पालतू पशुओं की शादी में 500 बाराती, सोने-चांदी के गहने और तिलक चढ़ावा

 

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में एक अनोखी शादी चर्चा का विषय बन गई है। हमीरपुर के भरुआ सुमेरपुर में रविवार को यह शादी दो संतों के कुत्ता-कुतिया की थी। संत अपने पालतू पशुओं का विवाह कराकर एक दूसरे के समधी बन गए। बारात की सारी रस्में हिंदू रीति रिवाज के साथ संपन्न हुई। धूमधाम से बारात निकली। द्वारचार, भांवरे, कलेवा की रस्में भी निभाई गईं।

सौंखर और सिमनौड़ी गांव के बीहड़ों में मनासर बाबा शिव मंदिर है। इस मंदिर के महंत स्वामी द्वारका दास महाराज हैं। उन्होंने अपने पालतू कुत्ते कल्लू का विवाह मौदहा क्षेत्र के परछछ गांव के बजरंगबली मंदिर के महंत स्वामी अर्जुन दास महाराज की पालतू कुतिया भूरी के संग तय किया।

गलियों में गाजे-बाजे के साथ घूमी बारात
शादी 5 जून की तय हुई। तय तिथि के अनुसार द्वारका दास महाराज और अर्जुन दास महाराराज ने अपने शिष्यों, शुभचिंतकों को कार्ड भेजकर विवाह समारोह में शामिल होने का आग्रह किया। बारात कि निकासी मनासर बाबा शिव मंदिर से गाजे-बाजे के साथ हुई। बारात ने सौंखर गांव की गलियों में भ्रमण किया। इसके बाद बारात मौदहा क्षेत्र के परछछ गांव के लिए रवाना हुई। यहां पर बजरंगबली मंदिर के महंत स्वामी अर्जुन दास महाराज ने बारात की भव्य अगवानी की और स्वागत सत्कार के बाद द्वारचार, चढ़ावा, भांवरों, कलेवा की रस्म पूरी कराकर बारात को धूमधाम के साथ सम्मान विदा किया।

सजाया-संवारा, गहने भी चढ़ाए गए
कुत्ता-कुतिया को नए कपड़े और सोने-चांदी के जेवरों से सजाया-संवारा गया। बरातियों के लिए कई तरह के व्यंजन तैयार कराए गए थे। यह अनोखी शादी पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई थी। बारात में दोनों पक्षों की तरफ से करीब 500 लोग शरीक हुए।

तिलक भी चढ़ा, चीकट की रस्म हुई
कुत्ता-कुतिया के विवाह से पूर्व दोनों पक्षों ने सभी रस्मों को निभाया। पिछले सप्ताह तिलक की रस्म पूरी हो गई, जिसमें बकायदा 11 हजार रुपया कैश चढ़ाया गया था। तीन जून को जब मंडप लगा तो दोनों पक्षों की ओर से चीकट की रस्म भी अदा की गई।

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