मुंबई उत्तर प्रदेश में जिस व्यक्ति को मृत मान लिया गया था, वह मुंबई में जिंदा पकड़ा गया है। डीसीपी निसार तांबोली के अनुसार, 35 साल के पन्ना लाल यादव ने अपने मरने का यह खेल इसलिए किया, ताकि वह अपने ससुराल वालों को सबक सिखा सके। दरअसल, यूपी के महाराजगंज के निवासी पन्ना लाल की कुछ साल पहले शादी हुई थी। पत्नी और ससुराल वालों से उसकी कभी जमी नहीं, रिश्ते लगातार खराब होते चले गए। ससुराल वालों ने उसके खिलाफ आईपीसी की धारा-498 के तहत दहेज प्रताड़ना का केस कर दिया।
गिरफ्तारी से बचने के लिए वह काफी दिन तक फरार रहा। बाद में उसने ससुराल वालों के साथ समझौता कर लिया, जिन्होंने उसके खिलाफ केस वापस ले लिया। वह गिरफ्तार नहीं हुआ और पत्नी के साथ उसी के घर पर रहने लगा, लेकिन उसके मन में गुस्सा धधकता रहा। उसने तय किया कि वह ससुरालवालों को सबक जरूर सिखाएगा। 15 जून, 2016 को वह किसी काम के बहाने अपने साले को साथ लेकर महाराजगंज रेलवे स्टेशन पहुंच गया। साले को स्टेशन पर छोड़कर वह एक मेल ट्रेन में बैठ गया। बाद में वह कई ट्रेनें बदलते हुए मुंबई आ गया। उधर, यूपी में जब उसके परिजन को वह कई दिनों तक नहीं मिला, तो उसके पिता ने आरोप लगाया कि उनके बेटे के ससुराल वालों ने उसकी हत्या करके लाश को कहीं फेंक दिया है।
उसके पिता ने इस वास्ते महाराजगंज के थाना कोल्हुई, गांव जंगल गुलरिहा में शिकायत की, लेकिन पुलिस ने इस शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। तब पन्ना लाल के पिता पुलिस अधीक्षक से मिले और अदालत में भी गुहार की। एसीपी अभय शास्त्री के अनुसार, अदालत के आदेश पर पन्ना लाल यादव के ससुराल वालों के खिलाफ धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने इस मामले में धारा 201 भी जोड़ी, क्योंकि पन्ना लाल की लाश नहीं मिली थी इधर, पन्ना लाल भिवंडी में एक बैग कारखाने में काम करने लगा। दो दिन पहले सीनियर इंस्पेक्टर संजय सालुंखे को पता चला कि यूपी से भागा एक व्यक्ति दहिसर-मीरा रोड इलाके में रह रहा है। उसकी तलाश शुरू हुई। उसी में वह पकड़ा गया। क्राइम ब्रांच का कहना है कि पन्नालाल ने भिवंडी में नौकरी छोड़ दी थी और वह नई नौकरी पाने की कोशिश कर रहा था। क्राइम ब्रांच के अनुसार, पन्ना लाल ने फैसला कर लिया था कि वह एक जगह लंबे समय तक नौकरी नहीं करेगा, क्योंकि इससे उसकी पोल खुलने का खतरा रहेगा। दो साल पहले महाराजगंज छोड़ने के बाद उसने अपना मोबाइल नंबर भी बंद कर दिया था, ताकि किसी को उसकी लोकेशन ही न मिले।