बच्चों पर किए रिसर्च को राष्ट्रीय शोध पत्रों में स्थान – ऐरायां के प्राथमिक विद्यालय मलूकपुर के शिक्षक हैं आनन्द – एनसीईआरटी व सेज पब्लिकेशन ने दो रिसर्च पेपर को दी जगह – बच्चों में भय, हिचकिचाहट दूर करने व आत्मबल जागृत करने पर प्रयोग
खागा/फतेहपुर। प्राथमिक शिक्षा के उन्नयन के लिए लगातार प्रयासरत शिक्षक आनन्द कुमार मिश्र के रिसर्च पेपर राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित होने से जनपद की बेसिक शिक्षा गौरवान्वित हुई है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) नई दिल्ली व सेज पब्लिकेशन के जर्नल ने उनके रिसर्च पेपर हाल ही में प्रकाशित किए हैं।
एनसीईआरटी ने ऐरायां ब्लॉक में स्थित प्रावि मलूकपुर के शिक्षक एवं शैक्षिक प्रभारी श्री आनन्द मिश्र के द्वारा कई सालों से जारी शोध को अपने जर्नल प्राथमिक शिक्षक में ‘सामान्य अध्ययन द्वारा प्राथमिक स्तर के बच्चों में संवाद, समझ व सामथ्र्य का विकास’ नामक शीर्षक से प्रकाशित किया है। जबकि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात सेज पब्लिकेशन की शोध पत्रिका सामाजिक विमर्श ने आनन्द के एक अन्य रिसर्च पेपर को ‘प्राथमिक शिक्षा में उच्चारण की शक्ति’ नामक शीर्षक से जगह दी है। देश के नामी गिरामी शिक्षाविदों के साथ प्रकाशित होने वाले रिसर्च पेपर्स ने जनपद की बेसिक शिक्षा को नया आयाम दिया है। बीती 21 मार्च को श्री आनन्द द्वारा तैयार किए गए बाल कहानी संग्रह बोलता बचपन का विमोचन करते हुए राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने इन्हें प्रशंसा पत्र भी दिया था।
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बच्चों में भय व हिचकिचाहट दूर करने का प्रयास
श्री आनन्द ने एनसीईआरटी में प्रकाशित शोध पत्र में बताया है कि किस तरह अपनी मां का आंचल छोड़ कर आने वाले बच्चों में मौजूद भय व हिचकिचाहट को मात्र सामान्य अध्ययन के शिक्षण द्वारा दूर कर उनमें जिज्ञासा व आत्मविश्वास भरा जा सकता है। जबकि दूसरे रिसर्च पेपर में उन्होंने हिन्दी भाषा शिक्षण में उच्चारण के महत्व को रेखांकित किया है।
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विद्यालय में किए कई नवाचार
शिक्षकों की बायोमीट्रिक से हाजिरी व ड्रेस कोड लागू करने का नवाचार अपनाने के साथ ही श्री आनन्द ने बच्चों में शैक्षिक उन्नयन, सामाजिक सरोकार व प्रकृति से जुड़ाव के लिए कई नवाचार किए। इनमें रीड एण्ड रिसीव, नाऊ आर नेवर, जल है तो कल है, माई प्लांट माई लाइफ, शिक्षा व समाज जैसे नवाचार शामिल हैं। छोटे से मजरे में स्थापित इस प्राथमिक विद्यालय की छात्र संख्या में बीते चार सालों में ही करीब चार गुना वृद्धि हुई है। छात्र संख्या अब 60 से 235 पहुंच चुकी है।