गुरुपूर्णिमा के अवसर पर संस्कृत छात्रों का उद्बोधन

 

                       न्यूज़ वाणी अवधेश कुमार दुबे 

लखनऊ/ आभासीय माध्यम से उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ के द्वारा चलाई जा रही संस्कृत संभाषण कक्षाओं में आज गुरुपूर्णिमा के अवसर पर विशेष चर्चा सत्र का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न प्रदेशों से ऑनलाइन संस्कृतसंभाषण सीखने वाले लोगों ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। सर्वप्रथम प्रशिक्षक ओमदत्त द्विवेदी ने गणेश वंदना के द्वारा कक्षा प्रारंभ की। फिर गुजरात से ओलंपिक खिलाड़ी ध्वनिशाह ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिस प्रकार सूर्य के आते ही अंधकार नष्ट हो जाता है, उसी प्रकार गुरु के आगमन से ही अज्ञान दूर हो जाता है और विभिन्न प्रकार की बातें भी बताईं। महाराष्ट्र से ऋषिकेश जी ने गुरु पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कृष्णद्वैपायन व्यासजी के जन्म पर प्रकाश डाला। मनीषा वैद ने कहा कि गुरु शब्द का अभिप्राय है अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना। शिक्षा जन्म से लेकर मृत्यु तक चलने वाली प्रक्रिया है। अतः शिक्षक का महत्व हमारे जीवन में बहुत अधिक है। प्रशिक्षक गणेश द्विवेदी ने गुरु महत्व पर प्रकाश डालते हुए विभिन्न जानकारियां प्रदान की।
इस मौके पर संस्थान के प्रशिक्षण प्रमुख सुधीष्ठ मिश्र, सहप्रशिक्षण प्रमुख सुशील कुमार, समन्वयक धीरज मैथानी तथा अनिन्दिता, गौरी वानी, कंचन राज कविता हजारी नीतू कुमारी, प्रेरणा द्विवेदी,वानी,नागेश्वर जी आदि प्रशिक्षु उपस्थित रहें।

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