नई दिल्ली: वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद से अब तक कई बार हार का स्वाद चख चुकी कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड में हाल ही में हुए चुनाव के दौरान अपने रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर पर देर से ही सही, लेकिन ढेरों प्यार उड़ेला है… पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मंगलवार को माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर लिखा, “कांग्रेस पार्टी पीके (प्रशांत किशोर) तथा उनकी टीम द्वारा की गई कड़ी मेहनत और योगदान की कद्र करती है, और निहित स्वार्थों के तहत किए जा रहे प्रचार को खारिज करती है…”
…और इसके कुछ ही देर बाद सुरजेवाला की ही तरह कुछ ही दिन पहले पंजाब की कुर्सी पर काबिज हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी पीके के योगदान की जमकर तारीफ की…
Fully endorse this! As I have said many times before, PK & his team and their work was absolutely critical to our victory in Punjab! https://t.co/QtzoHdjPx6
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) March 21, 2017
दरअसल, हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के चुनाव के दौरान पंजाब एकमात्र ऐसा राज्य रहा, जहां कांग्रेस को कामयाबी मिली है, और वह 10 साल बाद सत्तासीन होने में सफल रही. प्रशांत किशोर ने पंजाब के अलावा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी पार्टी की प्रचार रणनीति की कमान संभाली थी, और दोनों ही राज्यों में पार्टी को करारी हार मिली है. उत्तर प्रदेश में तो उनकी स्थिति सबसे विकट रही, जहां पार्टी अब तक के इतिहास में सबसे कम सीटों पर सिमटकर रह गई है.
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिर 2015 में बिहार में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की गद्दी पर पहुंचाने का श्रेय पाने वाले प्रशांत किशोर की ही सलाह पर कांग्रेस ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस को कुल 403 में से सिर्फ सात सीटों पर ही जीत मिल पाई.
दिलचस्प तथ्य यह है कि अब प्रशांत किशोर के लिए यह तारीफ पार्टी की ओर से आई है, जबकि पिछले सप्ताहांत ही लखनऊ स्थित कांग्रेस दफ्तर के बाहर कटाक्ष के रूप में एक पोस्टर लगा दिखा था, जिसमें प्रशांत किशोर को ढूंढकर लाने वाले को पांच लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की गई थी. दरअसल, आमतौर पर मीडिया से बात नहीं करने वाले प्रशांत किशोर ने चुनावी नतीजों पर भी कोई टिप्पणी नहीं की थी.
रणनीतिकार के करीबी सूत्रों का कहना है कि जब यूपी में कांग्रेस की हार की ज़िम्मेदारी तय की जा रही हो, यह याद रखा जाना चाहिए कि प्रशांत किशोर के प्रियंका गांधी वाड्रा को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताने का शुरुआती सुझाव खारिज कर दिया गया था. सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर ने गुलाम नबी आज़ाद और राज बब्बर जैसे दिग्गज कांग्रेसी नेताओं के कड़े विरोध के बावजूद भरपूर कोशिश की.
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