लखनऊ, औद्योगिक प्रतिष्ठानों में बच्चों से मजदूरी कराना कारखाना मालिकों को महंगा पड़ेगा। राज्य सरकार बाल श्रम रोकने को सजा और जुर्माने के प्रावधान और कड़े करने जा रही है। अब बाल मजदूरी का मामला पकड़े जाने पर नियोक्ता को एक साल तक जेल हो सकती है। उससे 60 हजार रुपये तक जुर्माना वसूले जाने का प्रस्ताव है।
बाल श्रम अधिनियम की राज्य नियमावली में बदलाव का मसौदा तैयार है। इसे राज्य स्तरीय समिति अनुमोदन दे चुकी है। अब कैबिनेट की मुहर लगने के बाद नए बदलाव प्रदेश में प्रभावी हो जाएंगे। यूं तो फैक्ट्रियों-कारखानों में बच्चों से काम कराने पर अभी भी सजा और जुर्माने का प्रावधान है। मगर अब इसमें बदलाव किया जा रहा है।
अभी है एक से तीन महीने की सजा का प्रावधान
अभी तक बाल श्रम का मामला पकड़ में आने पर पांच हजार से 20 हजार रुपये तक जुर्माना वसूलने की व्यवस्था है। साथ ही एक से तीन माह तक जेल का प्रावधान है। अब जुर्माने को बढ़ाकर न्यूनतम 20 हजार से अधिकतम 60 हजार तक किए जाने का प्रस्ताव है। सजा भी तीन महीने से एक साल तक किया जाना प्रस्तावित है। सजा और जुर्माना बढ़ाए जाने के पीछे मंशा बाल श्रम के मामलों की रोकथाम की है। राज्य सरकार अब ऐसे बाल श्रमिक परिवारों को भी विभिन्न योजनाओं से जोड़ेगी। इसके लिए भी विभिन्न विभागों के समन्वय से कार्ययोजना बनेगी।
पहली बार शमन, फिर सजा
नई व्यवस्था में बाल श्रम का मामला पकड़े जाने के बाद पहली बार में गलती स्वीकारने की स्थिति में नियोक्ता को सजा नहीं होगी। जुर्माना वसूलकर मामले का शमन कर दिया जाएगा। मगर अगली बार पकड़े जाने पर सख्ती होगी। सीधे सजा का प्रावधान होगा।