख मिनट के वीडियो देखे जाते हैं
भारत दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर्स वाले देशों में शामिल है। सूचना प्रसारण मंत्रालय के अनुसार, देश में 1.2 अरब मोबाइल फोन हैं, जिनमें से करीब 75 करोड़ स्मार्टफोन हैं। देश में 80% से ज्यादा इंटरनेट यूजर्स अपने मोबाइल पर इंटरनेट एक्सेस करते हैं। भारत में 82% इंटरनेट ट्रैफिक वीडियो का है।
देश में हर सेकेंड 10.1 लाख मिनट के वीडियो देखे जाते हैं, जोकि एक महीने में 60 अरब डीवीडी देखे जाने के बराबर है। हर महीने 240.2 एक्साबाइट या करीब 240.2 अरब गीगाबाइट डेटा इस्तेमाल होता है। लाइव इंटरनेट वीडियो का ट्रैफिक 2017-2022 के दौरान 15 गुना बढ़ा। कोरोना महामारी के दौरान हेल्थ, एजुकेशन जैसे विषयों से जुड़े वीडियो का कंजप्शन तेजी से बढ़ा है।
सरकार उठा रही है D2M टेक्नोलॉजी के लिए कौन से कदम?
DoT ने सीधे यूजर्स के स्मार्टफोन में ब्रॉडकास्ट सुविधाएं उपलब्ध कराने वाले स्पेक्ट्रम बैंड की संभावनाओं को तलाशने के लिए एक कमेटी गठित की है। DoT और प्रसार भारती ने इसके लिए IIT कानपुर से साझेदारी की है।
DoT के सेक्रेटरी के राजारमन का कहना है कि बैंड 526-582 मेगाहर्ट्ज मोबाइल और ब्रॉडकास्ट दोनों सर्विसेज के लिए काम कर सकता है। DoT ने इस बैंड की स्टडी के लिए एक कमेटी गठित की है। अभी इस बैंड का इस्तेमाल सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से देशभर में टीवी ट्रांसमीटर्स के लिए हो रहा है।
5G ब्रॉडबैंड और ब्रॉडकास्ट के मिलने से होगी क्रांति
D2M टेक्नोलॉजी ब्रॉडबैंड और ब्रॉडकास्ट के कनवर्जेंस यानी मिलन से तैयार होगी। हाल ही में दिल्ली में हुए ‘डायरेक्ट-टू-मोबाइल एंड 5G ब्रॉडबैंड कनवर्जेंस रोडमैप फॉर इंडिया’ सम्मलेन में हिस्सा लेते हुए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि डायरेक्ट-टू-मोबाइल और 5G ब्रॉडबैंड के कनवर्जेंस यानी मिलन से भारत में ब्रॉडबैंड और स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल में सुधार होगा।
उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के अपग्रेड होने से अब ब्रॉडबैंड सर्विसेज के लिए ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज और ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज के लिए ब्रॉडबैंड सर्विसेज देना संभव हो गया है।
D2M टेक्नोलॉजी के सामने कौन सी चुनौतियां हैं
अपूर्व चंद्रा का कहना है कि डायरेक्ट-टू-मोबाइल टेक्नोलॉजी आने से ब्रॉडकास्टिंग के ट्रेडिशनल प्लेटफॉर्म जैसे केबल और DTH सेक्टर पर काफी असर पड़ेगा, क्योंकि D2M में प्रसारण बिना किसी इन्टरमीडियरी यानी बीच के किसी मीडियम के सीधे घरों में होगा, जो कि बहुत बड़ा बदलाव होगा।
प्रसार भारती के CEO शशि शेखर वेम्पति का कहना है कि ये टेक्नोलॉजी अभी बहुत ही शुरुआती स्तर पर है। उनका कहना है कि D2M टेक्नोलॉजी को बड़े स्तर पर लॉन्च करने के लिए सबसे बड़ी चुनौती मोबाइल ऑपरेटर्स समेत इससे जुड़े महत्वपूर्ण स्टेकहोल्डर्स को साथ लाने की होगी।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सेक्रेटरी अपूर्व चंद्रा का कहना है कि बड़े पैमाने पर इस टेक्नोलॉजी को शुरू करने में इंफ्रास्ट्रक्चर और कुछ नियमों में बदलाव करने पड़ेंगे।