बरसात का मौसम लोगों को रोमांटिक लगता होगा। लेकिन, क्या आपको पता कि इस मौसम में कुछ लोग उदास और अकेलापन भी महसूस करते हैं। कई तो ऐसे भी होते हैं, जिन्हें लगातार होने वाली बारिश की आवाज परेशान कर देती है। इन सिम्टम्स को ‘मानसून ब्लूज’ कहते हैं।
आज जरूरत की खबर में बात करते हैं इसी ‘मानसून ब्लूज’ के बारे में और जानते हैं कि इस दौरान होने वाले अकेलेपन और डिप्रेशन से कैसे डील किया जाए।
मानसून ब्लूज क्या होता है?
मेडकिल टर्म में इसे SAD कहते हैं। इसका मतलब होता है सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर। यह एक तरह का डिप्रेशन ही है। इसमें व्यक्ति मौसम का पैटर्न बदलते ही अकेलापन महसूस करने लगता है। इसे सीजनल डिप्रेशन भी कह सकते हैं। इस समय विटामिन -डी की कमी की वजह से SAD होता है।
ऐसा नहीं है कि लोग सिर्फ मानसून में डिप्रेशन में जाते है। कुछ लोगों को बढ़ती ठंड भी उदास कर देती है।
मानसून ब्लूज के पीछे क्या साइंस है?
दिमाग में सेराटोनिन नाम का केमिकल होता है। यह न्यूरोट्रांसमीटर का काम करता है। न्यूरोट्रांसमीटर केमिकल धूप में एक्टिव रहता है। एक तरह का मूड स्टेबलाइजर भी कह सकते हैं।
इससे हमें खाने, सोने, खुश रहने की इच्छा जागती है। बारिश के मौसम में सूरज की रोशनी कम होती है, जिसकी वजह से न्यूरोट्रांसमीटर कम एक्टिव रहता है और कई लोग दुखी और उदास हो जाते हैं।
यह अकेलापन सही मायने में क्या होता है?
क्या कभी ऐसा हुआ है, जब आपको लगता है दुनिया में कोई आपके साथ नहीं है? वीकेंड पर कोई साथ में टाइम स्पेन्ड करने वाला नहीं है? या बारिश के रोमांटिक मौसम में आप किसी के साथ लॉन्ग ड्राइव पर जाना चाहते हैं पर कोई ऐसा नहीं, जो आपके साथ जाए। या फिर अपने दिल की बात किसी से कहना चाहते हैं पर कोई सुनने वाला नहीं है? बस, यही स्थिति होती है लोनलीनेस यानी अकेलेपन की।
अपनापन महसूस करना हमारी सोशल नीड है
दुनियाभर के लोगों में ये फीलिंग आम बात है। भूख-प्यास मिटाने की तरह ही लोगों के बीच रहकर अपनापन महसूस करना हमारी सोशल नीड है। अपनेपन और सुरक्षित रहने की ये फीलिंग हमें खुशी देती है। ये तब से है जब हम जंगलों में समूह में रहते थे, ताकि जंगली जानवरों से अपना बचाव कर सकें और भूखे न मरें। उस समय का सर्वाइवल ट्रिक आज खुश रहने के लिए हमारी साइकोलॉजिकल जरूरत बन चुका है। जब ये जरूरत पूरी नहीं होती और हम लोगों से जुड़ नहीं पाते तो अकेले पड़ जाते हैं।
मानसून ब्लूज और अकेलेपन की वजह से ये 6 बदलाव देखे जाते हैं-:
- फिजिकल फिटनेस की ओर ध्यान नहीं देना
- लोगों से मिलने-जुलने के मौके अवॉइड करना
- टीवी या मोबाइल पर घंटों बिताना
- बाहरी दुनिया से कटकर रहना
- गुमसुम रहते हुए सोच में पड़े रहना
- नशे की लत में पड़ना सोर्स – डॉ. शौनिक अजिंक्या,साइकेट्रिस्ट, कोकिलाबेन हॉस्पिटल, मुंबई
चलते -चलते
WHO के मुताबिक भारत में 20 करोड़ से ज्यादा लोग अलग-अलग वजहों से डिप्रेशन और मेंटल प्रॉब्लम के शिकार हैं।
वहीं सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 12 प्रतिशत यूथ डिप्रेशन और 8 प्रतिशत यूथ अक्सर बने रहने वाली अकेलेपन की फीलिंग से परेशान है।
कोविड के बाद से तो ये आंकड़ा और भी बढ़ा है। अकेलापन अपने साथ कई तरह की बीमारियां लेकर आता है। इसलिए खुश रहें और खुद को पॉजिटिव काम में बिजी रखें।