फतेहपुर। महान राजनेता, भविष्यदृष्टा, राष्ट्रवादी विचारक डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती समारोह खजुहा विकास खंड स्थित बावनी इमली में आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में जिले की सांसद वं केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने शिरकत की। जनप्रतिनिधियों ने सर्वप्रथम डा. मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी तत्पश्चात उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से चर्चा की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के अत्यन्त प्रतिष्ठित परिवार में डॉ॰ मुखर्जी जी का जन्म हुआ। उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे एवं शिक्षाविद् के रूप में विख्यात थे। 1926 में इंग्लैंड से बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे। अपने पिता का अनुसरण करते हुए उन्होंने भी अल्पायु में ही विद्याध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएं अर्जित कर ली थीं। ब्रिटिश सरकार की भारत विभाजन की गुप्त योजना और षड्यंत्र को कांग्रेस के नेताओं ने अखण्ड भारत सम्बन्धी अपने वादों को ताक पर रखकर स्वीकार कर लिया। उस समय डॉ॰ मुखर्जी ने बंगाल और पंजाब के विभाजन की माँग उठाकर प्रस्तावित पाकिस्तान का विभाजन कराया और आधा बंगाल और आधा पंजाब खंडित भारत के लिए बचा लिया। गांधी जी और सरदार पटेल के अनुरोध पर वे भारत के पहले मंत्रिमण्डल में शामिल हुए। उन्हें उद्योग जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। संविधान सभा और प्रान्तीय संसद के सदस्य और केन्द्रीय मंत्री के नाते उन्होंने शीघ्र ही अपना विशिष्ट स्थान बना लिया लेकिन उनके राष्ट्रवादी चिन्तन के चलते अन्य नेताओं से मतभेद बराबर बने रहे। इसलिए राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वाेच्च प्राथमिकता मानने के कारण उन्होंने मंत्रिमंडल से त्याग पत्र दे दिया। उन्होंने एक नई पार्टी बनाई जो उस समय विरोधी पक्ष के रूप में सबसे बड़ा दल था। अक्टूबर 1951 में भारतीय जनसंघ का उद्भव हुआ। केंद्रीय राज्यमंत्री ने उपस्थित लोगों से डा. मुखर्जी के विचारों, आदर्शों पर चलते हुए राष्ट्र की एकता, अखंडता को अक्षुण्ण रखने का संकल्प लेने की अपील की। इस मौके पर विधायक राजेंद्र सिंह पटेल, पूर्व प्रमुख सुतीक्षण सिंह, मंडल अध्यक्ष रोहन श्रीवास्तव भी मौजूद रहे।