फादर्स डे पर खास कहानियां, मुझे कॉलेज टूर पर जाना था, पापा को उधार नहीं मिला तो 25 हजार की फसल 3 हजार रुपए में बेच दी

 

फादर्स डे के मौके पर  अपने रीडर्स से पिता से जुड़े अनुभव मांगे थे। हमें करीब 1200 लोगों के खत मिले। इनमें से 5 कहानियां हम आपसे साझा कर रहे हैं। बाकी चुनिंदा कहानियां फादर्स डे की कैटेगरी में जाकर आप पढ़ सकते हैं और उन्हें शेयर भी कर सकते हैं।

तो चलिए एक-एक करके पढ़ना शुरू करते हैं…

1. पापा को उधार नहीं मिला तो खेत में खड़ी गन्ने की फसल बेच दी

साल 1991 की बात है। मैं प्रिंटिंग इंस्टीट्यूट इलाहाबाद में पढ़ रहा था। एक टूर पर हमें कोलकाता जाना था, जिसके लिए कुछ पैसों की जरूरत थी। पापा को खत लिखकर बताया कि कुछ पैसे चाहिए, करीब 1500 रुपए। पापा एक छोटी-सी नौकरी और थोड़ी बहुत खेती के सहारे हमें पाल रहे थे। उन्होंने मुझे 3000 रुपए का मनीऑर्डर भेज दिया।

मैं चौंक गया। लौटकर जब घर आया तो उनके चेहरे पर चमक और संतुष्टि दिख रही थी, लेकिन मां ने जो बताया उससे मेरी आंखें भीग गईं। उन्होंने कहा कि पैसे नहीं थे, तुम्हारे पापा को लगा कि तुम्हें बहुत ज्यादा जरूरत है। उधार भी नहीं मिला तो खेत में खड़ी गन्ने की फसल केवल 3000 रुपए में बेच दी। ये फसल 25 हजार रुपए की थी।

उस दिन मुझे लगा यह काम केवल एक पिता ही कर सकता है कि अभाव में रहते हुए भी सब कुछ दांव पर लगाकर बच्चों के लिए हंसता रहे।

रवीश चंद्र त्यागी, मध्यप्रदेश

2. हमारी गलतियों को ‘अनडू’ करने के लिए हमेशा तैयार पापा

एक दम निस्वार्थ! उनकी वजह से परिवार में सबकुछ चल रहा होता है, लेकिन रहते हैं बिल्कुल अलग-थलग। शुरुआत बचपन से ही करते हैं। मंदिर में जब छोटे होने के चलते भगवान नहीं दिख पाते हैं, तो पिता ही होते थे जो हमें कांधे पर बैठाकर पहले घंटी बजवाते हैं और फिर भगवान के दर्शन करवाते हैं।

हमें नहीं पता मंदिर में कौन सा भगवान है, लेकिन इतना जरूर पता होता था कि जिसने हमें कंधे पर उठाया है वह भी किसी भगवान से कम नहीं है।

समय के चलते वे हमारे गूगल बने, हमारे हर प्रश्न का सादा और सटीक जवाब लिए। हर जिज्ञासा के लिए हाजिर पिता के पास एक अनुभव की ‘हार्ड डिस्क’ है जो हमेशा खुशियों से भरी होती थी। हम सब ‘फाइल-फोल्डर’ हैं। उनकी किताब के पन्नों में हाशिए नहीं होते थे, वे किसी को हाशिए पर नहीं रखते, हां परिवार को खुश करके दूर एक “फूटर” की तरह रहकर अपने काम में लग जाते।

चलते-चलते पिता से जुड़ी इन 7 कहानियों से भी गुजर जाइए…

1. मेरी बोर्ड परीक्षा थी। मैं डरी हुई थी। पापा मुझे सेंटर पर लेकर जा रहे थे। मैं डर से रोने लगी तो पापा ने समझाया कि डरो मत खुद से बात करो, खुद को बोलो कि मुझे सब याद है, मुझे पूरा पेपर आता है, मेरा पेपर सबसे अच्छा होगा।

2. मेरे पापा की दोनों किडनी फेल है। उनको हेपेटाइटिस-C है। पिछले 12 सालों से डायलिसिस पर है। हफ्ते में दो बार उनका डायलिसिस होता है। इसके बाद भी वे घूम-घूम कर कपड़े बेचते हैं ताकि परिवार का खर्च चल सके।

3. स्कूल की शुरुआत से पहले ही पापा घर पर पढ़ाते, मिट्टी पर लिखना सिखाते। एक दिन कुछ सही से लिख नहीं पाया, तो पापा ने उंगली जोर से घिसी, जिसकी वजह से उससे खून आने लगा। मैं बहुत रोया, लेकिन जिंदगी की सीख भी तभी मिली।

4. कई बार हम पिता से कुछ कहना तो चाहते हैं पर कैसे कहे इस उलझन की वजह से बात दिल में ही रह जाती है। कई बार गलतियां की, लेकिन आपको कभी सॉरी नहीं बोल पाई। इसलिए आज कह रही हूं.. ‘आई एम सॉरी पापा’।

5. कहते हैं अच्छे होने की कीमत चुकानी पड़ती है, ये सच है, पर पापा सीखा कर गए हैं कि जीवन में कितने भी उतार-चढ़ाव आएं। कभी हार नहीं माननी है, क्योंकि संघर्ष ही जीवन है।

6. मेरी पढ़ाई के लिए पापा ने एक साहूकार से कर्ज लिए थे। उस साहूकार ने वक्त से पहले ही पैसे मांग लिए। पापा मेरी तरफ देखे और हंसते हुए बोले सब हो जाएगा फिक्र न करो। इसके बाद वे 8 घंटे की जगह 15 घंटे काम करने लगे।

7. मुझे मेरे पापा ने कभी नहीं डांटा, लेकिन उनकी एक बात बार-बार कहने से मेरी जिंदगी में बहुत बदलाव आया। वो कहते थे कि…अब पढ़ लेगा तो सारी उम्र मौज करेगा। नहीं पड़ेगा तो, जो तू आज कर रहा है, वो रोज करेगा।

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