फतेहपुर। विद्यालयों मंे किए गए कायाकल्प के तहत रसोईयों को सुविधा दिए जाने के लिए गैस-चूल्हे भी दिए गए थे लेकिन वास्तविकता यह है कि यह गैस चूल्हे कितना इस्तेमाल होते हैं इसकी हकीकत विद्यालय जाकर देखी जासकती है। जीआईसी गढ़ा की पड़ताल में एमडीएम में रसोईया पक्के कमरे में लकड़ी के चूल्हा में धूल के गुबार के बीच भोजन बना रही थी। गैस सिलेंडर की तलाश की गई तो कमरे के एक किनारे रखें थे जो धूल फांक रहे थे। इस विषय पर जब जिम्मेदारों से बात की गई तो वह कन्नी काटते नजर आए। ऐसे में बच्चों को स्वच्छ भोजन भी मिलना मुश्किल है।
इनसेट-
200 की मांग पर मिलीं 40 कुर्सी मेज
फतेहपुर। राजकीय इंटर कालेज दसईपुर गढ़ा के प्रधानाचार्य अशोक दोहरे ने स्कूल में फर्नीचर न होने की बात पर बताया कि शासन से 200 कुर्सी मेज की मांग की गई थी। जिसके सापेक्ष महज 40 कुर्सी मेज के सेट भेजे गए हैं। जिससे बच्चे जमीन में बैठने को विवश है। उन्होने कहा कि दोबारा शासन से कुर्सी-मेज की मांग के लिए पत्राचार किया जाएगा। जल्द ही बच्चों को कुर्सी-मेज उपलब्ध हो जाएगा।