कुत्ते ने काटा तो मालिक को 3 साल तक जेल, जानवर को पीटने पर 6 महीने सजा

 

दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके में पालतू कुत्ता भौंका तो 63 साल के व्यक्ति ने पूंछ पकड़ कर उसे पटक दिया। गुस्साए कुत्ते ने उसे काट लिया। इस पर उस व्यक्ति ने कुत्ते को रॉड से मारा। जब पेट ऑनर ने विरोध किया तो उन्हें भी बुरी तरह पीटा। इसमें तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना दो दिन पहले की है। मामले में आईपीसी और प्रीवेंशन ऑफ क्रूयल्टी टू एनिमल्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।

कुत्ते के काटने और पशुओं के प्रति क्रूरता के मामले केवल दिल्ली ही नहीं, देश के अलग-अलग शहरों में देखने को मिलते हैं। इन मामलों में सजा के प्रावधान हैं। झारखंड हाई कोर्ट में वकील धीरज कुमार कहते हैं कुत्ते के मालिक के खिलाफ धारा 289 (पालतू जीव को ध्यान से नहीं रखना) के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। वहीं आईपीसी की धारा 324 के अनुसार, किसी जानवर के माध्यम से यदि चोट पहुंचाया जाता है तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड, या दोनों से दंडित किया जा सकता है। यह गैर-जमानती संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। वहीं पशुओं के प्रति क्रूरता दिखाने पर छह माह की सजा हो सकती है।

जुर्माने का भी प्रावधान

धीरज बताते हैं कि कुत्ते के काटने पर एक मामले में मालिक के खिलाफ केस दर्ज किया गया और आरोपी को 6 महीने की सजा हुई। एक अन्य मामले में 5 साल के बच्चे को अपने कुत्ते से कटवाना उसके मालिक के लिए महंगा साबित हुआ। कोर्ट ने पीड़ित बच्चे के माता-पिता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए आरोपी को धारा 289 में 6 माह का कारावास और 1 हजार रुपए जुर्माने के साथ ही धारा 324 में 2 साल की कैद और 5 हजार रुपए का जुर्माना लगाकर दंडित किया।

लिफ्ट में जा सकते हैं कुत्ते

एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की गाइडलाइंस के अनुसार, किसी सोसाइटी की लिफ्ट में कुत्ते जा सकते हैं। उन्हें लिफ्ट में जाने से मना नहीं किया जा सकता। कोई लिफ्ट में अपने पेट डॉग को लेकर जाता है तो इसके बदले उससे पैसे भी नहीं लिए जा सकते। गाइडलाइन में कहा गया है कि किसी लिफ्ट में लोग हों और दूसरी लिफ्ट खाली हो तो भी नहीं कह सकते कि कुत्ते को उसमें ले जाएं।

केरल में पांच साल में आठ लाख लोगों को कुत्ते ने काटा

केरल में पिछले पांच में आठ लाख से अधिक लोगों को कुत्ते ने काटा है। एसोसिएशन फॉर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ रेबीज इन इंडिया के अनुसार, इनमें से सबसे अधिक मामले केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से हैं। इनमें से 42 लोगों की मौत भी हो गई।

रेबीज से 36 प्रतिशत मौतें भारत में

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में रेबीज से जितनी मौतें होती हैं उनमें अकेले भारत से 36 प्रतिशत मौतें होती हैं। एसोसिएशन फॉर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ रेबीज इन इंडिया के फाउंडर एमके सुदर्शन ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि भारत में हर साल 20 हजार से अधिक लोगों की मौत रेबीज से होती है। दिलचस्प यह है कि बंदर, बिल्ली या किसी दूसरे जानवर के मुकाबले रेबीज से होने वाली मौतों में 99 प्रतिशत कुत्ते के काटने से होती है।

महिलाओं से अधिक पुरुषों को काटते हैं कुत्ते

जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड कम्युनिटी हेल्थ में छपे एक अध्ययन के मुताबिक महिलाओं की तुलना में 81 प्रतिशत अधिक पुरुषों को कुत्ते काटते हैं। शोध में बताया गया है कि कुत्ते का काटना व्यक्ति की उम्र, जेंडर और उसके व्यवहार पर निर्भर करता है। कुत्ते को देखकर घबराने से उसके काटने का रिस्क बढ़ जाता है। जबकि इसी तरह के एक अध्ययन में बताया गया है कि बिल्ली पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक काटते हैं।

रेबीज से पीड़ित व्यक्ति को पानी से लगता है डर

रेबीज का वायरस ब्रेन पर सीधे अटैक करता है। इसलिए गुस्से में बड़बड़ाना, घबराहट, बेचैनी, कंफ्यूजन जैसे लक्षण दिखते हैं। कभी-कभी शरीर के एक हिस्से को लकवा मार जाता है। इसके अंतिम फेज में पीड़ित को हाइड्रोफोबिया हो सकता है। हाइड्रोफोबिया में व्यक्ति को पानी से डर लगता है। पानी पीने से ही नहीं, पानी को देखते ही डर लगने लगता है। कई बार पीड़ित को लाइट से भी डर लगता है। व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

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